सूरजपुर: किसान दिन रात खेतों में मेहनत करता है और जब किसान की फसल तैयार हो जाती है तब अन्नदाता का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. लेकिन सूरजपुर के मेहनतकश किसानों की तकलीफें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. दरअसल जिले में एक नवंबर से धान खरीदी शुरू हो चुकी है. बावजूद इसके धान खरीदी केंद्रों पर अभी तक सन्नाटा पसरा हुआ है. वजह है मौसम की मार
आफत में अन्रदाता: सूरजपुर जिले के किसान इन दिनों अपनी फसल को लेकर काफी परेशान हैं. जिले में 1 तारीख से धान खरीदी केंद्रों पर धान की खरीदी शुरु हो चुकी है. लेकिन जिले के किसान धान खरीदी केंद्रों तक नहीं पहुंच रहे हैं. वजह है फसल का तैयार नहीं होना. किसानों का कहना है कि इस बार धान की फसल देर से तैयार होने के पीछे मौसम की मार है. पूरे जिले में बरसात तब शुरू हुई जब फसल तैयार होने वाली थी. लिहाजा बारिश देर से शुरू हुई तो फसल को जहां नुकसान पहुंचा वहीं फसल भी तैयार होने में देरी हुई. सहकारी समितियों ने जिले में किसानों से धान खरीदी के लिए केंद्र तो बना दिये हैं. लेकिन किसान फसल तैयार नहीं होने के चलते खरीदी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं
कैसे पूरा होगा धान खरीदी का लक्ष्य: हर साल जहां धान खरीदी का लक्ष्य नवंबर के पहले हफ्ते तक पूरा कर लिया जाता था वहीं इस बार धान खरीदी का लक्ष्य प्रशासन की पहुंचे से कोसों दूर है. सरकार की ओर से भी लगातार ये कोशिश है कि किसान जल्दी से जल्दी धान खरीदी केंद्रों तक पहुंचे. पर मौसम की मार का असर धान खरीदी केंद्रों पर पसरे इस सन्नाटे को देख साफ समझा जा सकता है. जिला प्रशासन की मानें तो इस बार 32 लाख क्विंटल धान खरीदी का लक्ष्य जिला प्रशासन ने रखा है, और खरीदी के लिए 54 धान खरीदी केंद्र भी बनाए गए हैं, एक संग्रहण केंद्र भी खरीदी केंद्रों से जमा हुए धान को रखने के लिए बनाया है. पर खरीदी केंद्रों में किसानों के नहीं पहुंचने से हर जगह सन्नाटा पसरा है, यहीं वजह है कि किसानों के माथे पर इस बार चिंता की लकीरें साफ देखी जा रही है.
लक्ष्य से दूर, प्रशासन मजबूर: ऐसा नहीं है कि जिला प्रशासन इन हालातों से वाकिफ नहीं है. जिला प्रशासन की ओर से संबंधित केंद्र संचालकों को कई दिशा निर्देश भी जारी किए हैं. जिससे किसानों की समस्या को न सिर्फ कम किया जा सके बल्कि उनकी फसल को धान खरीदी केंद्रों तक लाने में मदद भी पहुंचाई जाए. पर विभागीय अधिकारी भी ये मान रहे हैं कि मौसम की बेरुखी और देर से शुरु हुई बारिश के चलते इस बार किसानों की मुसीबत काफी बढ़ गई है.
मजबूर किसान को मदद की दरकार: धरती की सीना चीरकर अन्न उपजाने वाला अन्नदाता आज भी मौसम के सहारे जीने को मजबूर है. कभी सूखा तो कभी बारिश की मार दोनों से किसान जूझता है. पर अब किसान मौसम की लेटलतीफी का भी शिकार होने लगा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस पूरे प्रदेश में बारिश का देर से आना है, और इसका खामियाजा अब किसानों को भुगतना पड़ रहा है