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अंबिकापुर में नवजात की मौत का मामला : निरीक्षण को पहुंचे स्टेट चाइल्ड हेल्थ नोडल, इन्फेक्शन से बचाव के दिये निर्देश

राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Rajmata Devendra Kumari Singhdeo Medical College Hospital) में बच्चों की हुई मौत के बाद शासन प्रशासन बेहद गंभीर नजर आ रही है. इस कड़ी में स्टेट चाइल्ड हेल्ड नोडल डॉ. विश्वनाथ भगत (State Child Held Nodal Dr. Vishwanath Bhagat) अस्पताल (Hospital) पहुंच औचक निरीक्षण किये. इस दौरान उन्होंने घंटों जांच के बाद डाक्टरों (Doctors) को इन्फेक्शन (Infection) बचाव को लेकर सख्त निर्देश दिये.

Child Health Nodal and Standard Program of Immunization Dr. Vishwanath Bhagat
औचक निरीक्षण को अस्पताल पहुंचे स्टेट चाइल्ड हेल्थ नोडल डॉ. विश्वनाथ भगत
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Published : Oct 20, 2021, 6:57 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: सरगुजा (Sarguja) के राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Rajmata Devendra Kumari Singhdeo Medical College Hospital) के एमसीएच (MCH) स्थित एसएनसीयू (SNCU) में हुई मौत के बाद शासन प्रशासन बेहद गंभीर नजर आ रहा है. ऐसे में बीते दिन एनएचएम की एमडी प्रियंका शुक्ला (NHM MD Priyanka Shukla) ने ऑनलाइन वीसी (Online VC) लेकर अस्पताल (Hospital) में व्यवस्थाओं की जानकारी ली. वहीं एमडी (MD) के निर्देश पर देर शाम तक रायपुर के स्टेट चाइल्ड हेल्थ नोडल डॉ. विश्वनाथ भगत(State Child Held Nodal Dr. Vishwanath Bhagat) भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical college hospital) पहुंच गये.

बच्चों की फाइलों का किया गहन अध्ययन

बताया जा रहा है कि डॉ. विश्वनाथ (Dr. Vishwanath) ने अस्पताल (Hospital) में एक एक नवजात बच्चे को खुद देखा और बच्चों की फाइलों का गहन अध्ययन किया. जिसके बाद अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों और उनके उपयोग के तरीकों का भी बारीकी से जायजा लिया.वहीं, जांच के दौरान उनका पूरा ध्यान इंफेक्शन (Infection) को लेकर था, क्योंकि ज्यादातर बच्चों की मौतें भी इंफेक्शन के कारण ही होती है. लिहाजा डॉ. विश्वनाथ ने एसएनसीयू में इंफेक्शन पहुंचने की छोटी-छोटी बारीकियों पर जांच की.

सफाई पर दिया बारीकी से ध्यान

जांच के दौरान उन्होंने वास बेसिन, हाथ धोने वाले नल, एसएनसीयू के अंदर जाने वाली चप्पल तक के बारे में चिकित्सकों से चर्चा की.साथ ही उन्हें सावधानी रखने को लेकरआवश्यक दिशा निर्देश भी दिया. बता दें कि मेडिकल कॉलेज के एमसीएच स्थित एसएनसीयू में 15-16 अक्टूबर को पांच नवजात बच्चों की मौत हुई थी. बच्चों की मौत वजन कम होने, बर्थ स्पेक्शिया, समय से पहले जन्म होने के कारण होने की बात सामने आई है. हालांकि बच्चों की मौत से प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है.

मामले को लेकर प्रशासन सतर्क

वहीं, बच्चों की मौत के मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि स्वास्थ्य मंत्री टी. एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) को दिल्ली दौरा (Delhi tour) छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वहीं, प्रभारी मंत्री शिव कुमार डहरिया (Minister in charge Shiv Kumar Dahria) और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) ने भी अस्पताल का दौरा किया, जबकि डीएमई द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण कर लौट चुकी है. यानी कि पूरी प्रशासन मामले को लेकर सतर्क है.

