सुकमा: सुविधाओं से महरूम होना क्या होता कोई नक्सल प्रभावित गांवों से पूछे. मूलभूत चीजों के लिए भी जद्दोजहद करते वनांचलों और नक्सलवाद से पीड़ित गांवों के लोग की किस्मत में सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल यहां तक कि राशन दुकानें अब तक नहीं लिख पाई हैं. इन सबके बीच मिनपा गांव उम्मीद की किरण बना है. तीन दशक से मुख्यधारा से कटे इस गांव में रौनक लौटने की आशा है. पुलिस और सुरक्षाबलों के जवानों की सुरक्षा के साए में यहां सड़क बनाई जा रही है.
नक्सलियों का मीटिंग प्वॉइंट माना जाने वाला मिनपा गांव तीन दशक तक मुख्यधारा से कटा था. आस-पास के गांव जाने तक के लिए भी यहां सड़क नहीं थी. इस बीच यहां शासन-प्रशासन ने कैंप लगाने का फैसला लिया. लेकिन नक्सलियों ने 21 मार्च, 2020 को एक बड़ा हमला किया. इस अटैक में 17 जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के जवान शहीद हो गए और 14 अन्य घायल हो गए थे. सुरक्षा बलों ने मिनपा गांव में अपना शिविर सफलतापूर्वक स्थापित किया. अब रोज बनाकर यहां सुविधाएं पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
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1000 से ज्यादा जवान दे रहे सुरक्षा
मिनपा गांव के पास के क्षेत्रों में बिजली की लाइनें बिछाई जा रही हैं. पुलों का निर्माण भी चल रहा है. जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), विशेष कार्य बल और विशेष पुलिस इकाई कोबरा और सीआरपीएफ सहित विभिन्न एजेंसियों के 1000 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि विकास कार्य नक्सलियों द्वारा बाधित न हो.
सड़क बनने से ग्रामीण खुश
गांव के रहने वाले एक युवक ने बताया कि गांव में सड़क नहीं होने से बहुत परेशानी होती है. पानी के इंतजाम भी नहीं है. पटवारी भी नहीं आता है. सड़क बनने से अच्छा रहेगा और बिजली आ गई तो सुविधा हो जाएगी.
गांव में पहुंचेगा विकास: आईजी
बस्तर आई सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए रोड बड़ी सौगात होती है. एक बार सड़क बनने के बाद तमाम सुविधाएं पहुंचाना आसान हो जाता है. बिजली आपूर्ति, पीडीएस शॉप, आंगनबाड़ी केंद्र, पीएचसी जैसे मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने में सफलती मिलती है. पहले इन इलाकों में एबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती थी. स्वास्थ्य कार्यकर्ता सेवा नहीं दे पाते थे. लाइट नहीं होने की वजह से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते थे. लेकिन सड़क बनने के बाद अब सुविधाएं मिनपा गांव तक पहुंचेंगी और युवाओं में सकारात्मक संदेश जाएगा.