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मुख्यमंत्री राहत शिविर बना आजीविका केंद्र, मजदूर को मिला रोजगार - workers get employment

सूरजपुर जिले में दीगर राज्य और जिले के कुल 631 मजदूर को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है, यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए जिले के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर बजरंग वर्मा और श्रम अधिकारी घनश्याम पाणिग्रही के साथ-साथ प्रत्येक शिविर के लिए विशेष टीम की ड्यूटी लगाई गई है.

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मुख्यमंत्री राहत शिविर बना आजीविका केंद्र
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Published : Apr 23, 2020, 1:50 AM IST

सूरजपुर: कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन किया गया है, सूरजपुर जिले में दीगर राज्य और जिलों के कुल 631 मजदूर को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है, यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए जिले के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर बजरंग वर्मा और श्रम अधिकारी घनश्याम पाणिग्रही के साथ-साथ प्रत्येक शिविर के लिए विशेष टीम की ड्यूटी लगाई गई है.

यहां रुके सभी मजदूर को मेन्यु के अनुसार भोजन, रहने के लिए पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ खेल सामग्री जैसे लूडो, कैरम, टीवी आदि प्रदान किया गया है, सभी के ओर से नियमित रूप से योग किया जा रहा है और बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था भी सुचारु रुप से चल रही है.

मजदूर के पुत्र का मनाया गया जन्मदिन

इसी कड़ी में हाल ही में जिले के एक शिविर में एक मजदूर के पुत्र विकास का जन्मदिन जिला प्रशासन की ओर से मनाया गया, जोकि सभी अतिथियों के लिए एक अमीट यादगार पल बन गया, अब इन शिविरों में रुके हुए मजदूर को उनकी दैनिक मजदूरी की जो आर्थिक क्षति हो रही है उसकी पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए इन्हें दैनिक आजीविका के कार्य उपलब्ध कराए हैं. इसी कड़ी में कई शिविर में मजदूर की ओर से बांस के ट्री गार्ड का निर्माण किया जा रहा है, मजदूर को आवश्यक बांस की उपलब्धता वन विभाग की ओर से कराया जाने के साथ ही कार्य प्रारंभ होने से पूर्व मास्टर ट्रेनर की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

मजदूर को प्रशासन ने दिया 30 हजार भुगतान

मजदूर ट्री गार्ड बनाने में शिद्दत के साथ जुट गए हैं इसके परिणाम स्वरूप मात्र दो दिन में ही इन मजदूर को प्रशासन की ओर से कुल 30 हजार रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. प्रत्येक मजदूर की ओर से दिन में लगभग रूपये 350 से रूपये 400 तक की आमदनी अर्जित की जा रही है, इन कार्यों से मुख्यमंत्री राहत शिविर ना केवल राहत शिविर मुख्यमंत्री आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील हो गया है, यहां ठहरे अतिथियों में अत्यंत खुशी का माहौल है और अब उन्हें अपनी उर्जा का सदुपयोग करते हुए और बेहतर तरीके से समय बिताने का अवसर प्राप्त हो गया है, इस श्रमिक प्रवास के साथ-साथ कमाई भी कर रहे हैं.

सूरजपुर: कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन किया गया है, सूरजपुर जिले में दीगर राज्य और जिलों के कुल 631 मजदूर को 31 राहत केंद्रों में अतिथि की तरह ठहराया गया है, यहां अतिथि के रूप में उनकी देखभाल करने के लिए जिले के नोडल अधिकारी डिप्टी कलेक्टर बजरंग वर्मा और श्रम अधिकारी घनश्याम पाणिग्रही के साथ-साथ प्रत्येक शिविर के लिए विशेष टीम की ड्यूटी लगाई गई है.

यहां रुके सभी मजदूर को मेन्यु के अनुसार भोजन, रहने के लिए पूर्ण व्यवस्था के साथ-साथ खेल सामग्री जैसे लूडो, कैरम, टीवी आदि प्रदान किया गया है, सभी के ओर से नियमित रूप से योग किया जा रहा है और बच्चों की पढ़ाई के लिए व्यवस्था भी सुचारु रुप से चल रही है.

मजदूर के पुत्र का मनाया गया जन्मदिन

इसी कड़ी में हाल ही में जिले के एक शिविर में एक मजदूर के पुत्र विकास का जन्मदिन जिला प्रशासन की ओर से मनाया गया, जोकि सभी अतिथियों के लिए एक अमीट यादगार पल बन गया, अब इन शिविरों में रुके हुए मजदूर को उनकी दैनिक मजदूरी की जो आर्थिक क्षति हो रही है उसकी पूर्ति के लिए जिला प्रशासन ने विशेष पहल करते हुए इन्हें दैनिक आजीविका के कार्य उपलब्ध कराए हैं. इसी कड़ी में कई शिविर में मजदूर की ओर से बांस के ट्री गार्ड का निर्माण किया जा रहा है, मजदूर को आवश्यक बांस की उपलब्धता वन विभाग की ओर से कराया जाने के साथ ही कार्य प्रारंभ होने से पूर्व मास्टर ट्रेनर की ओर से प्रशिक्षण प्रदान किया गया.

मजदूर को प्रशासन ने दिया 30 हजार भुगतान

मजदूर ट्री गार्ड बनाने में शिद्दत के साथ जुट गए हैं इसके परिणाम स्वरूप मात्र दो दिन में ही इन मजदूर को प्रशासन की ओर से कुल 30 हजार रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है. प्रत्येक मजदूर की ओर से दिन में लगभग रूपये 350 से रूपये 400 तक की आमदनी अर्जित की जा रही है, इन कार्यों से मुख्यमंत्री राहत शिविर ना केवल राहत शिविर मुख्यमंत्री आजीविका केंद्र के रूप में तब्दील हो गया है, यहां ठहरे अतिथियों में अत्यंत खुशी का माहौल है और अब उन्हें अपनी उर्जा का सदुपयोग करते हुए और बेहतर तरीके से समय बिताने का अवसर प्राप्त हो गया है, इस श्रमिक प्रवास के साथ-साथ कमाई भी कर रहे हैं.

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