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घने जंगल में है मां बागेश्वरी का दरबार, किया था कई राक्षसों का संहार - माता बागेश्वरी देवी

नवरात्र के पहले दिन से ही लाखों श्रद्धालु माथा टेककर पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्र के शुरू से ही प्रदेश सहित कई राज्यों से श्रद्धालु माता के दरबार में आते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो सच्ची श्रद्धा और आस्था से बागेश्वरी देवी के दरबार में आता है. उसकी मनोकमना जरूर पूरी होती है.

मां बागेश्वरी का दरबार
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Published : Oct 6, 2019, 12:53 PM IST

सूरजपुर: ओडगी के कूदरगढ़ धाम के घने जंगल के बीच विराजी हैं माता बागेश्वरी देवी. जिन्हें लोग शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं, जो लगभग 1500 फीट ऊचे पहाड़ पर विराजमान हैं. बताया जाता है कि कुदरगढ़ मां भगवती पार्वती की तपस्थली है, जहां से माता ने अनेक राक्षसों का अनेक रूप धारण कर संहार किया था.
नवरात्र पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता की पूर्जा-अर्चना कर अपनी मनोकामना के लिए मन्नत मांगते हैं और 9 दिनों तक मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना कर ज्योति जलाते हैं.

मां बागेश्वरी का दरबार

इस धाम में आदिकाल से माता बागेश्वरी देवी को बकरे की बलि देने की परंपरा चलते चली आ रही है. उस दौरान घंटा, जयकारों की गूंज से श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहती हैं. वहीं विशाल मेला भी लगता है, जो दो महीने तक लगता है और तरह-तरह की आकर्षक दुकानों के स्टॉल लगाए जाते हैं.

माता के धाम में ऐसी मान्यता है कि जो सच्ची श्रद्धा और आस्था से आता है, उसकी मनोकमना जरूर पूरी होती है. मां कुदरगढ़ी दरबार में चारों तरफ वट के वृक्ष हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर कुदरगढ लोक न्यास समिति, मेला समिति और प्रशासन का अमला लगा रहता है. जगह-जगह समाजसेवी संस्थाओं और अन्य धर्मप्रेमी बंधुओं की ओर से भंडारा, भजन-किर्तन के साथ ठहरने आदि की व्यवस्था की जाती है.

सूरजपुर: ओडगी के कूदरगढ़ धाम के घने जंगल के बीच विराजी हैं माता बागेश्वरी देवी. जिन्हें लोग शक्तिपीठ के नाम से भी जानते हैं, जो लगभग 1500 फीट ऊचे पहाड़ पर विराजमान हैं. बताया जाता है कि कुदरगढ़ मां भगवती पार्वती की तपस्थली है, जहां से माता ने अनेक राक्षसों का अनेक रूप धारण कर संहार किया था.
नवरात्र पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता की पूर्जा-अर्चना कर अपनी मनोकामना के लिए मन्नत मांगते हैं और 9 दिनों तक मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना कर ज्योति जलाते हैं.

मां बागेश्वरी का दरबार

इस धाम में आदिकाल से माता बागेश्वरी देवी को बकरे की बलि देने की परंपरा चलते चली आ रही है. उस दौरान घंटा, जयकारों की गूंज से श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी रहती हैं. वहीं विशाल मेला भी लगता है, जो दो महीने तक लगता है और तरह-तरह की आकर्षक दुकानों के स्टॉल लगाए जाते हैं.

माता के धाम में ऐसी मान्यता है कि जो सच्ची श्रद्धा और आस्था से आता है, उसकी मनोकमना जरूर पूरी होती है. मां कुदरगढ़ी दरबार में चारों तरफ वट के वृक्ष हैं. श्रद्धालुओं की सुविधा के मद्देनजर कुदरगढ लोक न्यास समिति, मेला समिति और प्रशासन का अमला लगा रहता है. जगह-जगह समाजसेवी संस्थाओं और अन्य धर्मप्रेमी बंधुओं की ओर से भंडारा, भजन-किर्तन के साथ ठहरने आदि की व्यवस्था की जाती है.

Intro:एंकर- माँ भगवती आदि शक्ति जगत जननी बागेष्वरी देवी कुदरगढी का पावन धाम,,,नवरात्र के अवसर पर पहले दिन से ही लाखो श्रद्वालुओं ने माथा टेक कर पूजा अर्चना करते है,,नवरात्र के प्रारंभ से ही प्रदेष सहित अन्य कई राज्यो से श्रद्वालु माता के दरबार मे आते है तथा परंपरा के अनुसार विषाल मेले का आयोजन होते चला आ रहा है यह मेला दो महीने तक लगता है और तरह तरह की आर्कषक दुकानो के स्टाल लगाये जाते है,,

Body:वी.ओ- सूरजपुर मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर ओडगी विकासखण्ड मे स्थित कूदरगढ़ धाम घने जंगल के बीच यह स्थान दुर्लभ पुष्प केतली जल झरनो से भरे लंबे लंबे घने साल के विषालकाय वृक्ष गगन चुम्बी पहाडी चोटियों पर खुले स्थान पर बर के वृक्ष की नीचे विराजे मातां बागेष्वरी देवी,कुदरगढी मां जिसे लोग शक्ति पीठ के नाम से भी जानते है जो लगभग 1500 फीट उचें पहाड पर विराजमान है,,यह क्षेत्र कुदरगढ मां भगवती पावर्ती की तप स्थली रही है जहा से माता ने अनेक राक्षसो का अनेक रुप धारणकर संहार किया,, कालांतर में इस पहाड पर दौडकर चढा जाता रहा दौडने पर सरगुजिया बोली मे कुदना बोला जाता है,दण्डकारण के बाद यह कुदत चढ पहाड हुआ और यह धीरे धीरे कुदरगढ पहाड हो गया, यहा,नवरात्र के अवसर पर लाखो की संख्या मे श्रद्वालु माता की पूर्जा अर्चना कर अपनी मनोकामना के लिये मन्नत मांगते है तथा 9दिनों तक ज्योति कलष की स्थापना कर ज्योति जलाते है यहा के इस धाम में आदिकाल से माता बागेष्वरीदेवी कुदरगढी माता को बकरे की बलि देने परंपरा चलते आ रही है,,इस दौरान घंटा,जयकारो की गुज के साथ माता के भक्तो की लम्बी कतारे लगी रही,,,
बडी संख्या में पहुंचे श्रद्वालुओ की सुविधा मददेनजर कुदरगढ लोक न्यास समिति,मेला समिति के साथ प्रषासनिक अमला इस दौरान लगा हुये थे जगह जगह पर समाज सेवी संस्थाओं व अन्य धर्म प्रेमी बंधुओ द्वारा भण्डारे,जलपान,किर्तन भजन के साथ ठहरने आदि की व्यव्स्था किया गया था,,


Conclusion:माता के धाम मे ऐसी मान्यता है कि जो सच्ची श्रद्वधा आस्था से आता है अवष्य ही उसकी मनोकमना पुरी होती है मां कुदरगढी का दरबार इतना सच्चा दरबार है यह का वातावरण बहुत मनमोहक है चारो तरफ वट के वृक्ष है पहाड पर खुले में विराजी है मां,बहुत ही सुन्दर मे विराजी है दिन प्रतिदिन लोगो कि आस्था बढती जा रही है,,

बाईट - रिन्कू सिंह,,,, श्रद्धालु
बाईट - दीपक कर,,,,,श्रद्धालु
बाईट - सुखलाल,,,,पंडा(पुजारी)
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