सूरजपुर: सरगुजा संभाग की प्रतापपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी प्रत्याशी शकुंतला पोर्ते ने चुनाव जीत दर्ज की है. 44 साल की महिला प्रत्याशी शकुंतला पोर्ते ने कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमारी शिवभजन मराबी को हराया.
कौन हैं शकुंतला पोर्ते ?: शकुंतला पोर्ते पेशे से वकील हैं. वर्तमान में महिला मोर्चा बलरामपुर की अध्यक्ष हैं. वे लंबे समय से बीजेपी में सक्रिय हैं. शकुंतला पोर्ते के पति आरक्षक हैं. शकुंतला पोर्ते बीजेपी की तेज तर्रार नेता के रूप में जानी जाती है. वह गोंड समुदाय से आती हैं. इसलिए बीजेपी ने उन्हें टिकट देकर जातिगत दांव खेलने की कोशिश की है. बीजेपी ने महिला वोटरों को साधने के लिहाज से भी शकुंतला पोर्ते को टिकट दिया है.
प्रतापपुर विधानसभा का जातिगत समीकरण : अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित प्रतापपुर सीट पर 60 फीसदी अनुसूचित जनजाति के हैं. इसमें गोंड समाज की संख्या 40 प्रतिशत है. यानि करीब वोटरों का एक तिहाई भाग गौड़ों से संबंधित है. बाकी बचे हुए में कंवर, पंडो, चेरवा और पहाड़ी कोरवा समाज आता है. इस विधानसभा में सिर्फ 30 से 35 फीसदी आबादी ओबीसी और सामान्य वर्ग से हैं. जिसमें जायसवाल, कुशवाहा, गुप्ता, मुस्लिम समाज के लोग भी शामिल हैं. इसी वजह से आदिवासी समाज से ही प्रत्याशी खड़े किए जाते हैं.
2018 विधानसभा चुनाव की तस्वीर: 2018 में प्रतापपुर विधानसभा से कुल 18 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम इंडियन नेशनल कांग्रेस से 90148 वोट पाकर विजयी हुए थे. डॉ प्रेमसाय सिंह को शिक्षा मंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया था. दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के रामसेवक पैकरा रहे. उन्हें 46043 कुल वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर आशा देवी पोया गोंडवाना गणतंत्र पार्टी 17341 कुल वोट मिले थे. चौथे स्थान पर डॉ नरेंद्र प्रताप सिंह जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) 5977 कुल वोट मिले थे. पांचवें पर छोटेलाल तिर्की आम आदमी पार्टी 1971 कुल वोट मिले थे. छठवें नंबर पर निर्दलीय प्रत्याशी वीर नाथ सिंह को 1808 कुल वोट मिले थे. इल तरह अन्य उम्मीदवारों की स्थिति रही.
प्रतापपुर विधानसभा की समस्याएं: प्रतापपुर विधानसभा चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ क्षेत्र है. जिसके कारण यहां हाथियों का प्रकोप बना रहता है. आए दिन हाथी और इंसानों के बीच टकराव देखने को मिलता है. शासन प्रशासन द्वारा हाथियों के समस्या का कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. जिसके कारण लोगों में काफी नाराजगी नजर आ रही है. जिले की खराब सड़कें भी एक मुद्दा है. प्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र को अलग जिला बनाने की मांग लम्बे समय से चली आ रही है.
प्रतापपुर विधानसभा का चुनावी इतिहास: पिछले तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के प्रत्याशी बारी बारी से इस सीट से जीतते आ रहे हैं. 2018 विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामसेवक पैकरा को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने हराया था. वहीं 2013 विधानसभा चुनाव में रामसेवक पैकरा ने डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम के खिलाफ जीत दर्ज किया था. 2008 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के ही डॉ प्रेमसाय सिंह टेकाम ने रामसेवक पैकरा को हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी. इस तरह प्रतापपुर विधानसभा सीट में भाजपा और कांग्रेस दोनों का वर्चस्व रहा है.