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सुकमा: चिटफंड के जरिए 91 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी, 2 आरोपी गिरफ्तार - मैनेजर और डिप्टी मैनेजर गिरफ्तार

सुकमा पुलिस ने ओडिशा के एक माइक्रो फाइनेंस कंपनी के मैनेजर और डिप्टी मैनेजर को गिरफ्तार किया है. दोनों पर लोगों के पैसे गबन करने का आरोप है. पुलिस ने मलकानगिरी से इनकी गिरफ्तारी की है.

शलभ सिन्हा, एसपी सुकमा
शलभ सिन्हा, एसपी सुकमा
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Published : Jan 25, 2020, 10:22 PM IST

सुकमा: चिटफंड कंपनी में निवेश के जरिए रूपये डबल करने का झांसा देकर ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी फर्जी चिटफंड कंपनी में मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. सुकमा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ओडिशा के मलकानगिरी से दोनों को धर दबोचा है.

फाइनेंस कंपनी का मैनेजर और डिप्टी मैनेजर गिरफ्तार
पुलिस ने आरोपियों से एक बोलेरो, एक कंप्यूटर और दो लाख रूपए बरामद किए हैं. इसके अलावा कंपनी के चल-अचल संपत्ति, बैंक अकाउंट, कुर्क करने की कार्रवाई में जुटी है. फाइनेंस कंपनी के खिलाफ रायपुर में कई मामले दर्ज हैं. वहीं ओडिशा में कंपनी के खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है.ये है मामला

अगस्त 2019 में माइक्रो फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले एजेंटों ने कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी की लिखित शिकायत कोंटा थाने में दर्ज कराई थी. दरअसल कंपनी में काम करने वाले एजेंट भी इसका शिकार हुए थे. शिकायत के बाद कोंटा पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए मामले की जांंच में जुट गई थी. मामले की जांच और आम लोगों से एकत्रित किए गए पैसों की रिकवरी के लिए पुलिस की विशेष टीम गठित की गई थी. टीम ने 21 जनवरी 2020 को मलकानगिरी से कंपनी के मैनेजर भावतोष चौधरी और डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली को अरेस्ट करने में सफलता हासिल की.

91 लाख 78 हजार लेकर फाइनेंस कंपनी हुई थी फरार
ओडिशा के माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने वर्ष 2010 में कोंटा में एक ब्रांच खोला. जिसमें मैनेजर भवतोष चौधरी, डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली और कैशियर नारायण सरकार को नियुक्त किया. इन तीनों ने मिलकर कोंटा, दोरनापाल और केरला पाल के 11 लोगों को कंपनी में पैसा जमा कर दुगना राशि देने और अधिक ब्याज देने का लालच दिया. लोग कर्मचारियों की बातों में आकर कंपनी के एजेंट के रूप में काम करने को तैयार हो गए. एजेंट के रूप में काम करने वाले लोग कोंटा विकासखंड के अंदरूनी इलाकों में कंपनी का प्रचार कर अन्य लोगों से पैसे लिए. कंपनी के झांसे में आकर कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इस स्कीम लगा दी. करीब 91 लाख 78 हजार की राशि कंपनी लेकर फरार हो गई.

लाइसेंस रद्द होने के बाद भी वसूलते रहे पैसा
RBI ने 2014 में ही माइक्रो फाइनेंस कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. उसके बाद भी कोंटा ब्रांच के कर्मचारियों ने लोगों से पैसे दोगुने करने का लालच देकर ब्रांच चालू रखा. 2015 में कंपनी और कर्मचारी अचानक गायब हो गए. जिसके बाद कंपनी में कार्यरत एजेंटों ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई.

सुकमा: चिटफंड कंपनी में निवेश के जरिए रूपये डबल करने का झांसा देकर ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी फर्जी चिटफंड कंपनी में मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत हैं. सुकमा पुलिस ने कार्रवाई करते हुए ओडिशा के मलकानगिरी से दोनों को धर दबोचा है.

फाइनेंस कंपनी का मैनेजर और डिप्टी मैनेजर गिरफ्तार
पुलिस ने आरोपियों से एक बोलेरो, एक कंप्यूटर और दो लाख रूपए बरामद किए हैं. इसके अलावा कंपनी के चल-अचल संपत्ति, बैंक अकाउंट, कुर्क करने की कार्रवाई में जुटी है. फाइनेंस कंपनी के खिलाफ रायपुर में कई मामले दर्ज हैं. वहीं ओडिशा में कंपनी के खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है.ये है मामला

अगस्त 2019 में माइक्रो फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले एजेंटों ने कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी की लिखित शिकायत कोंटा थाने में दर्ज कराई थी. दरअसल कंपनी में काम करने वाले एजेंट भी इसका शिकार हुए थे. शिकायत के बाद कोंटा पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ अपराध दर्ज करते हुए मामले की जांंच में जुट गई थी. मामले की जांच और आम लोगों से एकत्रित किए गए पैसों की रिकवरी के लिए पुलिस की विशेष टीम गठित की गई थी. टीम ने 21 जनवरी 2020 को मलकानगिरी से कंपनी के मैनेजर भावतोष चौधरी और डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली को अरेस्ट करने में सफलता हासिल की.

