सरगुजा: अंबिकापुर में ईटीवी भारत की खबर का असर हुआ है. अब अंबिकापुर में भी ब्रेन की चोट का इलाज संभव होगा. अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रामा सेंटर भवन निर्माण के साथ ही एमआरआई की सुविधा शुरू किए जाने को लेकर संकेत मिले हैं. गुरुवार को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया. सिंहदेव ने एमआरआई के लिए कंपनी के लोगों से भी चर्चा की. जुलाई से पहले एमआरआई मशीन उपलब्ध होने की संभावना जताई है.सिंहदेव वे ट्रामा सेंटर के निर्माणाधीन भवन का निरीक्षण कर चल रहे कार्यों का जायजा लिया.
खबर पर लिया संज्ञान: राजमाता देवेंद्र कुमारी सिंहदेव शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में मरीजों की सुविधा के लिए ट्रामा सेंटर के भवन का निर्माण चल रहा था. ईटीवी भारत ने खबर के माध्यम से लोगों की तकलीफ दिखाई थी. अंबिकापुर में ट्रामा सेंटर एमआरआई मशीन और न्यूरो सर्जन न होने के कारण रेफरल और फिर मौत पर चिंता जाहिर की थी. खबर प्रकाशन के बाद स्वास्थ्य मंत्री में इस पर संवेदनशीलता दिखाई है. एमआरआई मशीन लगाने को लेकर प्रयास चल रहे है. ट्रामा सेंटर भवन का निर्माण जारी है. एमआरआई मशीन की खरीदी की प्रक्रिया भी चल रही है. स्वास्थ्य मंत्री खुद अस्पताल पहुंचे और व्यवस्थाओं को जल्द शुरू करने के उद्देश्य से चर्चा की है. ईटीवी भारत ने 7 अप्रैल वर्ल्ड हेल्थ डे के दिन इस खबर प्रकाशित किया था.
14 करोड़ की है एमआरआई मशीन: मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन 14 करोड़ की लागत से विप्रो जीई कंपनी का 1.5 टेस्ला के एमआरआई मशीन की खरीदी करने जा रहा है. लेकिन इसके लिए सात करोड़ रुपए ही मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के खाते में मौजूद है. जबकि बाकी 7 करोड़ की राशि उपकरण मद से खर्च किए जाएंगे, जिसकी स्वीकृति के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है.
जून तक ट्रामा सेंटर तैयार होने की उम्मीद: विप्रो जीई कंपनी के चेतन व लक्ष्य राजदान सरगुजा पहुंचे थे. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे. उन्होंने अस्पताल प्रबंधन व कंपनी के लोगों के साथ एमआरआई मशीन की स्थापना के लिए जगह का निरीक्षण किया. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सीटी स्कैन कक्ष के बगल में खाली पड़े दो कमरों में एमआरआई मशीन लगाई जाएगी. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने कंपनी के लोगों से चर्चा कर जुलाई के अंत तक मशीन उपलब्ध कराने को कहा है. स्वास्थ्य मंत्री ने ट्रामा सेंटर के प्रथम तल का उद्घाटन भी 15 जून तक किए जाने की बात कही है.
सरगुजावासियों के लिये अभिशाप है हेड इंजरी: एक्सीडेंट में हेड इंजरी के मामले सरगुजा में अधिक आते हैं. लेकिन सरकारी अस्पताल में व्यवस्था न होने के कारण मरीजों को रायपुर जाना पड़ता है. हेड इंजरी का मरीज कई बार रास्ते में दम तोड़ देता है. या फिर अस्पताल पहुंचने के बाद उसकी मौत हो जाती है. कुछ मामलों में तो ये भी होता है कि मरीज इतना स्टेबल ही नहीं हो पाता कि उसे एम्बुलेंस से 300 किलोमीटर दूर भेजा जा सके.
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डॉक्टर की समस्या अब भी: अम्बिकापुर में जल्द ही ट्रामा सेंटर और एमआरआई मशीन लगाया जाएगा. इस विभाग में अब डाक्टर कैसे आएंगे? ये स्वास्थ्य मंत्री के सामने भी बड़ी चुनौती है. क्योंकि न्यूरो सर्जन तभी यहां आएंगे, जब उन्हें स्वतंत्र न्यूरोलॉजी विभाग मिलेगा. एनएमसी के नियमों के अनुसार न्यूरोलॉजी विभाग तब तक नहीं बन सकता जब तक अम्बिकापुर में पीजी का पहला बैच पास आउट नहीं हो जाता. लिहाजा तब तक टेम्परेरी व्यवस्था के तहत यहां डाक्टर पदस्थ करना होगा.