सूरजपुर : यूं तो पंडो जनजाति (Pando Tribe) को राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र (Adopted Son of The President) कहा जाता है. लेकिन ये उपेक्षा का ऐसा दंश झेल रहे हैं कि इनके घर तक पहुंचने के लिए एक सड़क तक नहीं है. इस कारण कई बार तो गंभीर बीमारी से ग्रस्त पंडो जनजाति के लोग असमय ही दम तोड़ देते हैं. बीते गुरुवार को भी यहां बदहाल सरकारी व्यवस्था का आलम यह रहा कि एक प्रसव पीड़िता को बीच जंगल में ही बच्चे को जन्म देना पड़ गया. हालांकि गनीमत रही कि जच्चा और बच्चा (Mother And Child) दोनों स्वस्थ हैं.
पीने को साफ पानी भी नहीं मिलता
इनके गांव में शुद्ध पेयजल का भी अभाव है. इसके अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण हर साल एक मोटे तौर पर हर साल यहां के करीब दर्जन भर से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इनका गांव सूरजपुर के उड़ती ब्लॉक में है. मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव है, लेकिन गांव तक जाने के लिए सड़क नहीं है. इस कारण जब भी कोई यहां बीमार होता है तो उसे खाट या फिर अन्य साधनों से ही अस्पताल ले जाने को लोग मजबूर होते हैं.
खराब सड़क की दुहाई देता है स्वास्थ्य विभाग
जब कभी स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर विभाग फंसता है तो वह खराब सड़क को वजह बताता है. अभी ताजा हुए मामले में स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी यह मान रहे हैं कि इन स्थितियों में मां और बच्चे दोनों को जान का खतरा था, लेकिन वे स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से इंकार कर रहे हैं.