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SPECIAL: नहीं थम रहा हाथियों और मानव के बीच का द्वंद, वन विभाग के पास नहीं है कोई उपाय - सूरजपुर में हाथी के हमले से कुल मौत

आबादी बढ़ने की वजह से भी जंगलों में अतिक्रमण बढ़ने लगे हैं. जंगल की पूरी संरचना प्रभावित हो रही है. जंगलों में बांस और फलदार वृक्ष भी कम हो रहे हैं. अपने निवास स्थान की कमी और पेट भरने के लिए हाथी इन्सानी बस्तियों का रुख कर रहे हैं. सिमटते जंगल से हाथी और मनुष्य के बीच द्वंद्व की स्थिति बनी हुई है.

Forest Department has no solution for elephants in Surajpur
सूरजपुर में हाथी
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Published : Dec 10, 2020, 5:25 PM IST

Updated : Dec 10, 2020, 6:48 PM IST

सूरजपुर: वन्यजीव और मानव के बीच की दूरी अब कम होते जा रही है. इसका सीधा परिणाम मानव और हाथियों के बीच द्वंद के रूप में सामने आ रहा है. हर दूसरे दिन गजराज के हमले से इंसानों की मौत की खबर सामने आते रहती है. वन में रहने वाले ये दंतैल अब रहवासी इलाकों में प्रवेश कर चुके हैं. हाथियों को जंगल तक ही सीमित रखने के लिए सरकार अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है. इसके बावजूद हाथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं.

नहीं थम रहा हाथियों और मानव के बीच का द्वंद

पढ़ें- दोस्ती से कम होगा द्वन्द्व: लापरवाही और हक की लड़ाई में एक-दूसरे की जान लेते मानव और हाथी

वनांचल सूरजपुर जिले के प्रतापपुर क्षेत्र को हाथियों ने अपना रहवासी इलाका बना लिया है. 70 से ज्यादा हाथी सूरजपुर के प्रतापपुर तमोर, पिंगला, बिहारपुर के जंगलों में प्रवास कर रहे हैं. ऐसे में हाथियों से सैकड़ों गांव प्रभावित हैं.

पिछले कुछ वर्षो के आंकड़ों पर एक नजर-

  • अगस्त 2017-18 से नवंबर 2020 तक 48 लोगों की हाथी के हमले से जान जा चुकी है.
  • वन विभाग अब तक 2 करोड़ 18 लाख रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों के फसल नष्ट किए जाने के 25 हजार 874 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
  • वन विभाग अब तक 9 करोड़ 46 लाख 13 हजार 800 रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों ने एक हजार 424 मकानों को क्षतिग्रस्त किया है.
  • वन विभाग की ओर से 16 लाख 30 हजार का मुआवजा पीड़ितों को दिया गया है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों से पशुओं को पहुंचने वाले नुकसान के 39 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
  • इसके लिए 5 लाख 25 हजार का मुआवजा दिया जा चुका है.

पढ़ें- सरगुजा: हाथियों ने मचाया उत्पात, मकानों को तोड़ा, धान और बाजरे की फसल को रौंदा


इंसानों से हाथियों को दूर रखने के लिए सोलर फेंसिंग, सोलर बजूका, मधुमक्खी पालन, मिर्ची के पेड़ और सायरन जैसे प्रयोगों में लगभग पौने दो करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं. ग्रामीणों और हाथियों के बीच ये जंग पिछले एक दशक से जारी है. इसमें इंसान ही नहीं हाथियों को भी बराबर नुकसान पहुंचा है. जहां वनों की कटाई से हाथियों का क्षेत्र सीमित हो गया है और वे भोजन की तलाश में रहवासी इलाकों में प्रवेश करने लगे हैं. हाथियों से निपटने के लिए और उन्हें बगैर नुकसान पहुचाएं संरक्षण देने के क्षेत्र में वन विभाग कई उपाय कर रहा है. बावजूद इसके नतीजा शून्य ही नजर आ रहा है.

सूरजपुर: वन्यजीव और मानव के बीच की दूरी अब कम होते जा रही है. इसका सीधा परिणाम मानव और हाथियों के बीच द्वंद के रूप में सामने आ रहा है. हर दूसरे दिन गजराज के हमले से इंसानों की मौत की खबर सामने आते रहती है. वन में रहने वाले ये दंतैल अब रहवासी इलाकों में प्रवेश कर चुके हैं. हाथियों को जंगल तक ही सीमित रखने के लिए सरकार अब तक करोड़ों रुपये खर्च कर चुकी है. इसके बावजूद हाथियों के हमले बढ़ते जा रहे हैं.

नहीं थम रहा हाथियों और मानव के बीच का द्वंद

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वनांचल सूरजपुर जिले के प्रतापपुर क्षेत्र को हाथियों ने अपना रहवासी इलाका बना लिया है. 70 से ज्यादा हाथी सूरजपुर के प्रतापपुर तमोर, पिंगला, बिहारपुर के जंगलों में प्रवास कर रहे हैं. ऐसे में हाथियों से सैकड़ों गांव प्रभावित हैं.

पिछले कुछ वर्षो के आंकड़ों पर एक नजर-

  • अगस्त 2017-18 से नवंबर 2020 तक 48 लोगों की हाथी के हमले से जान जा चुकी है.
  • वन विभाग अब तक 2 करोड़ 18 लाख रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों के फसल नष्ट किए जाने के 25 हजार 874 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
  • वन विभाग अब तक 9 करोड़ 46 लाख 13 हजार 800 रुपये का मुआवजा वितरित कर चुका है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों ने एक हजार 424 मकानों को क्षतिग्रस्त किया है.
  • वन विभाग की ओर से 16 लाख 30 हजार का मुआवजा पीड़ितों को दिया गया है.
  • 2017-18 से नवंबर 2020 तक हाथियों से पशुओं को पहुंचने वाले नुकसान के 39 प्रकरण दर्ज किए गए हैं.
  • इसके लिए 5 लाख 25 हजार का मुआवजा दिया जा चुका है.

पढ़ें- सरगुजा: हाथियों ने मचाया उत्पात, मकानों को तोड़ा, धान और बाजरे की फसल को रौंदा


इंसानों से हाथियों को दूर रखने के लिए सोलर फेंसिंग, सोलर बजूका, मधुमक्खी पालन, मिर्ची के पेड़ और सायरन जैसे प्रयोगों में लगभग पौने दो करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं. ग्रामीणों और हाथियों के बीच ये जंग पिछले एक दशक से जारी है. इसमें इंसान ही नहीं हाथियों को भी बराबर नुकसान पहुंचा है. जहां वनों की कटाई से हाथियों का क्षेत्र सीमित हो गया है और वे भोजन की तलाश में रहवासी इलाकों में प्रवेश करने लगे हैं. हाथियों से निपटने के लिए और उन्हें बगैर नुकसान पहुचाएं संरक्षण देने के क्षेत्र में वन विभाग कई उपाय कर रहा है. बावजूद इसके नतीजा शून्य ही नजर आ रहा है.

Last Updated : Dec 10, 2020, 6:48 PM IST
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