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मिलिए इन स्वच्छता दीदियों से, जिनके कारण अंबिकापुर बना भारत का दूसरा सबसे साफ शहर

अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में फिलहाल 17 SLRM केंद्र हैं, जिनमें 461 स्वच्छता दीदी कार्यरत हैं. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए इन महिलाओं के पास खुद का 100 मैनुअल रिक्शा और 36 ई रिक्शा भी है.

मिलिए इन दीदियों से, जिनके कारण अंबिकापुर बना भारत का दूसरा सबसे साफ शहर
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Published : May 21, 2019, 12:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: साल 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में अंबिकापुर को देश का दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब दिया गया था. ये खिताब यूं ही नहीं मिल गया था. इसके पीछे कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनकी मेहनत के कारण अंबिकापुर ने देश में एक अलग पहचान बनाई.

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दरअसल, साल 2014 में तत्कालीन महिला कलेक्टर ने डोर टू डोर कचरे के कलेक्शन के लिए सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट (SLRM) के नाम से एक योजना बनाई थी. ये योजना आज न सिर्फ सैकड़ों लोगों की जीविका का साधन बना हुआ है, बल्कि शहर को गौरवान्वित भी कर रहा है.

वर्तमान में हैं 17 SLRM केंद्र
अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में फिलहाल 17 SLRM केंद्र हैं, जिनमें 461 स्वच्छता दीदी कार्यरत हैं. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए इन महिलाओं के पास खुद का 100 मैनुअल रिक्शा और 36 ई रिक्शा भी है, जिससे शहर के 48 वार्डों से रोजाना लगभग 51 मेट्रिक टन कचरा कलेक्ट किया जाता है.

गीले कचरे से बनाया जाता है जैविक खाद
इसके बाद कचरों को SLRM सेंटर पर लाकर, इनकी छंटाई की जाती है, जिसके बाद गीले कचरे से जैविक खाद और सूखे कचरे को रिसाइकलर उद्योगों को बेच दिया जाता है. वहीं प्लास्टिक पन्नी को प्रोसेस करके दाना बनाया जाता है.

वर्तमान में इस योजना से लगभग 20 लाख रुपए की आय हो रही है. इसी आय से यहां कार्यरत 461 स्वच्छता दीदीयों को 6 हजार रुपए का वेतन दिया जाता है.

हर जगह हो रही तारीफ
इस पहल की प्रदेश सहित पूरे देश में खूब तारीफ हो रही है. पिछले वर्ष मशूरी अकादमी से यहां आए 17 आईएएस ने इस प्रोजेक्ट को करीब से देखा. वहीं वर्तमान में प्रदेश की 166 निकायों ने इस प्रयोग को अपनाया है.

नीति आयोग ने सराही पहल
इस अनूठे प्रयोग की बदौलत न सिर्फ अंबिकापुर स्वच्छ हुआ बल्कि इसके लिए कई अवार्ड भी जीते. इसमें स्कॉच स्वच्छ भारत अवार्ड 2015, वी. रामचंद्रन अवार्ड 2016, स्वच्छता सर्वेक्षण 2016 में 2 लाख आबादी वाले शहरों में देश मे प्रथम स्थान, स्वच्छता ही सेवा अवार्ड 2017, इंटरनेशनल सीएसओ अवार्ड 2017, स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में बेस्ट प्रेक्टिस एन्ड इनोवेशन अवार्ड, स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब शामिल है. वहीं हाल ही में नीति आयोग ने भी इस पहल को सराहा है.

सरगुजा: साल 2019 के स्वच्छता सर्वेक्षण में अंबिकापुर को देश का दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब दिया गया था. ये खिताब यूं ही नहीं मिल गया था. इसके पीछे कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनकी मेहनत के कारण अंबिकापुर ने देश में एक अलग पहचान बनाई.

