सरगुजा: साल 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में अंबिकापुर को देश का दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब दिया गया था. ये खिताब यूं ही नहीं मिल गया था. इसके पीछे कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनकी मेहनत के कारण अंबिकापुर ने देश में एक अलग पहचान बनाई.
दरअसल, साल 2014 में तत्कालीन महिला कलेक्टर ने डोर टू डोर कचरे के कलेक्शन के लिए सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट (SLRM) के नाम से एक योजना बनाई थी. ये योजना आज न सिर्फ सैकड़ों लोगों की जीविका का साधन बना हुआ है, बल्कि शहर को गौरवान्वित भी कर रहा है.
वर्तमान में हैं 17 SLRM केंद्र
अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में फिलहाल 17 SLRM केंद्र हैं, जिनमें 461 स्वच्छता दीदी कार्यरत हैं. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए इन महिलाओं के पास खुद का 100 मैनुअल रिक्शा और 36 ई रिक्शा भी है, जिससे शहर के 48 वार्डों से रोजाना लगभग 51 मेट्रिक टन कचरा कलेक्ट किया जाता है.
गीले कचरे से बनाया जाता है जैविक खाद
इसके बाद कचरों को SLRM सेंटर पर लाकर, इनकी छंटाई की जाती है, जिसके बाद गीले कचरे से जैविक खाद और सूखे कचरे को रिसाइकलर उद्योगों को बेच दिया जाता है. वहीं प्लास्टिक पन्नी को प्रोसेस करके दाना बनाया जाता है.
वर्तमान में इस योजना से लगभग 20 लाख रुपए की आय हो रही है. इसी आय से यहां कार्यरत 461 स्वच्छता दीदीयों को 6 हजार रुपए का वेतन दिया जाता है.
हर जगह हो रही तारीफ
इस पहल की प्रदेश सहित पूरे देश में खूब तारीफ हो रही है. पिछले वर्ष मशूरी अकादमी से यहां आए 17 आईएएस ने इस प्रोजेक्ट को करीब से देखा. वहीं वर्तमान में प्रदेश की 166 निकायों ने इस प्रयोग को अपनाया है.
नीति आयोग ने सराही पहल
इस अनूठे प्रयोग की बदौलत न सिर्फ अंबिकापुर स्वच्छ हुआ बल्कि इसके लिए कई अवार्ड भी जीते. इसमें स्कॉच स्वच्छ भारत अवार्ड 2015, वी. रामचंद्रन अवार्ड 2016, स्वच्छता सर्वेक्षण 2016 में 2 लाख आबादी वाले शहरों में देश मे प्रथम स्थान, स्वच्छता ही सेवा अवार्ड 2017, इंटरनेशनल सीएसओ अवार्ड 2017, स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में बेस्ट प्रेक्टिस एन्ड इनोवेशन अवार्ड, स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब शामिल है. वहीं हाल ही में नीति आयोग ने भी इस पहल को सराहा है.