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पांच साल बाद कितनी बदली झीरम घाटी, गोली नहीं अब लोगों की बोली बोलती है

कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर किए गए हमले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर दिया था. हमले में उस समय के छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित पार्टी के कई नेता शहीद हो गए थे.

झीरम घाटी
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Published : May 10, 2019, 12:11 AM IST

Updated : May 10, 2019, 1:45 AM IST

सुकमा : 25 मई 2013 की तारीख को भला कौन भूल सकता है. इसी दिन 'लाल आतंक' ने छत्तीसगढ़ के सुकमा की दरभा घाटी में खून की होली खेली थी. नक्सलियों की ओर किया गया यह नरसंहार कितना भयानक था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर किए गए हमले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर दिया था. हमले में उस समय के छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित पार्टी के कई नेता शहीद हो गए थे.

हमने झीरम गांव का दौरा कर यह जानने की कोशिश की कि घटना के पांच साल बाद कैसे हैं झीरम घाटी के हालात...तब से अब तक यहां विकास के कितने काम हुए और क्या है यहां के लोगों की राय.

जहां था नक्सलियों का खौफ, अब हो रहा विकास
झीरम हमले के बाद से तो इलाके में नक्सलियों का खौफ पसरा हुआ था, लेकिन साल 2017 से सुरक्षाबलों की ओर से चलाए जा रहे नक्सल विरोधी ऑपरेशन ने बस्तर में आतंक का पर्याय बन चुके नक्सलियों की कमर तोड़कर रख दी. आलम यह है कि कभी जो नक्सली इलाके में दहशत का दूसरा रूप थे धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती गई. झीरम घाटी हमले को अंजाम देने वाले नक्सली या तो मारे गए, या फिर उन्होंने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए. आज आलम यह है कि जहां नक्सलियों के डर से जो लोग जुबान तक नहीं खोल पाते, वो आज सिस्टम से विकास की गुहार लगा रहे हैं.

दो साल में नक्सलियों को उठाना पड़ा नुकसान
बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि बीते 2 साल के दौरान झीरम घाटी हमले में शामिल DVCCM से लेकर एरिया कमेटी मेंबर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के बड़े नक्सली मारे गए. वहीं इस इलाके में सक्रिय कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. आईजी ने बताया कि नक्सलियों को पिछले दो साल में अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा है.

6 साल में ऐसे दिया अंजाम
⦁ पुलिस की ओर से चलाए जा रहे ऑपेरेशन का असर यह हुआ कि सुरक्षाबलों ने 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया.
⦁ एक हजार 16 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया.
⦁ 368 नक्सलियों ने सरेंडर किया.
⦁ नक्सलियों से 197 हथियार बरामद किए गए.
⦁ 276 आईडी जब्त किए गए.
⦁ 27 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किए गए.
⦁ इसके साथ ही 2018 में पुलिस के साथ एनकाउंटर में 112 नक्सली मारे गए.
⦁ 1 हजार 134 नक्सली गिरफ्तार किए गए.
⦁ 462 नक्सलियों ने सरेंडर किया.
⦁ नक्सलियों से 317IED के साथ ही 212 हथियार बरामद किए गए.
⦁ बरामद किए गए हथियारों में 33 वेपन ऑटोमेटिक थे.

इन दो साल के दौरान 85 इनामी नक्सली मारे गए हैं. ये वो नक्सली थे जिनपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित किया गया था. वहीं झीरमघाटी हमले को अंजाम देने वाले, नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो जैसे बड़े नक्सल कैडर मारे जा चुके हैं.

विकास की बाट जोह रहा
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की कुर्बानी की छठी बरसी पर की गई पड़ताल में हमने पाया कि जो इलाका कभी लाल आतंक की दहशत से थर्राता था वो आज विकास की बाट जोह रहा है.

