सुकमा: चिटफंड कंपनी में निवेश के जरिए रूपये डबल करने का झांसा देकर ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी फर्जी चिटफंड कंपनी में मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. सुकमा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ओडिशा के मलकानगिरी से दोनों को धर दबोचा है.
अगस्त 2019 में माइक्रो फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले एजेंटों ने कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी की लिखित शिकायत कोंटा थाने में दर्ज कराई थी. दरअसल कंपनी में काम करने वाले एजेंट भी इसका शिकार हुए थे. शिकायत के बाद कोंटा पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए मामले की जांंच में जुट गई थी. मामले की जांच और आम लोगों से एकत्रित किए गए पैसों की रिकवरी के लिए पुलिस की विशेष टीम गठित की गई थी. टीम ने 21 जनवरी 2020 को मलकानगिरी से कंपनी के मैनेजर भावतोष चौधरी और डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली को अरेस्ट करने में सफलता हासिल की.
91 लाख 78 हजार लेकर फाइनेंस कंपनी हुई थी फरार
ओडिशा के माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने वर्ष 2010 में कोंटा में एक ब्रांच खोला. जिसमें मैनेजर भवतोष चौधरी, डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली और कैशियर नारायण सरकार को नियुक्त किया. इन तीनों ने मिलकर कोंटा, दोरनापाल और केरला पाल के 11 लोगों को कंपनी में पैसा जमा कर दुगना राशि देने और अधिक ब्याज देने का लालच दिया. लोग कर्मचारियों की बातों में आकर कंपनी के एजेंट के रूप में काम करने को तैयार हो गए. एजेंट के रूप में काम करने वाले लोग कोंटा विकासखंड के अंदरूनी इलाकों में कंपनी का प्रचार कर अन्य लोगों से पैसे लिए. कंपनी के झांसे में आकर कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इस स्कीम लगा दी. करीब 91 लाख 78 हजार की राशि कंपनी लेकर फरार हो गई.
लाइसेंस रद्द होने के बाद भी वसूलते रहे पैसा
RBI ने 2014 में ही माइक्रो फाइनेंस कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. उसके बाद भी कोंटा ब्रांच के कर्मचारियों ने लोगों से पैसे दोगुने करने का लालच देकर ब्रांच चालू रखा. 2015 में कंपनी और कर्मचारी अचानक गायब हो गए. जिसके बाद कंपनी में कार्यरत एजेंटों ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई.