सुकमा: जिले के जीरामपाल डब्बारास स्थित बालक आश्रम के जर्जर होने पर मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इसके बावजूद भी आश्रम की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.
गांव की शाला शिक्षा समिति ने ट्रायबल विभाग पर स्कूल आश्रम भवनों की मरम्मत करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि डब्बारास का बालक आश्रम भवन जर्जर होने की वजह से तीन साल पहले बच्चों को 12 किलोमीटर दूर रामपुराम में शिफ्ट किया गया था. वहीं विभाग ने तत्कालिक व्यवस्था के तौर पर सौ सीटर डब्बारास आश्रम को 30 सीटर आश्रम में चलने के निर्देश दिए थे.
मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति
शाला शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष माडा सोडी ने बताया कि साल 2007 में डब्बारास बालक आश्रम का भवन बनकर तैयार हुआ था. इसके बाद से ही यहां आश्रम चलाया जा रहा है. वहीं साल 2016 में भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए आश्रम को शिफ्ट किया गया था, जबकि आश्रम के मरम्मत के लिए आदिवासी विभाग ने 18 लाख रुपए खर्च किए हैं, लेकिन मरम्मत के नाम पर ठेकेदार ने महज 8 खिड़कियां लगाई हैं और भवन का रंग-रोगन किया है. वहीं ठेकेदार की लापरवाही ऐसी है की छत से टपकने वाली बारिश की बूंदों से ही फर्श पर छेद हो गए हैं और तो और आश्रम भवन में एक भी शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है.
मूलभूत सुविधाएं नहीं
रामपुराम में डब्बारास आश्रम पिछले 3 साल से 30 सीटर भवन में लगाया जा रहा है, लेकिन इस भवन में करीब 86 बच्चे पढ़ते और रहते हैं. 30 सीटर भवन होने के कारण छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि एक ही कमरे में दो क्लास लगने की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. वहीं उन्हें सोने के लिए काफी परेशानी होती है.