सरगुजा: कहते हैं काल भी उससे डरता है, जो महाकाल का भक्त हो. भगवान शंकर (lord shiv) को तन पर भस्म लगाना भाता है. मोक्ष के देवता भोलेनाथ को जपने वालों के साथ कभी अमंगल नहीं होता. हर कष्ट, असामयिक मृत्यु से शिव उनकी रक्षा करते हैं. ETV भारत आपको अंबिकापुर के उस शिव मंदिर (shiv temple ambikapur) के दर्शन करा रहे हैं, जहां अद्भुत संयोग है.
अंबिकापुर के शंकर घाट में स्थित भगवान शिव का मंदिर अद्भुत स्थान और संयोग के बीच है. शास्त्र और धर्म के जानकार बताते हैं कि ऐसे संयोग में भगवान शिव का विराजित होना शुभकारी होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान भोलेनाथ के रहने का सबसे उत्तम स्थान वह होता है, जहां सबकुछ उनका प्रिय हो.इस स्थान पर है इन चीजों का संगम इस मंदिर की विशेषता ये है कि यहां नदी की बहती अविरल धारा, वट वृक्ष, पीपल का पेड़ और श्मसान घाट एक ही स्थान पर हैं. ऐसा संयोग बहुत कम ही देखने को मिलता है. यही वजह है कि सावन के महीने में हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां से कांवर में जल उठाते हैं. बारो महीने यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
जानकार बताते हैं कि ऐसे अद्भुत संयोग वाली जगह भगवान भोलेनाथ (bhagwan bholenath) को प्रिय है. यहां पर लोग अपनी आस्था लेकर आते हैं और भगवान भोलेनाथ उनकी मनोकामना पूरी करते हैं. सोमवार के दिन यहां पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है. इस बार मार्च 2021 में शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर निर्माण के 50 वर्ष पूरे हो हो चुके हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं की सन 1971 में महाशिवरात्रि के दिन यहां मंदिर के अंदर भगवान की स्थापना की गई थी और तब से आज तक महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है.भोले बाबा की पूजा अर्चना से लोगों की हर मनोकामना पूरी होती है.