सुकमा: केंद्र सरकार (Modi government) ने DMF फंड का पावर फिर से कलेक्टर को को दे दिया है. केंद्र के इस निर्णय से छत्तीसगढ़ जैसे खनिज बाहुल्य राज्य में सियासत तेज हो गई है. सरकार जहां इस फैसले का विरोध कर रही है. वहीं बीजेपी ने इस फैसले का स्वागत किया है. सुकमा बीजेपी जिलाध्यक्ष हूंगाराम मरकाम कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने डीएमएफ समिति में नए नियम लागू किए हैं. यह एक स्वागत योग्य निर्णय है. सरकार का यह निर्णय छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी को पूरी तरह से बंद कर देगा. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार ने कमीशनखोरी के लिए ये बदलाव किया हुआ था. जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार और कमीशन बाजी को बढ़ावा देने के लिए जिले के प्रभारी मंत्रियों को अध्यक्ष बना के रख दिया था.
न खाऊंगा न खाने दूंगा
सुकमा भाजपा जिलाध्यक्ष हूंगाराम मरकाम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के इस निर्णय ने एक बार फिर से साबित किया कि 'न खाऊंगा न खाने दूंगा'.मरकाम ने कहा कि डीएमएफ समिति की कमान कलेक्टरों को देने से मद का दुरुपयोग नहीं होगा. साथ ही नियम-कानून से काम होंगे.
DMF का पावर कलेक्टर को देने पर छत्तीसगढ़ में राजनीति शुरू
DMF फंड पर केंद्र और राज्य आमने-सामने
खनिज संपदा के मामले में समृद्ध माने जाने वाले छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में DMF फंड काफी महत्वपूर्ण है. छत्तीसगढ़ में DMF को लेकर पहले से चल रही व्यवस्था को कांग्रेस सरकार बनने के बाद बदल दिया गया. कांग्रेस सरकार आने के बाद राज्य सरकार ने नई व्यवस्था बनाई थी. इसके मुताबिक राज्य में जिलों की खनिज संस्थान यानी DMF कमेटी में जिले के प्रभारी मंत्री अध्यक्ष रहेंगे और कलेक्टर को सचिव की जिम्मेदारी दी गई थी. कांग्रेस सरकार ने राज्य के DMF कमेटियों में विधायकों को सदस्य के रूप में शामिल किया था. दरअसल विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने लगातार DMF फंड में गड़बड़ी को लेकर आरोप लगाया था और सरकार में आने के बाद उन्होंने इस व्यवस्था में बदलाव कर दिया. लेकिन अब केंद्र सरकार ने DMF समिति को लेकर नया आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद फिर से बदलाव होने को लेकर राज्य सरकार के अपने अलग सुर हैं.