सुकमा: आदिवासियों की बेहतरी और उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध करने के छत्तीसगढ़ सरकार के फैसले से वनांचल के लोगों के जीवन में एक नई खुशी का संचार हुआ है. तेंदूपत्ता संग्रहण के पारिश्रमिक दर में वृद्धि के साथ ही लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी की छत्तीसगढ़ शासन की व्यवस्था ने वनवासियों के हितों को संरक्षित किया है. यही वजह है कि आदिवासी समुदाय के लोग इन दिनों खुशी-खुशी महुआ और अन्य लघु वनोपज के संग्रहण के काम में पूरे मन से जुटे हैं. इन दिनों महुआ फूल चुनने का उत्साह वनांचल के लोगों में देखते ही बनता है.
सुबह होते ही महिलाओं की टोली अपने हाथों में खाली टोकरी लिए हुए महुए के पेड़ों की ओर निकल पड़ती हैं. महुआ पेड़ के नीचे सुनहरी चादर के रूप में फैले महुआ फूल का संग्रहण कर घंटे दो घंटे में ही महिलाएं खुशी-खुशी अपने घर लौट आती हैं. छत्तीसगढ़ राज्य के वनांचल जिलों में सुकमा भी एक ऐसा जिला है जहां इन दिनों महुआ बीनने की होड़ मची है. जिले के आदिवासी इन दिनों महुआ के साथ-साथ अन्य लघु वनोपजों जैसे- इमली, हर्रा, बेहड़ा और चरोटा बीज का भी संग्रहण कर रहे हैं.
सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे वनवासी
कोरोना संक्रमण को देखते हुए वनवासी समुदाय भी लघु वनोपजों के संग्रहण के दौरान पूरी सावधानी बरत रहा है. घर से बाहर निकलते समय सभी आयु वर्ग के लोग अपने मुंह और नाक को गमछा, रूमाल या मास्क से अच्छी तरह से ढंके रहने के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कर रहे है.
इतने वनोपज की हो चुकी खरीदी
बता दें कि सुकमा जिले में अब तक समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज संग्राहकों से 56 लाख रूपए से अधिक के वनोपज खरीदे जा चुके हैं. जिले में वन धन विकास योजनांतर्गत महिला स्व-सहायता समूहों की ओर से अब तक 2 हजार 29 क्विंटल वनोपज की खरीदी की जा चुकी है, जिसमें 1 हजार 595 क्विंटल आटी इमली, 154 क्विंटल महुआ फूल, 7 क्विंटल हर्रा, 161 क्विंटल बेहड़ा, 99 क्विंटल चरोटा बीज और 9 क्विंटल फूलझाडू सहित अन्य वनोपज शामिल हैं.
महिला स्व सहायता समूह कर रहे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी किए जा रहे वनोपज का भुगतान संग्राहकों को तुरंत किया जा रहा है. जिले में वनधन विकास योजनान्तर्गत वनोपज संग्रहण कार्य में ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला समूहों की व्यापक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण संग्राहकों को उनके लघु वनोपज का उचित मूल्य उपलब्ध कराया जा रहा है. इन महिला समूहों की सहभागिता से आने वाले दिनों में ज्यादा से ज्यादा वनोपज का संग्रहण होने की उम्मीद है.