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सूरजपुर: केज कल्चर से प्रेरित होकर और भी जिले करेंगे फिशिंग - सूरजपुर न्यूज

सूरजपुर जिले में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने, मछुआ समिति की आमदनी में बढ़ावा देने और महिला समूहों को रोजगार देने के लिए केज फिशिंग कल्चर मछली उत्पादन किया जा रहा है.

Fish farming is being promoted from Cage Culture in Surajpur district
सूरजपुर जिले में मत्स्य पालन
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Published : Jan 25, 2021, 10:01 AM IST

Updated : Jan 25, 2021, 4:35 PM IST

सूरजपुर: जिले के केनापारा पर्यटक स्थल में मत्स्य पालन रोजगार का साधन बना हुआ है. यहां पहुंचकर दूसरे लोग भी मत्स्य पालन के लिए प्रेरित हो रहे हैं. दरअसल जिले के SECL के बंद पड़े कोयला खदान जो जलाशय में तब्दील हो गए हैं, उसे प्रशासन ने माइनिंग क्लोजर प्लान के तहत फिशिंग के लिए तैयार किया है. बीते 2 साल से केज फिशिंग कल्चर के तहत मछुआ समिति के सदस्य इससे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. केनापारा पर्यटक स्थल में महिला समूहों को भी रोजगार मिल रहा है.

पढ़ें: सूरजपुर नगर पालिका के नए CMO बने प्रवीण गहलोत

महिला समूहों और मछुआ समूहों की बढ़ी आमदनी

जिले के सीईओ आकाश चिकारा ने बताया कि बिना उपयोग वाले बंद माइंस खदान को प्रशासन ने रोजगार के उद्देश्य से तैयार किया. जहां लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा है इससे मत्स्य पालन को भी बढ़ावा मिल रहा है. जहां लगभग 6 माह में ही एक केज में 3 से 4 टन मछली उत्पादन हो रहा है. जिन्हें बाजारों में 100 से 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. ऐसे में छह माह में ही लगभग तीन लाख की मछली की बिक्री हो चुकी है. महिला समूहों और मछुआ समूह के सदस्यों की आमदनी में इजाफा हो रहा है.

क्या है केज कल्चर ?

यह मछली पालन की नई विधि है. जिसमें बड़े व गहरे जल क्षेत्र में बगैर बांध निर्माण के मछली पालन किया जा सकता है. मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर विकल्प है.

सूरजपुर: जिले के केनापारा पर्यटक स्थल में मत्स्य पालन रोजगार का साधन बना हुआ है. यहां पहुंचकर दूसरे लोग भी मत्स्य पालन के लिए प्रेरित हो रहे हैं. दरअसल जिले के SECL के बंद पड़े कोयला खदान जो जलाशय में तब्दील हो गए हैं, उसे प्रशासन ने माइनिंग क्लोजर प्लान के तहत फिशिंग के लिए तैयार किया है. बीते 2 साल से केज फिशिंग कल्चर के तहत मछुआ समिति के सदस्य इससे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. केनापारा पर्यटक स्थल में महिला समूहों को भी रोजगार मिल रहा है.

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महिला समूहों और मछुआ समूहों की बढ़ी आमदनी

जिले के सीईओ आकाश चिकारा ने बताया कि बिना उपयोग वाले बंद माइंस खदान को प्रशासन ने रोजगार के उद्देश्य से तैयार किया. जहां लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा है इससे मत्स्य पालन को भी बढ़ावा मिल रहा है. जहां लगभग 6 माह में ही एक केज में 3 से 4 टन मछली उत्पादन हो रहा है. जिन्हें बाजारों में 100 से 200 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है. ऐसे में छह माह में ही लगभग तीन लाख की मछली की बिक्री हो चुकी है. महिला समूहों और मछुआ समूह के सदस्यों की आमदनी में इजाफा हो रहा है.

क्या है केज कल्चर ?

यह मछली पालन की नई विधि है. जिसमें बड़े व गहरे जल क्षेत्र में बगैर बांध निर्माण के मछली पालन किया जा सकता है. मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर विकल्प है.

Last Updated : Jan 25, 2021, 4:35 PM IST
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