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दरअसल, साल 2014 में तत्कालीन महिला कलेक्टर ने डोर टू डोर कचरे के कलेक्शन के लिए सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट (SLRM) के नाम से एक योजना बनाई थी. ये योजना आज न सिर्फ सैकड़ों लोगों की जीविका का साधन बना हुआ है, बल्कि शहर को गौरवान्वित भी कर रहा है.

वर्तमान में हैं 17 SLRM केंद्र
अंबिकापुर नगर निगम क्षेत्र में फिलहाल 17 SLRM केंद्र हैं, जिनमें 461 स्वच्छता दीदी कार्यरत हैं. डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिए इन महिलाओं के पास खुद का 100 मैनुअल रिक्शा और 36 ई रिक्शा भी है, जिससे शहर के 48 वार्डों से रोजाना लगभग 51 मेट्रिक टन कचरा कलेक्ट किया जाता है.

गीले कचरे से बनाया जाता है जैविक खाद
इसके बाद कचरों को SLRM सेंटर पर लाकर, इनकी छंटाई की जाती है, जिसके बाद गीले कचरे से जैविक खाद और सूखे कचरे को रिसाइकलर उद्योगों को बेच दिया जाता है. वहीं प्लास्टिक पन्नी को प्रोसेस करके दाना बनाया जाता है.

वर्तमान में इस योजना से लगभग 20 लाख रुपए की आय हो रही है. इसी आय से यहां कार्यरत 461 स्वच्छता दीदीयों को 6 हजार रुपए का वेतन दिया जाता है.

हर जगह हो रही तारीफ
इस पहल की प्रदेश सहित पूरे देश में खूब तारीफ हो रही है. पिछले वर्ष मशूरी अकादमी से यहां आए 17 आईएएस ने इस प्रोजेक्ट को करीब से देखा. वहीं वर्तमान में प्रदेश की 166 निकायों ने इस प्रयोग को अपनाया है.

नीति आयोग ने सराही पहल
इस अनूठे प्रयोग की बदौलत न सिर्फ अंबिकापुर स्वच्छ हुआ बल्कि इसके लिए कई अवार्ड भी जीते. इसमें स्कॉच स्वच्छ भारत अवार्ड 2015, वी. रामचंद्रन अवार्ड 2016, स्वच्छता सर्वेक्षण 2016 में 2 लाख आबादी वाले शहरों में देश मे प्रथम स्थान, स्वच्छता ही सेवा अवार्ड 2017, इंटरनेशनल सीएसओ अवार्ड 2017, स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 में बेस्ट प्रेक्टिस एन्ड इनोवेशन अवार्ड, स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में दूसरा सबसे साफ शहर का खिताब शामिल है. वहीं हाल ही में नीति आयोग ने भी इस पहल को सराहा है.

Intro:सरगुजा : कूड़ा कचरा भला भला किसे पसंद है, कौन अपने घर मे कचरा रखता है.? यह एक बेकार की चीज ही होती है जो गंदगी और संक्रमण फैलाती है, लिहाजा लोग इसे फेंक देते हैं, जाहिर है की गंदी चीजों को फेंकना ही मुनासिब है, लेकिन आपके फेंके कचरे किसी और कई समस्या का कारण बनते है, औऱ उनके निपटान का पूरा जिम्मा होता है आपकी नगर निकाय का, लेकिन सरगुजा जिले के अम्बिकापुर में अब ऐसा नही होता, यहां कोई कचरा नही फेंकता, बल्कि कचरे के तो अच्छे दिन आ गए हैं, और ये अच्छे दिन किसी नेता ने नही लाये बल्कि यहां की घरेलू महिलाओं ने लाये हैं, और इससे इन महिलाओं के भी अच्छे दिन आ चुके हैं।


घर पर खाना, बर्तन, झाड़ू तक सीमित रहने वाली महिलाएँ आज एक बड़े मैनजेमेंट का हिस्सा हैं, हिस्सा ही नही बल्कि इसकी पूरी जिम्मेदारी इन्ही के कांधों पर है, इन महिलाओं के प्रयास ने कचरे को काम का बना दिया है, और कचरे से पैसा कमाकर अपने शहर को इतना स्वच्छ बना दिया की अम्बिकापुर पूरे देश मे सफाई के लिए जाना जाता है।

