सुकमा: भगवान श्रीराम अपने वनवास काल के 14 वर्षों में से कुछ वक्त रामाराम के वन में बिताए थे. रामाराम के बाद श्रीराम का अगला पड़ाव इंजरम था. यहां पहुंचकर शिव की स्थापना कर महाकाल को मनाया था. सुकमा जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर और कोंटा से 10 किलोमीटर पहले इंजरम गांव पड़ता है. राष्ट्रीय राजमार्ग से 100 मीटर की दूरी पर रामायण काल की मूर्तियां यहां बिखरी पड़ी हैं.
श्रीराम का 119वां स्थान
इंजरम निवासी सुब्बाराव ने बताया कि दक्षिण गमन के दौरान श्रीराम रामाराम गांव के बाद इंजरम में समय बिताया था, जहां उनका 119वां स्थान है. यहां शबरी नदी में स्नान करने के बाद शिवलिंग की स्थापना की थी.
इंजरम में प्रमाण के रूप में क्षत-विक्षत स्थिति में पेड़ों के नीचे मूर्तियां आज भी रखी हुई हैं, जिनका इंजरम के ग्रामीण आज भी पूजा करते हैं.
गांव का नाम सिंगनगुड़ा से हुआ इंजरम
मान्यताओं के अनुसार रामायण काल में ऋषि इनजी का आश्रम इसी गांव में था. पूर्व में इंजरम गांव का नाम सिंगनगुड़ा था. श्रीराम के आने से गांव का नाम इंजरम पड़ा. ग्रामीण बताते हैं कि स्थानीय भाषा में 'इंजे राम वतोड़' यानी यहां राम आए थे. मान्यता यह भी है कि जब भी यहां मंदिर की स्थापना का काम शुरू किया जाता है, तो काम करने वाले मजदूर और अन्य कारीगर बीमार पड़ जाते हैं. ग्रामीण इसे राम की इच्छा मानकर खुले में छोड़ दिए हैं.