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सुकमा: आश्रम की मरम्मत के लिए लाखों रुपए खर्च, फिर भी नहीं हुआ सुधार

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Published : Oct 9, 2019, 3:12 PM IST

Updated : Oct 9, 2019, 8:33 PM IST

जीरामपाल के डब्बारास बालक आश्रम की मरम्मत के लिए 18 लाख रुपए खर्च किए गए फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ हैं. मरम्मत के नाम पर भवन की सिर्फ पुताई और भवन में आठ खिड़कियां लगाई गई हैं.

आश्रम की मरम्मत के लिए लाखों खर्च

सुकमा: जिले के जीरामपाल डब्बारास स्थित बालक आश्रम के जर्जर होने पर मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इसके बावजूद भी आश्रम की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.

आश्रम की मरम्मत के लिए लाखों खर्च

गांव की शाला शिक्षा समिति ने ट्रायबल विभाग पर स्कूल आश्रम भवनों की मरम्मत करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि डब्बारास का बालक आश्रम भवन जर्जर होने की वजह से तीन साल पहले बच्चों को 12 किलोमीटर दूर रामपुराम में शिफ्ट किया गया था. वहीं विभाग ने तत्कालिक व्यवस्था के तौर पर सौ सीटर डब्बारास आश्रम को 30 सीटर आश्रम में चलने के निर्देश दिए थे.

मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति

शाला शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष माडा सोडी ने बताया कि साल 2007 में डब्बारास बालक आश्रम का भवन बनकर तैयार हुआ था. इसके बाद से ही यहां आश्रम चलाया जा रहा है. वहीं साल 2016 में भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए आश्रम को शिफ्ट किया गया था, जबकि आश्रम के मरम्मत के लिए आदिवासी विभाग ने 18 लाख रुपए खर्च किए हैं, लेकिन मरम्मत के नाम पर ठेकेदार ने महज 8 खिड़कियां लगाई हैं और भवन का रंग-रोगन किया है. वहीं ठेकेदार की लापरवाही ऐसी है की छत से टपकने वाली बारिश की बूंदों से ही फर्श पर छेद हो गए हैं और तो और आश्रम भवन में एक भी शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है.

मूलभूत सुविधाएं नहीं

रामपुराम में डब्बारास आश्रम पिछले 3 साल से 30 सीटर भवन में लगाया जा रहा है, लेकिन इस भवन में करीब 86 बच्चे पढ़ते और रहते हैं. 30 सीटर भवन होने के कारण छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि एक ही कमरे में दो क्लास लगने की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. वहीं उन्हें सोने के लिए काफी परेशानी होती है.

सुकमा: जिले के जीरामपाल डब्बारास स्थित बालक आश्रम के जर्जर होने पर मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं. इसके बावजूद भी आश्रम की व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है.

आश्रम की मरम्मत के लिए लाखों खर्च

गांव की शाला शिक्षा समिति ने ट्रायबल विभाग पर स्कूल आश्रम भवनों की मरम्मत करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि डब्बारास का बालक आश्रम भवन जर्जर होने की वजह से तीन साल पहले बच्चों को 12 किलोमीटर दूर रामपुराम में शिफ्ट किया गया था. वहीं विभाग ने तत्कालिक व्यवस्था के तौर पर सौ सीटर डब्बारास आश्रम को 30 सीटर आश्रम में चलने के निर्देश दिए थे.

मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति

शाला शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष माडा सोडी ने बताया कि साल 2007 में डब्बारास बालक आश्रम का भवन बनकर तैयार हुआ था. इसके बाद से ही यहां आश्रम चलाया जा रहा है. वहीं साल 2016 में भवन की जर्जर स्थिति को देखते हुए आश्रम को शिफ्ट किया गया था, जबकि आश्रम के मरम्मत के लिए आदिवासी विभाग ने 18 लाख रुपए खर्च किए हैं, लेकिन मरम्मत के नाम पर ठेकेदार ने महज 8 खिड़कियां लगाई हैं और भवन का रंग-रोगन किया है. वहीं ठेकेदार की लापरवाही ऐसी है की छत से टपकने वाली बारिश की बूंदों से ही फर्श पर छेद हो गए हैं और तो और आश्रम भवन में एक भी शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है.

