सूरजपुर: प्रतापपुर में गन्ना लोडेड ट्रैक्टर एक क्रेटा वाहन के ऊपर पलट गया. महान नदी पर बने रपटे के दोनों तरफ खराब सड़क के कारण हादसा हुआ. वाहन में सवार लोग सुरक्षित हैं, लेकिन सड़क की बदहाल स्थिति का खामियाजा किसानों के साथ राहगीरों को भी भुगतना पड़ रहा है.
तमाशबीन बने अधिकारी
अम्बिकापुर-प्रतापपुर मार्ग पर महान नदी का पुल बह जाने के बाद एसईसीएल द्वारा दिए गए 3 करोड़ की लागत से रपटे का निर्माण कराया गया था. इसके दोनों ओर बने एप्रोच मार्ग की स्थिति हमेशा जर्जर रहती है. सेतु निगम यहां लाखों की लागत से सड़क बनवा चुका है, जो घटिया निर्माण के कारण गायब हो चुकी है, मरम्मत के नाम पर भी हमेशा खानापूर्ति कर दी जाती है. शक्कर कारखाना शुरू होने के बाद ये समस्या और बढ़ गई है. किसानों को भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि गन्ना लोडेड ट्रैक्टर खराब सड़क के कारण अक्सर पलट जाते हैं. जर्जर सड़क के कारण पिछले साल एक ट्रैक्टर के नीचे दबकर एक शिक्षक की मौत हो गई थी और आज भी एक बड़ा हादसा होते-होते रह गया, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार सेतु निगम और एसईसीएल तमाशबीन बने हुए हैं.
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गायब हो गई सेतु निगम की सड़क
रपटा का निर्माण सेतु निगम द्वारा कराया गया था और शुरू में एप्रोच मार्ग को यूं ही छोड़ दिया गया था. लंबे समय के बाद सेतु निगम ने लाखों की लागत से डामरीकृत सड़क बनाई थी. सड़क का निर्माण इतना घटिया था कि कुछ दिनों में ही ये उखड़ने लगी थी और धीरे-धीरे पूरी सड़क ही गायब हो गई. डामर की जगह यहां गिट्टी-पत्थर और बड़े-बड़े गड्ढे दिखने लगे.
सड़क की जर्जर स्थिति का कारण एसईसीएल
रपटे के दोनों ओर सड़क की जर्जर स्थिति का कारण एसईसीएल को माना जाता है, क्योंकि इनकी बड़ी और भारी गाड़ियां कोयला खदानों से चलती हैं. आए दिन दुर्घटना का कारण भी इन्हीं गाड़ियों को माना जाता है. एसईसीएल इसकी मरम्मत तो कराता है, लेकिन केवल खानापूर्ति के लिए.
नए पुल के निर्माण में लगेगा वक्त
कुछ साल पहले पुल के बह जाने के बाद महान नदी पर नए पुल का निर्माण करीब 2 सालों से चल रहा है. इसके अब तक बन जाने की संभावना थी, लेकिन ये ये अब तक नहीं बन पाया. सूत्रों की मानें तो विभाग के अधिकारी अभी कम से कम 5 महीने का समय और लगने की बात कह रहे हैं. यानी बरसात के बाद भी काम पूरा नहीं हो पाएगा, जो राहगीरों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है.