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एक और नवजात की मौत, 5 की हालत गंभीर इनमें 2 वेंटीलेटर पर

सफाई को लेकर चिकित्सकों को दिए निर्देश

इस कड़ी में बीते शाम एनएचएम के चाइल्ड हेल्थ नोडल व स्टैण्डर्ड प्रोग्राम ऑफ इम्यूनाइजेशन डॉ. विश्वनाथ भगत (Child Health Nodal and Standard Program of Immunization Dr. Vishwanath Bhagat) मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे. बताया जा रहा है कि शाम लगभग पांच बजे डॉ. विश्वनाथ अस्पताल पहुंचे, जहां से सीधे वो एसएनसीयू वार्ड गये. वो सिर्फ एसएनसीयू वार्ड में लगभग पांच घंटे से अधिक समय तक एक एक बच्चे के जांच की रिपोर्ट और केस का स्टडी करते रहे. इस दौरान मौत को लेकर एसएनसीयू विभाग प्रमुख डॉ. सुमन, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश भजगावली व अन्य डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ के साथ चर्चा की. साथ ही उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों को छोटी-छोटी कमियों को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.

इन्फेक्शन बचाव को लेकर दिए सख्त निर्देश

वहीं, जांच को पहुंचे विशेषज्ञ ने डॉक्टरों को बताया की एसएनसीयू में बच्चों की मौत के प्रमुख कारणों में इंफेक्शन भी होता है. नवजात बच्चों की मौत वजन कम होने, प्री मेच्योर होने के कारण तो होती ही है, लेकिन इसका एक कारण इंफेक्शन भी है. वार्ड में बच्चों तक इंफेक्शन नहीं फैले इसे लेकर उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि एक वार्मर में एक बच्चे को ही रखा जाए. इसके साथ ही उन्होंने वार्ड के बेसिन को लेकर आपत्ति जताई है. बेसिन छोटा होने के कारण डॉक्टर उनके सम्पर्क में आते है, जबकि बेसिन में लगा नल भी छोटा है. जिससे इंफेक्शन का खतरा रहता है. बड़ी बात यह है कि एसएनसीयू वार्ड में जाने वाले डॉक्टर व कर्मचारियों के चप्पल अलग होते है. लेकिन डॉक्टर जो चप्पल जूता बाहर से पहनकर आते है उसे वहां उतारने के बाद चप्पल पहनकर अंदर जाते है. लेकिन इस दौरान वहां बाहर से आया इंफेक्शन भी अंदर चला जाता है. इसलिए उन्होंने इस व्यवस्था को सुधारने के साथ ही अंदर व बाहर जाने का रास्ता बदलने का सुझाव दिया है. इस बीच बड़ी बात यह रही कि देर रात तक यह निरीक्षण चलता रहा.

सरगुजा: सरगुजा (Sarguja) के राजमाता देवेन्द्र कुमारी सिंहदेव मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Rajmata Devendra Kumari Singhdeo Medical College Hospital) के एमसीएच (MCH) स्थित एसएनसीयू (SNCU) में हुई मौत के बाद शासन प्रशासन बेहद गंभीर नजर आ रहा है. ऐसे में बीते दिन एनएचएम की एमडी प्रियंका शुक्ला (NHM MD Priyanka Shukla) ने ऑनलाइन वीसी (Online VC) लेकर अस्पताल (Hospital) में व्यवस्थाओं की जानकारी ली. वहीं एमडी (MD) के निर्देश पर देर शाम तक रायपुर के स्टेट चाइल्ड हेल्थ नोडल डॉ. विश्वनाथ भगत(State Child Held Nodal Dr. Vishwanath Bhagat) भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical college hospital) पहुंच गये.

बच्चों की फाइलों का किया गहन अध्ययन

बताया जा रहा है कि डॉ. विश्वनाथ (Dr. Vishwanath) ने अस्पताल (Hospital) में एक एक नवजात बच्चे को खुद देखा और बच्चों की फाइलों का गहन अध्ययन किया. जिसके बाद अस्पताल में उपलब्ध संसाधनों और उनके उपयोग के तरीकों का भी बारीकी से जायजा लिया.वहीं, जांच के दौरान उनका पूरा ध्यान इंफेक्शन (Infection) को लेकर था, क्योंकि ज्यादातर बच्चों की मौतें भी इंफेक्शन के कारण ही होती है. लिहाजा डॉ. विश्वनाथ ने एसएनसीयू में इंफेक्शन पहुंचने की छोटी-छोटी बारीकियों पर जांच की.

