कोंटा: कोंटा विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. यहां से कवासी लखमा लगातार चार बार से ज्याद समय से चुनाव जीतते आ रहे हैं. लेकिन इस बार कवासी लखमा को चुनाव में कांटे की टक्कर मिलने की संभावना जताई जा रही है. लोगों में कवासी लखमा को नाराजगी की बात सामने आ रही है. पोलावरम बांध, नक्सल विरोधी सलवा जुडूम आंदोलन की यादें, स्वच्छ पेयजल की मांग, और शराब बिक्री को लेकर लोगों में नराजगी है.
कोंटा से कवासी लखमा पांच बार रह चुके हैं विधायक: कोंटा सीट से कवासी लखमा पांच बार से विधायक हैं. लेकिन इस बार उनकी स्थिति विकट होती नजर आ रही है. बीजेपी ने सलवा जुडूम आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले सोयम मुका को कवासी लखमा के खिलाफ मैदान में उतारा है. यहां एक और फैक्टर है जिसकी वजह से कवासी लखमा को काफी संघर्ष करना पड़ सकता है. उसकी वजह है कि यहां से सीपीआई नेता मनीष कुंजाम चुनाव लड़ रहे हैं. वह निर्दलीय मैदान में ताल ठोंक रहे हैं.
कोंटा सीट हाई प्रोफाइल सीट: कोंटा विधानसभा सीट हाईप्रोफाइल सीट है. यहां करीब तीन से चार क्षेत्रों में मंत्री कवासी लखमा और और उनके बेटे को चुनावी सभा के दौरान ग्रामीणों से बचकर निकलना पड़ा है. कवासी लखमा के बेटे हरीश कवासी को लेकर भी लोगों में गुस्सा देखने की बात सामने आ रही है. मंगलवार को किष्टाराम में कवासी लखमा के बेटे वोट की अपील के लिए गए हुए थे. इस दौरान उन्हें गांव वालों की नाराजगी का सामना करना पड़ा. बीते 5 सालों में गांव में कोई विकास कार्य नहीं होने का हवाला देते हुए ग्रामीणों ने हरीश कवासी को जमकर बातें सुनाई. उसके बाद उन्हें सुरक्षाबलों की बाइक पर बैठकर वहां से भागना पड़ा. हरीश कवासी गांव वालों को मनाने की कोशिश करते रहे. लेकिन गांव वाले नहीं माने.
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लोगों का आरोप है कि कवासी लखमा ने साल 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़े बड़े वादे किए थे. लेकिन उन्होंने उन वादों में से किसी भी वादे को पूरा नहीं किया है. इसलिए उनके खिलाफ गांव वालों ने मोर्चा खोल दिया है. बीजेपी इस मामले में अब कांग्रेस पर निशाना साध रही है. बीजेपी का कहना है कि लोगों की नाराजगी का फायदा यहां सोयम मुका को मिल सकता है. अब देखने वाली बात होगी कि कवासी लखमा के लिए साल 2023 का चुनाव कैसा साबित होता है.