सूरजपुर: बेहद बहादुर होने के कारण ही इसका नाम सिविल बहादुर रखा गया था. elephant civil bahadur died कुछ सालों के लिए सिविल बहादुर को अचानकमार अभयारण्य भी भेजा गया था. फिर साल 2017 में वापस तमोर पिंगला अभयारण्य के हाथी रेस्क्यू सेंटर लाया गया. Tamor Pingla Sanctuary surajpur चूंकि उम्र ज्यादा होने के कारण वह लगातार बीमार रहने लगा था. जिसका देखरेख महावत कर रहे थे. ऐसे में मंगलवार सुबह बहादुर की मौत हो गई.surajpur news update जहां पूजा पाठ के साथ हाथी का अंतिम संस्कार किया गया.
"शरीर के कई अंगों में इन्फेक्शन हो गया था": पशु चिकित्सक डॉ महेंद्र सिंह ने कहा कि "सिविल बहादुर यहां 1988 से है. इस बीच वह अचानकमार भी गया. elephant civil bahadur died वह स्वस्थ था. लेकिन उम्र ज्यादा होने की वजह से उसके शरीर के कई अंगों में इन्फेक्शन हो गया था. Tamor Pingla Sanctuary surajpur जिस वजह से वह कमजोर हो गया था और उसने खाना छोड़ दिया था. अंतिम संसकार नियम के तहत शव परिक्षण के बाद किया गया है. surajpur news update नमक और चूने के साथ हाथी को दफनाया गया है."
"कैंप का सबसे वयोवृद्ध हाथी था": सीएफ सरगुजा रेंज केआर बढ़ाई ने बताया कि "जब से यह कैंप है. elephant civil bahadur died सिविल बाहादुर तब से यहां था. Tamor Pingla Sanctuary surajpur वह सबसे वयोवृद्ध हाथी था. उनकी आज सुबह मृत्यु हो गई. उम्र ज्यादा थी. surajpur news update हाथी सिविल बहादुर को कई समस्या थी."
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2017 में दोबारा तमोर पिंगला लाया गया था: सिविल बहादुर पूर्व में तमोर पिंगला के हाथी कैम्प में रहता था. elephant civil bahadur died जिसके बाद उसे अचानकमार ले जाया गया था. वर्ष 2017 में उसे फिर से तमोर पिंगला के रेस्क्यू सेंटर में लाकर रखा गया था. Tamor Pingla Sanctuary surajpur जहां वह वन अमला और महावतों की निगरानी में था. उसकी उम्र करीब 72 साल की हो गई थी और आज सुबह छह बजे करीब उसने दम तोड़ दिया. बताया जा रहा है कि बढ़ती उम्र के साथ उसके शरीर में कुछ दिक्कतें शुरू हो गईं थीं. surajpur news update दो दिन से पेशाब और शौच भी ठीक से नहीं कर पा रहा था.
सिविल बहादुर हाथी का इतिहास: सिविल बहादुर तत्कालीन सरगुजा और आज के बलरामपुर जिले के कुसमी विकासखंड के सिविल दाग जंगल मे पकड़ा गया था. 1988-89 में झारखण्ड से हाथियों का दल सरगुजा में प्रवेश किया था. तब वन विभाग ने मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ से प्रशक्षित हाथी और महावत बुलाये थे. पहली बार यहां वन विभाग ने सोलर फेंसिंग करेंट के जरिये हाथियों को रोक रखा था और यहीं एक महावत नायर ने जीआई तार का फंदा सिविल बहादुर के पैर में फंसा कर उसे पकड़ लिया था. सिविल बहादुर बेहद आक्रामक और हिम्मती था.