सुकमा: बस्तर के सुकमा में अज्ञात बीमारी से दो साल में 61 लोगों की मौत हो (People died unknown disease in Sukma) गई. सुकमा के रेगड़गट्टा गांव में अज्ञात बीमारी का सबसे ज्यादा असर पड़ा. इस बीमारी को लेकर अब स्वास्थ्य विभाग हड़कत में आया (unknown disease in Sukma of Bastar) है. स्वास्थ्य विभाग ने रेगड़गट्टा गांव में दो हैंडपंप को सील किया है. गांव में करीब 10 हैंडपंप चिन्हांकित किया गया है जिसमें 2 हैंडपंपों के पानी में फ्लोराइड की मात्रा ज्यादा है. रेगड़गट्टा के दो हैंडपम्प में फ्लोराइड और 8 हैंडपंपों में आयरन की मात्रा अधिक मिलने के बाद प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से इन हैंडपंपों को बंद करने के निर्देश दिए (hand pumps seal in sukma regagadatta village) हैं.
रेगड़गट्टा गांव में लिया गया था पानी का सैंपल: 61 मौतों का मामला प्रकाश में आने के बाद रेगड़गट्टा से 19 हैंडपंप और 1 नाले के पानी के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे. जिसमे से कुछ नमूनों के परिणाम प्राप्त कर लिए गए है. जांच परिणाम में 2 हैंडपंप में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा पाई गई है. जिसे प्रशासन द्वारा तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है.जिला प्रशासन ने हैंडपंप से पानी की उपयोगिता पर रोक लगा दी है. एसडीएम कोंटा बनसिंह ने बताया कि "माता मंदिर के पास स्थित हैंडपंप और मुचाकी जोगेश के निवास के समीप स्थापित हैंडपंप में फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा पाई गई है. जिसे बंद कर दिया गया है. जांच रिपोर्ट में रेगड़गट्टा के 8 हैंडपंप में आयरन की मात्रा सामान्य से थोड़ी अधिक पाई गई है. ग्रामीणों को इन हैंडपंप से पानी का उपयोग पेयजल के रूप में नही करने के सख्त हिदायत दी गई है. इन हैंडपंप के पानी को मात्र कपड़ा धोने, बर्तन मांजने, और नहाने के लिए उपयोग में लेने को कहा गया है. ग्रामीणों के पेयजल हेतु पृथक से व्यवस्था प्रशासन द्वारा की जा रही है".
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समय पर उठाए गए कदम नहीं तो हो सकती थी और मौतें: रेगड़गट्टा में साल 2020 से शुरू हुई ग्रामीणों की मौत को रोकने के लिए तत्कालीन जिला प्रशासन ने कोई पहल नहीं की थी. दो साल में गांव के 61 ग्रामीणों की मौत हो गई. समय पर प्रशासन द्वारा समय रहते कदम उठा लिया जाता तो मौत का आंकड़ा रुक सकता था. इस साल के मार्च में स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रामीणों में यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन बढ़ने की लिखित शिकायत के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया. ग्रामीणों द्वारा गुहार लगाने के बाद जिला प्रशासन हरकत में आया और जांच के निर्देश दिए