सफाई पर दिया बारीकी से ध्यान

जांच के दौरान उन्होंने वास बेसिन, हाथ धोने वाले नल, एसएनसीयू के अंदर जाने वाली चप्पल तक के बारे में चिकित्सकों से चर्चा की.साथ ही उन्हें सावधानी रखने को लेकरआवश्यक दिशा निर्देश भी दिया. बता दें कि मेडिकल कॉलेज के एमसीएच स्थित एसएनसीयू में 15-16 अक्टूबर को पांच नवजात बच्चों की मौत हुई थी. बच्चों की मौत वजन कम होने, बर्थ स्पेक्शिया, समय से पहले जन्म होने के कारण होने की बात सामने आई है. हालांकि बच्चों की मौत से प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है.

मामले को लेकर प्रशासन सतर्क

वहीं, बच्चों की मौत के मामले ने इतना तूल पकड़ लिया कि स्वास्थ्य मंत्री टी. एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) को दिल्ली दौरा (Delhi tour) छोड़कर वापस लौटना पड़ा. वहीं, प्रभारी मंत्री शिव कुमार डहरिया (Minister in charge Shiv Kumar Dahria) और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) ने भी अस्पताल का दौरा किया, जबकि डीएमई द्वारा गठित तीन सदस्यीय टीम मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण कर लौट चुकी है. यानी कि पूरी प्रशासन मामले को लेकर सतर्क है.

अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में एक और नवजात की मौत, 5 की हालत गंभीर इनमें 2 वेंटीलेटर पर

सफाई को लेकर चिकित्सकों को दिए निर्देश

इस कड़ी में बीते शाम एनएचएम के चाइल्ड हेल्थ नोडल व स्टैण्डर्ड प्रोग्राम ऑफ इम्यूनाइजेशन डॉ. विश्वनाथ भगत (Child Health Nodal and Standard Program of Immunization Dr. Vishwanath Bhagat) मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे. बताया जा रहा है कि शाम लगभग पांच बजे डॉ. विश्वनाथ अस्पताल पहुंचे, जहां से सीधे वो एसएनसीयू वार्ड गये. वो सिर्फ एसएनसीयू वार्ड में लगभग पांच घंटे से अधिक समय तक एक एक बच्चे के जांच की रिपोर्ट और केस का स्टडी करते रहे. इस दौरान मौत को लेकर एसएनसीयू विभाग प्रमुख डॉ. सुमन, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश भजगावली व अन्य डॉक्टरों व नर्सिंग स्टाफ के साथ चर्चा की. साथ ही उन्होंने अस्पताल के डॉक्टरों को छोटी-छोटी कमियों को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए.

इन्फेक्शन बचाव को लेकर दिए सख्त निर्देश

वहीं, जांच को पहुंचे विशेषज्ञ ने डॉक्टरों को बताया की एसएनसीयू में बच्चों की मौत के प्रमुख कारणों में इंफेक्शन भी होता है. नवजात बच्चों की मौत वजन कम होने, प्री मेच्योर होने के कारण तो होती ही है, लेकिन इसका एक कारण इंफेक्शन भी है. वार्ड में बच्चों तक इंफेक्शन नहीं फैले इसे लेकर उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि एक वार्मर में एक बच्चे को ही रखा जाए. इसके साथ ही उन्होंने वार्ड के बेसिन को लेकर आपत्ति जताई है. बेसिन छोटा होने के कारण डॉक्टर उनके सम्पर्क में आते है, जबकि बेसिन में लगा नल भी छोटा है. जिससे इंफेक्शन का खतरा रहता है. बड़ी बात यह है कि एसएनसीयू वार्ड में जाने वाले डॉक्टर व कर्मचारियों के चप्पल अलग होते है. लेकिन डॉक्टर जो चप्पल जूता बाहर से पहनकर आते है उसे वहां उतारने के बाद चप्पल पहनकर अंदर जाते है. लेकिन इस दौरान वहां बाहर से आया इंफेक्शन भी अंदर चला जाता है. इसलिए उन्होंने इस व्यवस्था को सुधारने के साथ ही अंदर व बाहर जाने का रास्ता बदलने का सुझाव दिया है. इस बीच बड़ी बात यह रही कि देर रात तक यह निरीक्षण चलता रहा.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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