सुकमा: बस्तर के सुकमा जिले में नक्सली मोर्चे पर तैनात जवानों ने मानवता का परिचय दिया है. यहां एक महिला को डिलीवरी के लिए उसके परिजन कांवड़ पर लेकर जा रहे थे. तभी उसको प्रसव पीड़ा हुई. महिला प्रसव पीड़ा से कराह उठी. जिसके बाद वहां पर सीआरपीएफ के जवान पहुंचे और महिला की सुरक्षित डिलीवरी कराने का काम किया है. महिला ने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया. अभी जज्जा बच्चा दोनों ठीक है. सीआरपीएफ के इस काम की हर ओर तारीफ हो रही है. परिजनों ने बच्ची का नाम भारती रखा है. यह पूरी घटना मंगलवार की है.
महिला को कांवड़ से अस्पताल लेकर जा रहे थे परिजन: गांव वालों ने बताया कि महिला को जब प्रसव पीड़ा हुई. तो उसके परिजन उसे कांवड़ से नजदीकी अस्पताल लेकर जा रहे थे. इस बात की जानकारी सीआरपीएफ के जवानों को मिली. जिसके बाद सीआरपीएफ जवानों ने महिला को सीआरपीएफ के अस्पताल में दाखिल कराने का फैसला लिया. लेकिन महिला को ज्यादा ब्लीडिंग हो रही थी. जिसके बाद महिला की डिलीवरी के बारे में सीआरपीएफ के जवानों ने फैसला लिया. महिला की बिगड़ती स्थिति को लेकर जवानों ने सड़क पर ही महिला की सुरक्षित डिलीवरी कराई. जिसके बाद उन्हें उपचार और देखभाल के लिए एम्बुलेंस बुलाकर नजदीकी अस्पताल भिजवाया गया.
बच्ची को सीआरपीएफ लेगी गोद: बच्ची के सुरक्षित प्रसव के बाद सीआरपीएफ के कमांडेंट ने एलान किया कि बच्ची को सीआरपीएफ की तरफ से गोद लिया जाएगा. बच्ची के पालन पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी भी सीआरपीएफ उठाएगी. महिला और बच्ची की जान बचाए जाने के बाद पेद्दागुलेर गांव के लोग सीआरपीएफ के जवानों और अधिकारियों से मिलने पहुंचे. उन्होंने बच्ची के नामांकरण की गुजारिश की. जिसके बाद बच्ची का नाम भारती रखा गया. जिसे गांव वालों और बच्ची के परिजन ने मान लिया.
बेहद पिछड़ा है बस्तर का सुकमा जिला: नक्सल प्रभावित बस्तर का सुकमा जिला बेहद पिछड़ा हुआ है. यहां आजादी के सात दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच नहीं हो पाई है. अंदरुनी इलाकों में न तो बेहतर सड़क है. न ही पुल पुलिया है. जिससे स्वास्थ्य के मोर्चे पर आपात स्थिति में लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. दूसरी ओर नक्सल समस्या की वजह से भी विकास कार्य में काफी दिक्कतों का सामना सरकार और जिला प्रशासन को करना पड़ रहा है.