सरगुज़ा: सरगुजा में अधिकारी भ्रष्टाचार में इस कदर कंठ तक डूबे हैं कि वे अब जनप्रतिनिधियों को भी बख्श नहीं रहे हैं. अजब सिस्टम में गजब का खेल दिखाते हुए अधिकारियों ने विधायक मद (mla fund) की साढ़े तीन करोड़ रुपये की बड़ी रकम गलत तरीके से सांसद मद (mp fund) में ट्रांसफर कर दी. इतना ही नहीं इन मदों से लाखों रुपये बिना किसी रिकॉर्ड के आहरित भी कर दिए. इस कारण ऐसा शायद पहली मर्तबा हुआ है कि विधायक द्वारा विधायक निधि के पैसे के लिए दिये गये चेक बाउंस हो गये. यह गड़बड़ी वर्ष 2014-2019 के बीच की गई थी, लेकिन किसी को इसकी भनक तक नहीं लग सकी. चार करोड़ रुपये की इस गड़बड़ी खुलासा तब हुआ, जब प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विधायक मद का चेक बाउंस हो गया. विधायक मद का चेक बाउंस होने की जांच कलेक्टर ने कराई, तब जाकर यह गड़बड़ी उजागर हुई. प्रारंभिक जांच रिपोर्ट कलेक्टर संजीव कुमार झा ने शासन को भेज दी है, जिसके बाद अधिकारी को सस्पेंड करने के साथ ही विभागीय जांच शुरू कर दी गई है.
25 की जगह 32 करोड़ के कार्य कर दिये स्वीकृत
यह पूरा मामला पूर्व सांसद कमलभान सिंह व विधायक टीएस सिंहदेव के कार्यकाल का है. सांसद कमलभान सिंह के कार्यकाल में पांच वर्षों में 25 करोड़ रुपये आए, जबकि प्रति वर्ष तीनों विधायकों के मद में 6 करोड़ रुपये आए थे. साथ ही जनप्रतिनिधियों ने अपने-अपने मद से कार्यों की स्वीकृति भी प्रदान की थी. चूंकि सांसद कमलभान के कार्यकाल में नोडल जिला सरगुजा था, इसलिए तीनों जिलों के लिए राशि यहीं से जारी होती थी. इस दौरान तत्कालीन जिला सांख्यिकी अधिकारी एसके तिर्की ने 25 करोड़ की जगह 32 करोड़ रुपये के कार्य स्वीकृत कर दिए. ऐसे में अब बाकी 7 करोड़ रुपये की भरपाई कैसे होती. इसे लेकर खलबली मची तो तत्कालीन जिला सांख्यिकी अधिकारी ने फंड ट्रांसफर का खेल खेला और विधायकों के मद से सांसद के मद में 3 करोड़ 97 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए.
स्वास्थ्य मंत्री का चेक बाउंस
मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब क्षेत्रीय विधायक व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री के ही तीन चेक बाउंस हो गये. स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल में शेड निर्माण, मरम्मत कार्य के लिए 12 लाख 43 हजार 500 रुपये की स्वीकृति दी थी और इसके लिए 3.90 लाख, 4.45 लाख व 4 लाख 12 हजार 500 के चेक जारी किये थे. ये तीनों ही चेक बाउंस हो गए. चूंकि विधायक या सांसद मद से कार्य की स्वीकृति तभी दी जाती है, जब उस मद में राशि रहे. ऐसे में चेक बाउंस होने का सवाल ही नहीं था. चेक बाउंस होने पर अधिकारी भी हैरत में आ गए, क्योंकि उनके हिसाब से विधायक मद में राशि होनी चाहिए थी. इस मामले की जानकारी मिलने के बाद कलेक्टर संजीव कुमार झा ने पूरे मामले की बारीकी से जांच कराई तो मामले का खुलासा हो गया.
32 लाख की हेराफेरी का भी कोई रिकॉर्ड नहीं
जिला सांख्यिकी अधिकारी एसके तिर्की ने सिर्फ विधायक मद की राशि को सांसद मद में डालने का काम ही नहीं किया है बल्कि लाखों रुपए की गड़बड़ी भी की है. अधिकारियों के अनुसार सांसद मद का डबल एकाउंट का होता है, जबकि विधायक मद सिंगल एकाउंट का होता है. दोनों ही मदों से 2 प्रतिशत की राशि कार्यालयीय व्यय में खर्च करने की अनुमति होती है. अधिकारी ने इस नियम को भी ताक पर रखकर गड़बड़ी की है. तत्कालीन जिला सांख्यिकी अधिकारी ने 32 लाख रुपये अपने हस्ताक्षर से आहरित कर लिये. इसका भी कोई रिकॉर्ड नहीं है.
आरोप पत्र तामीला, अब होगी बर्खास्तगी की कार्रवाई
चार करोड़ रुपये की हेराफेरी की बड़ी गड़बड़ी उजागर होने के बाद कलेक्टर संजीव कुमार झा ने इसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी. शासन की ओर से इस मामले में तत्कालीन जिला सांख्यिकी अधिकारी एसके तिर्की को सस्पेंड करने के साथ ही उनके खिलाफ डीई चलाने का आदेश दिया गया है. अब इस मामले में आरोप पत्र भी तामीला कर दिया गया है, जिसके बाद उनकी बर्खास्तगी की कार्रवाई की जाएगी.