91 लाख 78 हजार लेकर फाइनेंस कंपनी हुई थी फरार
ओडिशा के माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने वर्ष 2010 में कोंटा में एक ब्रांच खोला. जिसमें मैनेजर भवतोष चौधरी, डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली और कैशियर नारायण सरकार को नियुक्त किया. इन तीनों ने मिलकर कोंटा, दोरनापाल और केरला पाल के 11 लोगों को कंपनी में पैसा जमा कर दुगना राशि देने और अधिक ब्याज देने का लालच दिया. लोग कर्मचारियों की बातों में आकर कंपनी के एजेंट के रूप में काम करने को तैयार हो गए. एजेंट के रूप में काम करने वाले लोग कोंटा विकासखंड के अंदरूनी इलाकों में कंपनी का प्रचार कर अन्य लोगों से पैसे लिए. कंपनी के झांसे में आकर कई लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई इस स्कीम लगा दी. करीब 91 लाख 78 हजार की राशि कंपनी लेकर फरार हो गई.

लाइसेंस रद्द होने के बाद भी वसूलते रहे पैसा
RBI ने 2014 में ही माइक्रो फाइनेंस कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. उसके बाद भी कोंटा ब्रांच के कर्मचारियों ने लोगों से पैसे दोगुने करने का लालच देकर ब्रांच चालू रखा. 2015 में कंपनी और कर्मचारी अचानक गायब हो गए. जिसके बाद कंपनी में कार्यरत एजेंटों ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई.

Intro:पैसे डबल करने का लालच देकर लाखों की ठगी करने के मामले में दो गिरफ्तार...

सुकमा. चिटफंड कंपनी में निवेश कराकर रुपए दोगुना करने का झांसा देकर लोगों से ठगी करने के मामले में पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपी कंपनी में मैनेजर और डिप्टी मैनेजर के रूप में कार्यरत है. सुकमा पुलिस ने उड़ीसा राज्य के मलकानगिरी से दोनों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने आरोपियों के पास से एक बोलेरो वाहन, एक कंप्यूटर और दो लाख नगद बरामद किया है. इसके अलावा माइक्रोफाइनेंस कंपनी के चल-अचल संपत्ति बैंक अकाउंट कुर्क करने की कार्रवाई पुलिस द्वारा की जा रही है. फाइनेंस कंपनी के खिलाफ रायपुर में कई मामले दर्ज हैं. वहीं उड़ीसा में कंपनी के खिलाफ सीबीआई जांच भी चल रही है.


Body:अगस्त 2019 में माइक्रो फाइनेंस कंपनी में काम करने वाले एजेंटों ने कंपनी के खिलाफ धोखाधड़ी की लिखित शिकायत कोंटा थाने में की थी. जिसमें लोगों से पैसे दुगने करने का झांसा दिया गया था. कंपनी में काम करने वाले एजेंट भी इसका शिकार हुए थे. प्राप्त शिकायत के बाद कोंटा पुलिस ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करते हुए मामले की विवेचना में जुट गई. विवेचना के दौरान आरोपियों का पता, तलाश एवं आम लोग से एकत्रित किए गए पैसों की रिकवरी के लिए विशेष टीम गठित किया गया. टीम ने 21 जनवरी 2020 को मलकानगिरी से कंपनी के मैनेजर भावतोष चौधरी और डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली को अरेस्ट करने में सफलता हासिल की.

91 लाख 78 हजार लेकर फाइनेंस कंपनी हुई फरार...
उड़ीसा की माइक्रो फाइनेंस कंपनी ने वर्ष 2010 में कोंटा में एक ब्रांच खोला. जिसमें मैनेजर भवतोष चौधरी डिप्टी मैनेजर चंद्रकांत गोयली और कैशियर नारायण सरकार को नियुक्त किया. इन तीनों ने मिलकर कोंटा, दोरनापाल और केरला पाल के 11 लोगों को कंपनी में पैसा जमा कर दुगना राशि व अधिक ब्याज देने का लालच दिया. कर्मचारियों की बातों में आकर कंपनी के एजेंट के रूप में काम करने को तैयार हो गए. कोंटा विकासखंड के अंदरूनी इलाकों में कंपनी का प्रचार कर लोगों से पैसे लिए. कंपनी के झांसे में आकर सैकड़ों लोगों ने अपनी मेहनत की कमाई जमा कराई. करीब एक लाख 78 हजार की राशि कंपनी लेकर फरार हो गई.


Conclusion:लाइसेंस रद्द होने के बाद भी वसूलते रहे पैसा...
आरबीआई ने 2014 में ही माइक्रो फाइनेंस कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया था. उसके बाद भी कोंटा ब्रांच के कर्मचारियों द्वारा लोगों से पैसे दुगने का लालच देकर वसूलते रहे. 2015 में कंपनी बोरिया बिस्तर समेट लिया. जिसके बाद कंपनी में कार्यरत एजेंटों ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई.

बाइट01: शलभ सिन्हा, एसपी सुकमा
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