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सुकमा : भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ीं PMGSY की सड़कें

सुकमा: जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनीं सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है. नक्सल प्रभावित इलाके की जर्जर सड़क लोगों के राहत से ज्यादा मुसीबत दे रही है. इलाके की कई सड़कें पूर्ण निर्माण से ही पहले ही उखड़ने लगी हैं.

सड़कें जर्जर हो चुकी है
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Published : Oct 2, 2019, 1:58 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 4:38 PM IST

सुकमा : जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बुड़दी से कमलापदर तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई गई थी, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

सड़कें जर्जर हो चुकी है

इसी साल मई महीने में बुड़दी से कमलापदर तक करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से 6 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण कराया गया था. निर्माण के 5 महीने बाद ही सड़क जर्जर हो चुकी है. सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गई है, जिससे राहगीरों का चलना भी दूभर हो गया है. गांव के लोग कुछ महीनों पहले तक काफी खुश थे, क्योंकि लंबे इंतजार के बाद उन्हें सड़क मिलने वाली थी, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. ठेकेदार ने सड़क में ऐसा भ्रष्टाचार किया कि निर्माण के 5 महीनों के अंदर ही सड़क से डामर बह गया और सिर्फ गिट्टी और गड्ढे ही बचे रह गए. खस्ताहाल और कच्ची सड़क की वजह से गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं. गांव वालों को लगा कि अब उनके घर तक एंबुलेंस पहुंचेगी और अन्य योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा, लेकिन निर्माण के चंद महीनों में ग्रामीणों की खुशियां मायूसी में बदल गई. गांव में एंबुलेंस तो दूर दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाता है.

तीन चरणों में होती है सड़कों की जांच
पीएमजीएसवाई की सड़कों की गुणवत्ता की जांच तीन चरणों में की जाती है. स्थानीय अधिकारियों के साथ एसक्यूएम यानी कि स्टेट क्वालिटी मॉनिटर और एनक्यूएम यानी नेशनल क्वालिटी मॉनिटर भी समय-समय पर सड़कों की जांच करते रहते हैं. सड़क का बेस, डामर की क्वालिटी और सड़क के अगल-बगल में छोड़े गए सोल्डर की हर पैमाने पर जांच की जाती है. इसके बाद ही सड़क को ओके कर ठेकेदार को भुगतान किया जाता है, लेकिन सुकमा जिले में पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने ऐसा खेल किया कि जिले के गुट्टागुड़ा, निर्गुन्डीपारा और कमला पदर समेत एक दर्जन से ज्यादा सड़कें पहली बारिश में ही जगह-जगह धंस गई है.

सुकमा : जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बुड़दी से कमलापदर तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़कें बनाई गई थी, जो अब पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है, जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

सड़कें जर्जर हो चुकी है

इसी साल मई महीने में बुड़दी से कमलापदर तक करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से 6 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण कराया गया था. निर्माण के 5 महीने बाद ही सड़क जर्जर हो चुकी है. सड़क में जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गई है, जिससे राहगीरों का चलना भी दूभर हो गया है. गांव के लोग कुछ महीनों पहले तक काफी खुश थे, क्योंकि लंबे इंतजार के बाद उन्हें सड़क मिलने वाली थी, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. ठेकेदार ने सड़क में ऐसा भ्रष्टाचार किया कि निर्माण के 5 महीनों के अंदर ही सड़क से डामर बह गया और सिर्फ गिट्टी और गड्ढे ही बचे रह गए. खस्ताहाल और कच्ची सड़क की वजह से गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते हैं. गांव वालों को लगा कि अब उनके घर तक एंबुलेंस पहुंचेगी और अन्य योजनाओं का लाभ उन्हें मिलेगा, लेकिन निर्माण के चंद महीनों में ग्रामीणों की खुशियां मायूसी में बदल गई. गांव में एंबुलेंस तो दूर दो पहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाता है.

तीन चरणों में होती है सड़कों की जांच
पीएमजीएसवाई की सड़कों की गुणवत्ता की जांच तीन चरणों में की जाती है. स्थानीय अधिकारियों के साथ एसक्यूएम यानी कि स्टेट क्वालिटी मॉनिटर और एनक्यूएम यानी नेशनल क्वालिटी मॉनिटर भी समय-समय पर सड़कों की जांच करते रहते हैं. सड़क का बेस, डामर की क्वालिटी और सड़क के अगल-बगल में छोड़े गए सोल्डर की हर पैमाने पर जांच की जाती है. इसके बाद ही सड़क को ओके कर ठेकेदार को भुगतान किया जाता है, लेकिन सुकमा जिले में पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने ऐसा खेल किया कि जिले के गुट्टागुड़ा, निर्गुन्डीपारा और कमला पदर समेत एक दर्जन से ज्यादा सड़कें पहली बारिश में ही जगह-जगह धंस गई है.

