सरगुजा: उत्तरी गोलार्ध में साल का एक दिन ऐसा होता है, जब आपकी परछाई आपको नहीं दिखाई देती है. यह घटना एक निश्चित समय, निश्चित स्थान पर ही घटती है. जिसे नो शैडो डे या जीरो शैडो डे के रूप से जाना जाता है. हर साल 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत होता है. यही वजह है कि कर्क रेखा के आसपास आपकी परछाई आपको ही दिखनी बंद हो जाती है. सरगुजा भी कर्क रेखा पर स्थित है. यहां भी लोगों को उनकी परछाई दिखनी बंद हो गई (no shadow day in surguja). ऐसी घटना पहली बार नहीं बल्कि हर साल होती है.
कर्क रेखा पर नो शैडो डे: शोधकर्ता अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं कि " 21 जून या 22 जून को नो शेडो डे होता है. नो शेडो डे सिर्फ उन स्थानों पर ही देखा जा सकता है, जहां से कर्क रेखा गुजरी है. कर्क रेखा वृत्त पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस दिन सूर्य कर्क रेखा पर लंबवत होता है. यानी इंसान के सिर के ठीक ऊपर सूर्य आता है. इस साल यह घटना सरगुजा में दोपहर 12 बजे से 12: 40 तक प्रभावित रही."
साल का सबसे बड़ा दिन भी आज: अक्षय मोहन भट्ट बताते हैं कि "आज ही साल का सबसे बड़ा दिन भी होता है. लगभग 13.33 घंटे का दिन होता है जबकि रात कम समय की होती है. उत्तरी गोलार्ध में कर्क रेखा पर सूर्य के लंबवत होने से दिन ज्यादा बड़ा होता है. जैसे-जैसे यह भूमध्य रेखा की ओर जाता है, वैसे ही दिन का समय घटता जाता है.
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सूर्य होता है सीधे सिर के ऊपर: यह अद्भुत खगोलीय घटना कर्क रेखा के क्षेत्र में घटती है. उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी पर वह अन्तिम रेखा, जहां तक सूर्य की किरणें लंबवत पड़ सकती हैं, उसे ही कर्क रेखा कहा गया है. यह रेखा 23.5 डिग्री उत्तर में स्थित है. मतलब भू मध्य वृत्त के केन्द्र से पृथ्वी की परिधि पर 23.5 डिग्री का कोण बनाने वाली बिंदु पर खींचा गया पूर्ण वृत्तीय चाप कर्क वृत्त कहलाता है.
सूर्य के नजदीक होने से अधिक गर्मी: इस वृत्त पर पूरे भारत वर्ष में एक बार 21 जून को सूर्य की किरणें सीधी या लंबवत होती है. इस दिन को कर्क संक्रांति दिवस भी कहा जाता है. 21 जून की तिथि में स्थिरता नहीं होती. कभी-कभी तिथि में विचलन भी होता है, जिससे यह घटना 22 जून को भी घटित होती है. इस तिथि को कर्क रेखा पर सूर्य के लंबवत हो जाने से या सबसे नजदीक होने से ऊष्मा भी बढ़ जाती है. जिससे इस तारीख के आस-पास गर्मी भी बढ़ जाती है.
विश्व के 18 देशों में कर्क रेखा वृत्त: कर्क रेखा वृत्त विश्व के 18 देश मेक्सिको, अल्जीरिया, माली, मिश्र, नाइजीरिया, मारीतिनिया, ओमान, यूएई, चीन, बहामास, ताइवान, चाड, बांग्लादेश, साऊदी अरब, लीबिया और भारत से होकर गुजरती है. भारत में कर्क रेखा 8 राज्यों से गुजरती है. जिनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ के किन जिलों से गुजरती है कर्क रेखा: छत्तीसगढ़ में कर्क रेखा बलरामपुर, सूरजपुर और कोरिया जिलों से गुजरती है. कर्क रेखा ग्लोब पर भूमध्य रेखा के समनांतर ‘साढ़े 23॰’ पर पश्चिम से पूर्व की ओर खिंची गई एक काल्पनिक रेखा है. यह भारत के 8 राज्यों गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और मिज़ोरम से होकर गुजरती है. छत्तीसगढ़ उन 8 राज्यों में शामिल है और छत्तीसगढ़ का विस्तार उत्तरी अक्षांश में 17॰46″ से 24॰5″ है और साढ़े 23॰ इसके बीच में आता है. इसलिए छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से के तीन जिले कोरिया, सूरजपुर और बलरामपुर से होकर कर्क रेखा गुजरती है.
क्या होता है नो शैडो डे या जीरो शैडो डे : नो शैडो डे वह दिन होता है, जब दिन के खास समय पर सूर्य हमारे सिर के ठीक ऊपर आ जाता है. जिसकी वजह से हमारी कोई छाया नहीं बन पाती. इस वजह से इस स्थिति को जीरो शैडो या नो शैडो कहा जता है. 21 जून को ऐसा होता है. जब सूर्य दक्षिण की ओर जाता दिखाई देता है. फिर 21 सितंबर को यह स्थिति समाप्त हो जाती है. इस तरह से पृथ्वी की 23.5 डिग्री अक्षांश उत्तर और दक्षिण के बीच यानि कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच ही जीरो शैडो की स्थिति आ पाती है. ऐसा इन दोनों रेखाओं के बीच हर जगह साल में दो ही बार हो पाता है.