सूरजपुर: 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत...' सूरजपुर के भुनेश्वरपुर गांव के बुधलाल ने इस कहावत को गांठ बांधकर अपने जन्मजात अंधेपन पर जीत हासिल की. बचपन में ही बुधलाल के सिर से पिता का साया उठ गया. घर में एक गरीब मां और नेत्रहीन बुधलाल... जिन्दगी एक चुनौती से कम नहीं थी. लोगों ने भीख मांगने की सलाह दी लेकिन बुधलाल ने हार नहीं मानी. उन्होंने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया. आज बुधलाल सूरजपुर जिला मुख्यालय के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं.
बच्चों की कर रहे हौसलाअफजाई: सूरजपुर के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में बतौर सहायक प्रोफेसर बुधलाल पोस्टेड हैं. बुधलाल अन्य प्रोफेसरों की तरह सामान्य तो नहीं, लेकिन किसी से कम भी नहीं है. अपनी नेत्रहीनता को इन्होंने अपनी ताकत बना ली है. बुधलाल बच्चों को पढ़ाते हैं. साथ ही उन बच्चों को अपने जीवन में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए हौसला भी देते हैं.
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पत्नी मां और बच्चे के साथ रहते हैं बुधलाल: जीवन में संघर्ष कर सहायक प्रोफेसर बने बुधलाल आज अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहे हैं. परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे हैं, जो हर कदम पर इनका साथ देते हैं. परिवार को भी इनके ऊपर गर्व है.
दिव्यांगों के लिए मिसाल बनें बुधलाल: बुधलाल का जीवन बचपन से ही संघर्ष से भरा रहा. लेकिन इन्होंने कभी अपना हौसला डिगने नहीं दिया. आज अन्य दिव्यांगों के लिए बुधलाल एक मिसाल से कम नहीं है. इन्होंने ये साबित कर दिखाया कि विकलांगता हमारी कमजोरी नहीं है.