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Surajpur News: बचपन में मिली थी भीख मांगने की सलाह, आज समाज के लिए मिसाल हैं नेत्रहीन सहायक प्रोफेसर बुधलाल - रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज

सूरजपुर के भुनेश्वरपुर गांव के सहायक प्रोफेसर बुधलाल जन्मजात अंधेपन के शिकार हैं. बचपन में लोगों ने गरीबी के कारण भीख मांगने की सलाह दी थी. लेकिन इन्होंने अपना हौसला डगमगाने नहीं दिया. शिक्षा का अपनी नजर बनाकर आज समाज के लिए एक नजीर बनकर उभरे हैं.Blind assistant professor Budhlal

Blind assistant professor Budhlal
सहायक प्रोफेसर बुधलाल
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Published : Mar 25, 2023, 2:53 PM IST

Updated : Mar 25, 2023, 8:00 PM IST

सहायक प्रोफेसर बुधलाल

सूरजपुर: 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत...' सूरजपुर के भुनेश्वरपुर गांव के बुधलाल ने इस कहावत को गांठ बांधकर अपने जन्मजात अंधेपन पर जीत हासिल की. बचपन में ही बुधलाल के सिर से पिता का साया उठ गया. घर में एक गरीब मां और नेत्रहीन बुधलाल... जिन्दगी एक चुनौती से कम नहीं थी. लोगों ने भीख मांगने की सलाह दी लेकिन बुधलाल ने हार नहीं मानी. उन्होंने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया. आज बुधलाल सूरजपुर जिला मुख्यालय के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं.

बच्चों की कर रहे हौसलाअफजाई: सूरजपुर के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में बतौर सहायक प्रोफेसर बुधलाल पोस्टेड हैं. बुधलाल अन्य प्रोफेसरों की तरह सामान्य तो नहीं, लेकिन किसी से कम भी नहीं है. अपनी नेत्रहीनता को इन्होंने अपनी ताकत बना ली है. बुधलाल बच्चों को पढ़ाते हैं. साथ ही उन बच्चों को अपने जीवन में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए हौसला भी देते हैं.

यह भी पढ़ें: Raipur: सीएम भूपेश का बीजेपी और रमन सिंह पर हमला

पत्नी मां और बच्चे के साथ रहते हैं बुधलाल: जीवन में संघर्ष कर सहायक प्रोफेसर बने बुधलाल आज अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहे हैं. परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे हैं, जो हर कदम पर इनका साथ देते हैं. परिवार को भी इनके ऊपर गर्व है.

दिव्यांगों के लिए मिसाल बनें बुधलाल: बुधलाल का जीवन बचपन से ही संघर्ष से भरा रहा. लेकिन इन्होंने कभी अपना हौसला डिगने नहीं दिया. आज अन्य दिव्यांगों के लिए बुधलाल एक मिसाल से कम नहीं है. इन्होंने ये साबित कर दिखाया कि विकलांगता हमारी कमजोरी नहीं है.

सहायक प्रोफेसर बुधलाल

सूरजपुर: 'मन के हारे हार है, मन के जीते जीत...' सूरजपुर के भुनेश्वरपुर गांव के बुधलाल ने इस कहावत को गांठ बांधकर अपने जन्मजात अंधेपन पर जीत हासिल की. बचपन में ही बुधलाल के सिर से पिता का साया उठ गया. घर में एक गरीब मां और नेत्रहीन बुधलाल... जिन्दगी एक चुनौती से कम नहीं थी. लोगों ने भीख मांगने की सलाह दी लेकिन बुधलाल ने हार नहीं मानी. उन्होंने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया. आज बुधलाल सूरजपुर जिला मुख्यालय के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में सहायक प्रोफेसर हैं.

बच्चों की कर रहे हौसलाअफजाई: सूरजपुर के रेवती नारायण मिश्रा कॉलेज में बतौर सहायक प्रोफेसर बुधलाल पोस्टेड हैं. बुधलाल अन्य प्रोफेसरों की तरह सामान्य तो नहीं, लेकिन किसी से कम भी नहीं है. अपनी नेत्रहीनता को इन्होंने अपनी ताकत बना ली है. बुधलाल बच्चों को पढ़ाते हैं. साथ ही उन बच्चों को अपने जीवन में आ रही चुनौतियों का सामना करने के लिए हौसला भी देते हैं.

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पत्नी मां और बच्चे के साथ रहते हैं बुधलाल: जीवन में संघर्ष कर सहायक प्रोफेसर बने बुधलाल आज अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी रहे हैं. परिवार में इनकी बूढ़ी मां के साथ इनकी पत्नी और बच्चे हैं, जो हर कदम पर इनका साथ देते हैं. परिवार को भी इनके ऊपर गर्व है.

दिव्यांगों के लिए मिसाल बनें बुधलाल: बुधलाल का जीवन बचपन से ही संघर्ष से भरा रहा. लेकिन इन्होंने कभी अपना हौसला डिगने नहीं दिया. आज अन्य दिव्यांगों के लिए बुधलाल एक मिसाल से कम नहीं है. इन्होंने ये साबित कर दिखाया कि विकलांगता हमारी कमजोरी नहीं है.

Last Updated : Mar 25, 2023, 8:00 PM IST
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