Intro:सुकमा में ग्रामीणो को राहत से ज्यादा मुसीबात का कारण बन रही करोड़ों की लागत से बनी प्रधान मंत्री की सड़कें...

सुकमा जिले में भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ रही प्रधान मंत्री की सड़कें...

सुकमा. छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं. यही वजह है कि निर्माण के चंद माह बाद ही यहां बनी नई सड़कें जर्जर हो गई हैं. नक्सलवाद के आढ़ में अधिकारी और ठेकेदार बड़े पैमाने में भ्रस्टाचार को अंजाम दे रहे हैं. दरअसल जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बुड़दी से कमलापदर तक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क बनाई गई थी जो अब पूरी तरह से फंस गई है.

आपको बता दें कि बुड़दी से कमलापदर तक करीब 1 करोड़ 80 लाख रुपए की लागत से 6 किलोमीटर की लंबी सड़क का निर्माण कराया गया है. इसका निर्माण इसी साल के मई माह में हुआ है. वहीं इस सड़क को बने अभी 5 महीने ही हुए थे कि सड़क जगह-जगह धंस गई है.

करीब डेढ़ करोड़ की लागत से बनी यह सड़क अब ग्रामीणों के लिए राहत से ज्यादा मुसीबत का कारण बन गई हैं. लोगों का इस सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है. इस गांव के लोग कुछ महीनों पहले तक काफी खुश थे, क्योंकि सालों लंबे इंतजार के बाद उन्हें सड़क मिलने वाली थी. लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी. ठेकेदार ने सड़क में ऐसा भ्रष्टाचार किया कि निर्माण के 5 महीनों के अंदर ही सड़क पर से डामर बह गया और सिर्फ गिट्टी और गड्ढे ही बचे हैं.


Body:खस्ताहाल और कच्ची सड़क की वजह से गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंच पाते थे. गाँव मे पक्की सड़क की खबर मिलते ही पूरे गांव में खुशियों का माहौल था. गांव वालों को लगा कि अब उनके घर तक एंबुलेंस पहुंचेगी और अन्य योजनाएं पहुंचेंग. घर बैठे सुविधाएं मिलेगा. लेकिन निर्माण के चंद महीनों में ग्रामीणों की खुशियां मायूसी में बदल गई है. गांव में एंबुलेंस तो दूर दोपहिया वाहन भी बड़ी मुश्किल से पहुंच पाती है. ग्रामीणों का कहना है कि डामर की पक्की सड़क से तो पुरानी मिट्टी की सड़क बेहतर थी. कम से कम मरीजों को साइकिल से स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया जा सकता था. आज आलम यह है कि दोपहिया वाहन से सफर करना बेहद कठिन हो गया है.

तीन चरणों में होती है सड़क को की जांच...
पीएमजीएसवाई की सड़कों की गुणवत्ता की जांच तीन चरणों में की जाती है. स्थानीय अधिकारियों के साथ एसक्यूएम यानी कि स्टेट क्वालिटी मॉनिटर और एनक्यूएम यानी नेशनल क्वालिटी मॉनिटर भी समय-समय पर सड़कों की जांच करते रहते हैं. सड़क का बेस, डामर की क्वालिटी और सड़क की अगल-बगल में छोड़े गए सोल्डर की हर पैमाने पर जांच की जाती है. इसके बाद ही सड़क को ok कर ठेकेदार को भुगतान किया जाता है. कम से कम सरकारी कागजों में लिखी प्रोसेस तो यही कहती है. लेकिन सुकमा जिले में पीएमजीएसवाई के अधिकारियों ने ऐसा खेल किया कि जिले के गुट्टागुड़ा, निर्गुन्डीपारा और कमला पदर समेत एक दर्जन से ज्यादा सड़कें पहली बारिश में ही जगह-जगह धस गई है.


Conclusion:सुकमा जिले में पीएमजीएसवाई सड़कों के निर्माण की जिम्मेदारी कार्यपालन अभियंता एसके सोनी साहब की है. लेकिन सोनी साहब गुणवत्ता विहीन सड़कों के निर्माण पर कुछ भी बोलने से बचते दिखे. सोनी साहब भी मानते हैं कि उनके इलाके की सड़कें खराब हुई है. उनका कहना है कि सभी सड़कें गारंटी अवधि में है और बारिश के बाद सड़कों को दोबारा बना लिया जाएगा.

बाइट 01: दीपक मरकाम, ग्रामीण
बाइट 02: शंकर लाल नाग, ग्रामीण
बाइट 03: चितरु नाग, वार्ड पंच
बाइट 04: सोमन बघेल, शिक्षक
Last Updated : Oct 2, 2019, 4:38 PM IST
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