झीरम घाटी

सुकमा : 25 मई 2013 की तारीख को भला कौन भूल सकता है. इसी दिन 'लाल आतंक' ने छत्तीसगढ़ के सुकमा की दरभा घाटी में खून की होली खेली थी. नक्सलियों की ओर किया गया यह नरसंहार कितना भयानक था. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर किए गए हमले में छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खत्म कर दिया था. हमले में उस समय के छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, बस्तर टाइगर के नाम से मशहूर महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल सहित पार्टी के कई नेता शहीद हो गए थे.

हमने झीरम गांव का दौरा कर यह जानने की कोशिश की कि घटना के पांच साल बाद कैसे हैं झीरम घाटी के हालात...तब से अब तक यहां विकास के कितने काम हुए और क्या है यहां के लोगों की राय.

जहां था नक्सलियों का खौफ, अब हो रहा विकास
झीरम हमले के बाद से तो इलाके में नक्सलियों का खौफ पसरा हुआ था, लेकिन साल 2017 से सुरक्षाबलों की ओर से चलाए जा रहे नक्सल विरोधी ऑपरेशन ने बस्तर में आतंक का पर्याय बन चुके नक्सलियों की कमर तोड़कर रख दी. आलम यह है कि कभी जो नक्सली इलाके में दहशत का दूसरा रूप थे धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती गई. झीरम घाटी हमले को अंजाम देने वाले नक्सली या तो मारे गए, या फिर उन्होंने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए. आज आलम यह है कि जहां नक्सलियों के डर से जो लोग जुबान तक नहीं खोल पाते, वो आज सिस्टम से विकास की गुहार लगा रहे हैं.

दो साल में नक्सलियों को उठाना पड़ा नुकसान
बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि बीते 2 साल के दौरान झीरम घाटी हमले में शामिल DVCCM से लेकर एरिया कमेटी मेंबर, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के बड़े नक्सली मारे गए. वहीं इस इलाके में सक्रिय कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. आईजी ने बताया कि नक्सलियों को पिछले दो साल में अच्छा-खासा नुकसान उठाना पड़ा है.

6 साल में ऐसे दिया अंजाम
⦁ पुलिस की ओर से चलाए जा रहे ऑपेरेशन का असर यह हुआ कि सुरक्षाबलों ने 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया.
⦁ एक हजार 16 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया.
⦁ 368 नक्सलियों ने सरेंडर किया.
⦁ नक्सलियों से 197 हथियार बरामद किए गए.
⦁ 276 आईडी जब्त किए गए.
⦁ 27 ऑटोमेटिक हथियार बरामद किए गए.
⦁ इसके साथ ही 2018 में पुलिस के साथ एनकाउंटर में 112 नक्सली मारे गए.
⦁ 1 हजार 134 नक्सली गिरफ्तार किए गए.
⦁ 462 नक्सलियों ने सरेंडर किया.
⦁ नक्सलियों से 317IED के साथ ही 212 हथियार बरामद किए गए.
⦁ बरामद किए गए हथियारों में 33 वेपन ऑटोमेटिक थे.

इन दो साल के दौरान 85 इनामी नक्सली मारे गए हैं. ये वो नक्सली थे जिनपर 1 लाख से लेकर 10 लाख तक का इनाम घोषित किया गया था. वहीं झीरमघाटी हमले को अंजाम देने वाले, नक्सली कमांडर पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, शंकर, पीसो जैसे बड़े नक्सल कैडर मारे जा चुके हैं.

विकास की बाट जोह रहा
कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की कुर्बानी की छठी बरसी पर की गई पड़ताल में हमने पाया कि जो इलाका कभी लाल आतंक की दहशत से थर्राता था वो आज विकास की बाट जोह रहा है.

Intro:सर ग्रामीणों की बाईट भेजी गई हैं ।


Body:बाईट1- आयतुराम बघेल, ग्रामीण ऑरेंज गमछा डाले हुए
बाईट2- सुरेश नाग, ग्रामीण गुलाबी शर्ट
बाईट3- केशव , ग्रामीण टीशर्ट पहने हुए


Conclusion:
Last Updated : May 10, 2019, 1:45 AM IST
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