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इस आश्रम में 44 बेड पर सोते हैं 87 बच्चे, 75 छात्रों पर एक शिक्षक

रामपुराम के डब्बारास बालक आश्रम में मूलभूत आवश्यकताओं की कमी है. यहां बच्चों के पढ़ने के लिए न तो कमरे है और न ही उन्हें पढ़ाने के लिए शिक्षक हैं.

आश्रम के बच्चे
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Published : Sep 24, 2019, 8:14 AM IST

Updated : Sep 24, 2019, 12:24 PM IST

सुकमा: जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा जाने वाले रास्ते पर रामपुराम में संचालित डब्बारास बालक आश्रम अव्यवस्थाओं से घिरा है. यहां न ही बच्चों के पढ़ने और न ही रहने के लिए पर्याप्त कमरे हैं. आश्रम में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं तीन कमरे में लग रही हैं. वहीं प्राइमरी में 75 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक है.

इस आश्रम में 44 बेड पर सोते हैं 87 बच्चे

शिक्षक सुरेश सिंह सोरी ने बताया कि बच्चों के रहने के लिए आश्रम में 4 कमरे हैं. यहां पहली व आठवीं, सातवीं व दूसरी और आठवीं व तीसरी के बच्चों की कक्षाएं साथ-साथ लगती हैं. कक्षा चौथी और पांचवीं के बच्चों की पढ़ाई शयनकक्ष में ही होती है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में आश्रम में पहली से पांचवीं तक 75 बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके लिए एक ही शिक्षक है. शिक्षकों की कमी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

  • आश्रम में 44 बेड में 87 बच्चे के सोने की व्यवस्था है. इससे बच्चे परेशान हैं.
  • 30 सीटर के इस आश्रम भवन में 87 बच्चे पढ़ते हैं.
  • तीन कमरे में कक्षाएं लग रही हैं वहीं एक कक्ष में दफ्तर चल रहा है.
  • आश्रम में बाउंड्री वाल नहीं है. इससे बच्चों को आए दिन जानवरों का डर सताता रहता है.

व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास
सुरेश ने बताया कि शिक्षकों की कमी की शिकायत कई बार की जा चुकी है, लेकिन अब तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जिला शिक्षा अधिकारी डी समैय्या ने बताया कि जिले में आश्रमों में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या बेहद कम है. शिक्षकों की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है. डब्बारास आश्रम में भी जल्द शिक्षक की व्यवस्था करेंगे.

सुकमा: जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा जाने वाले रास्ते पर रामपुराम में संचालित डब्बारास बालक आश्रम अव्यवस्थाओं से घिरा है. यहां न ही बच्चों के पढ़ने और न ही रहने के लिए पर्याप्त कमरे हैं. आश्रम में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं तीन कमरे में लग रही हैं. वहीं प्राइमरी में 75 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक है.

इस आश्रम में 44 बेड पर सोते हैं 87 बच्चे

शिक्षक सुरेश सिंह सोरी ने बताया कि बच्चों के रहने के लिए आश्रम में 4 कमरे हैं. यहां पहली व आठवीं, सातवीं व दूसरी और आठवीं व तीसरी के बच्चों की कक्षाएं साथ-साथ लगती हैं. कक्षा चौथी और पांचवीं के बच्चों की पढ़ाई शयनकक्ष में ही होती है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में आश्रम में पहली से पांचवीं तक 75 बच्चे पढ़ रहे हैं, जिनके लिए एक ही शिक्षक है. शिक्षकों की कमी की वजह से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है.

  • आश्रम में 44 बेड में 87 बच्चे के सोने की व्यवस्था है. इससे बच्चे परेशान हैं.
  • 30 सीटर के इस आश्रम भवन में 87 बच्चे पढ़ते हैं.
  • तीन कमरे में कक्षाएं लग रही हैं वहीं एक कक्ष में दफ्तर चल रहा है.
  • आश्रम में बाउंड्री वाल नहीं है. इससे बच्चों को आए दिन जानवरों का डर सताता रहता है.

व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास
सुरेश ने बताया कि शिक्षकों की कमी की शिकायत कई बार की जा चुकी है, लेकिन अब तक इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया है. जिला शिक्षा अधिकारी डी समैय्या ने बताया कि जिले में आश्रमों में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या बेहद कम है. शिक्षकों की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है. डब्बारास आश्रम में भी जल्द शिक्षक की व्यवस्था करेंगे.

Intro:30 सीटर आश्रम भवन में रहे रहे 87 बच्चे, तीन कमरे में लग रही पहली से आठवीं तक की कक्षाएं, प्राइमरी के 75 बच्चों की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर...

सुकमा. जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर दंतेवाड़ा जाने वाले मार्ग पर स्थित रामपुराम में संचालित डब्बारास बालक आश्रम अव्यवस्थाओं से घिरा है। बच्चों के लिए न तो रहने के लिए पर्याप्त कमरे है और न ही पढ़ने के लिए। आश्रम में पहली से आठवीं तक की कक्षाएं लग रही है। मिडिल में 12 और प्राइमरी में 75 बच्चे अध्ययनरत हैं। कमरे की कमी के कारण कक्षा चौथी और पांचवी के बच्चों की कक्षाएं शयनकक्ष में ही लगती हैं। आश्रम में बाउंड्री वाल नहीं होने से बच्चों को अलग से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

44 बेड में सो रहे 87 बच्चे...
शिक्षक सुरेश सिंह सोरी ने बताया कि बच्चों के रहने के लिए आश्रम में 4 कमरे हैं। यहां 44 बेड में 87 बच्चे के सोने की व्यवस्था है। जिससे बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। तीन कमरे में कक्षाएं लग रही हैं तो आश्रम के एक कक्ष में दफ्तर चल रहा है। उन्होंने बताया कि पहली व आठवीं, सातवीं व दूसरी और आठवीं व तीसरी के बच्चों की कक्षाएं साथ-साथ लगती हैं। कक्षा चौथी और पांचवी के बच्चों की पढ़ाई शयनकक्ष में ही होती है।



Body:प्राइमरी में 75 बच्चों की जिम्मेदारी एक शिक्षक पर...
शिक्षक सुरेश सिंह सोरी ने बताया कि आश्रम से 3 शिक्षकों के जाने के बाद यहां शिक्षकों की कमी हो गई है। वर्तमान में आश्रम में पहली से पांचवी तक 75 बच्चे पढ़ रहे हैं। इनके लिए एक ह8 शिक्षक है। प्राइमरी स्तर की पढ़ाई के लिए कुल 18 काल खंड गई। शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। उन्होंने बताया कि शिक्षकों की कमी की शिकायत कई बार कर चुके हैं लेकिन कोई व्यवस्था नही की गई।


Conclusion:व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास है-डीईओ
जिला शिक्षा अधिकारी डी समैय्या ने बताया कि जिले में स्कूल आश्रमों में बच्चों के अनुपात में शिक्षकों की संख्या बेहद कम है। शिक्षकों की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है। डब्बारास आश्रम में भी जल्द शिक्षक की व्यवस्था करेंगे।

बाइट: छात्रों की बाइट
बाइट: सुरेश सोरी, शिक्षक
बाइट: डी समैय्या, जिला शिक्षा अधिकारी।
Last Updated : Sep 24, 2019, 12:24 PM IST
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