सूरजपुर: कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन है और बाजार में दुकानें बंद हैं, जिसकी वजह से ग्रामीण इलाके के लोग परेशान हैं और वे बुनियादी जरूरतों के अभाव में जीने के लिए मजबूर हैं. प्रतापपुर इलाके में किसान रबी की खेती नहीं करते हैं, बल्कि वे जंगलों में महुआ बीनने का काम करते हैं और उससे होने वाले आमदनी से अपना जीवन यापन करते हैं.
लॉकडाउन की वजह से बाजार में सभी दुकानें बंद हैं, जिससे ग्रामीणों के सामने महुआ बेचने जैसी समस्या खड़ी हो गई है. बता दें छत्तीसगढ़ से महुआ दूसरे राज्यों में भी जाता है, लेकिन इस बार किसान महुआ नहीं बेच पा रहा हैं, जिससे उनमें निराशा दिखाई देने लगा है.
आर्थिक समस्या से जूझ रहे किसान
ग्रामीणों ने बताया कि सभी परिवार करीब 10 क्विंटल तक महुआ बीनते हैं. इससे वे 30 से 35 हजार रुपए तक की कमाई करते हैं. लेकिन पिछले महीने हुई ओलावृष्टि से महुआ की 75 फीसदी फसल बर्बाद हो गई. इस वजह से ग्रामीणों को नुकसान उठाना पड़ा है. वहीं एक ग्रामीण ने बताया कि प्रत्येक पेड़ से लगभग 3 क्विंटल महुआ गिरता था लेकिन इस साल आधे से भी कम हो गया है. इसके अवाला वे लॉकडाउन की वजह से इकट्ठा किए हुए महुआ को बेच नहीं पा रहे हैं और आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा है.