मूलभूत सुविधाएं नहीं

रामपुराम में डब्बारास आश्रम पिछले 3 साल से 30 सीटर भवन में लगाया जा रहा है, लेकिन इस भवन में करीब 86 बच्चे पढ़ते और रहते हैं. 30 सीटर भवन होने के कारण छात्रों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों का कहना है कि एक ही कमरे में दो क्लास लगने की वजह से उन्हें काफी परेशानी हो रही है. वहीं उन्हें सोने के लिए काफी परेशानी होती है.

Intro: मरम्मत के लिए आदिवासी विभाग ने 18 लाख खर्च किए, इसके बावजूद नहीं सुधरी आश्रम की व्यवस्थ...

सुकमा. जिले में लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी स्कूल-आश्रमों के हालात में कोई सुधार नहीं हो रहा है. मरम्मत के नाम पर बड़े स्तर पर खेल चल रहा है. कुछ ऐसा ही हाल है जिरमपाल के डब्बारास स्थित बालक आश्रम का. जहाँ मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी आश्रम में अव्यवस्थाओं का अंबार है. बतौया जाता है कि ट्राइबल विभाग ने पिछले वर्ष 18 लाख की बड़ी राशि इसके मरम्मत के लिए खर्च की है.

गांव की शाला शिक्षा समिति ने ट्राइबल विभाग पर स्कूल आश्रम भवनों की मरम्मत करने वाले ठेकेदारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि डब्बारास का बालक आश्रम भवन जर्जर होने की वजह से तीन साल पहले बच्चों को 12 किलोमीटर दूर रामपुराम में शिफ्ट किया गया था. विभाग ने तत्कालिक व्यवस्था के तौर पर सौ सीटर डब्बारास आश्रम को तीस सीटर आश्रम में संचालित करने के निर्देश दिए थे.



Body:18 लाख में भवन की पुताई और आठ खिड़कियां लगी...
शाला शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष माडा सोडी ने बताया कि 2007 में डब्बारास बालक आश्रम का भवन बनकर तैयार हुआ था. इसके बाद से यहां आश्रम संचालित है. वर्ष 2016 में भवन की खस्ताहाल को देखते हुए आश्रम को शिफ्ट किया गया. इधर आश्रम के मरम्मत के लिए आदिवासी विभाग ने 18 लाख रुपए खर्च किए हैं. मरम्मत के नाम पर ठेकेदार ने महज 8 खिड़कियां लगाई हैं और भवन का रंग रोगन किया है. भवन के मरम्मत में विभाग ने तकनीकी मापदंडों का ऐसा ख्याल रखा कि छत से टपकने वाली बारिश की बूंदों से ही फर्श पर छेद हो गए. आश्रम भवन में एक भी शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं है.

ना पढ़ने के लिए कमरे हैं और ना सोने के लिए पलंग...
ऊपर दिखाये गए तस्वीर आश्रम भवन का था जो मरम्मत के बाद भी मरम्मत की मांग कर रहा है. अब हम आपको ले चलते हैं रामपुराम जहां डब्बारास आश्रम संचालित हैं. पिछले 3 साल से आश्रम 30 सीटर भवन में लगाया जा रहा है. अब सहज ही इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि करीब 100 बच्चे 30 सीटर भवन में कैसे पढ़ते और रहते होंगे. आप खुद ही इन बच्चों और शिक्षकों को सुन लीजिए इन्हें किस तरह की परेशानी हो रही है.



Conclusion: शिक्षक ही क्यों जिम्मेदार...
आश्रम में घटित दुर्घटनाओं के लिए संबंधित अधीक्षक या शिक्षक जिम्मेदार होता है और प्रशासन भी इन पर कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटता. अब सवाल उठता है कि आश्रम छात्रावासों की खामियों के लिए शिक्षक जिम्मेदार है तो फिर इन स्कूल आश्रमों में बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की जवाबदारी भी प्रशासन की ही है.

जिले के अधिकांश स्कूल-आश्रम भवन जर्जर अवस्था में है बच्चों को हर वक्त अनहोनी का डर सताता है. इन असुविधाओं के बीच शिक्षकों पर शिक्षा गुणवत्ता सुधारने का दबाव भी अलग से रहता है.

बाइट 01: माडा सोढ़ी, उपाध्यक्ष शाला शिक्षा समिति
बाइट 02: आश्रम के बच्चे
बाइट 03: सुरेश सोरी, शिक्षक, डब्बारास
Last Updated : Oct 9, 2019, 8:33 PM IST
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