दरअसल 2014 में तत्कालीन महिला कलेक्टर ने एक योजना बनाई की शहर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन किया जाएगा और इन कचरों को बेचकर उसी आमदनी से इस प्रोजेक्ट को चलाया जाएगा, इसे नाम दिया गया एस.एल.आर.एम. मतलब सॉलिड लिक्विड एन्ड वेस्ट मैनेजमेंट। इस आईएएस ने सिखाया की मैनेजमेंट बड़ी चीज है, और कचरे का ऐसा मैनेजमेंट किया की आज वही कचरा ना सिर्फ सैकड़ो लोगो की जीविका का साधन बना है बल्कि प्रदेश को ख्याति लब्ध कर रहा है।


अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में वर्तमान में 17 एसएलआरएम केंद्र हैं, जिनमे 461 स्वच्छता दीदियां कार्यरत हैं, डोर टू डोर कचरा कलेक्शन के लिये इन महिलाओं के पास खुद का 100 मैनुअल रिक्शा और 36 ई रिक्शा है। शहर के 48 वार्डो से प्रतिदिन लगभग 51 मेट्रिक टन कचरा कलेक्ट किया जाता है।

कचरा कलेक्शन के बाद इन्हें एसएलआरएम सेंटर में लाया जाता है, जहां सूखा और गीला कचरा छांट कर अलग अलग किया जाता है। गीले कचरे से जैविक खाद बनाई जाती है, और सूखे कचरे को रिसाइकलर उद्दोगों को बेच दिया जाता है। वहीं प्लाटिक पन्नी को प्रोसेस करके दाना बनाया जाता है।

वर्तमान में इस काम से लगबग 15 लाख प्रतिमहीने की आय सिर्फ यूजर चार्ज से होती है, यह वह चार्ज है जो कचरा उठाने के नाम पर शहर के हर घर से लोग प्रतिमाह देते हैं, इसके आलवा कचरे को बेच कर प्रतिमाह करीब 5 लाख की आय होती है। और इसी आय से यहां कार्यरत 461 स्वच्छता दीदियां 6 हजार रुपये प्रतिमाह कमाती हैं।

इस काम की खूब तारीफ हुई प्रदेश सहित पूरे देश से लोग इसे देखने और सीखने अम्बिकापुर आते हैं, मशूरी अकादमी से पिछले वर्ष 17 आईएएस यहां आए और इस प्रोजेक्ट को करीब से देखा, वर्तमान में प्रदेश की 166 निकायों ने मिशन क्लीन सिटी के जरिये इस प्रयोग को अपनाया है।




Body:खिताबों की लंबी है फेहरिस्त

इस अनूठे प्रयोग की बदौलत ना सिर्फ अम्बिकापुर स्वच्छ हुआ बल्कि इसके लिए स्कॉच स्वच्छ भारत अवार्ड 2015, वी. रामचंद्रन अवार्ड 2016, स्वच्छता सर्वेक्षण 2016 में 2 लाख आबादी वाले शहरों में देश मे प्रथम स्थान, स्वच्छता ही सेवा अवार्ड 2017, इंटरनेशनल सीएसओ अवार्ड 2017, स्वछ सर्वेक्षण 2018 में बेस्ट प्रेक्टिस एन्ड इनोवेशन अवार्ड, वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 में अम्बिकापुर नगर निगम को भारत की दूसरे सबसे साफ शहर का खिताब दिया गया है। इसके साथ ही हालही ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तरीके को नीति आयोग ने भी सराहा है, और अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर अम्बिकापुर का जिक्र किया है।

पीटीसी ओपनिंग_देश दीपक गुप्ता

बाईट01_नीलम बखला (अध्यक्ष सिटी लेबल फेडरेशन)

बाईट02_मनोज सिंह, कमिश्नर नगर निगम अम्बिकापुर

पीटीसी क्लोजिंग_देश दीपक गुप्ता


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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