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SPECIAL: बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा है गौठान, मुख्यमंत्री ने किया था शुभारंभ

सरगुजा में मवेशियों के लिए बनाए गए गौठान खाली पड़े हैं. यहां के सरगवां गौठान में एक भी मवेशी नहीं हैं. हालांकि इस गौठान में गोबर से खाद बनाने के काम के साथ ही वृक्षारोपण का काम किया जा रहा है.

gothan deserted without cattle
बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान
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Published : Jun 28, 2020, 8:42 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: जिले के कई गौठान बिना मवेशियों के सूने पड़े हैं. जिस उद्देश्य से गौठानों का निर्माण किया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति सरगुजा में नहीं हो पा रही है. क्योंकि यहां के ज्यादातर गौठानों में गाय या दूसरे मवेशी ही नहीं हैं. ऐसा ही कुछ सरगवां गौठान में भी देखने को मिल रहा है.

बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

साल भर पहले सीएम भूपेश बघेल ने किया सरगवां गौठान का उद्घाटन

3 जून 2019 को प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी योजना के रूप में नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना के तहत बनाए गए आदर्श गौठान का शुभारंभ अंबिकापुर के सरगंवा में किया था. गौ वंश को संरक्षित और गौ धन की उपयोगिता का लाभ लेने की दृष्टि से वाकई ये बहुत बड़ी योजना है. जिसे एक उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है. लेकिन लगभग पूरे सरगुजा में गौठान मवेशी विहीन हैं. यहां गौठान तो बने हैं, लेकिन वहां गाय या अन्य मवेशी नहीं दिखते.

fertilizer being made in gothan
गौठान में बनाई जा रही खाद

ETV भारत ने की सरगवां गौठान की पड़ताल

गौठान के शुभारंभ के सालभर बाद ETV भारत ने सरगवां गौठान की पड़ताल की. पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ कि ग्राम पंचायत और स्व सहायता समूह के माध्यम से गौठान में नित नए प्रयोग कर रुपये तो खर्च किए जा रहे हैं लेकिन, सबसे अहम गाय ही गौठान से गायब है. खुद स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष सोमनाथ मरावी कहते हैं की गाय यहां नहीं है, लेकिन वो पौधा रोपण का काम करवा रहे हैं.

gothan deserted without cattle
बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

गौठान में मवेशी नहीं लेकिन बनाया जा रहा खाद

इस गौठान में गोबर से खाद बनाने का काम भी जारी है, लेकिन सवाल ये है की जब गाय ही नहीं हैं तो खाद बनाने के लिये गोबर कहां से मिल रहा है.

plantation being done in gothan
गौठान में किया जा रहा वृक्षारोपण
मशरूम उत्पादन भी हुआ बंद
इतना ही नहीं जिला पंचायत ने यहां मशरूम का उत्पादन भी शुरू कराया है. लेकिन अब वो भी ठंडे बस्ते में है. इसके पीछे स्व सहायता समूह के अध्यक्ष का कहना है कि गर्मी की वजह से मशरूम उत्पादन बंद किया गया है. अगस्त के मौसम में मशरूम उत्पादन दोबारा शुरू किया जाएगा.
fertilizer being made in gothan
गौठान में बनाई जा रही खाद

जंगल में ना चारा की कमी और ना ही जगह की

दरअसल सरगुजा के किसानों और पशुपालकों को जंगलों में आसानी से चारा मिल जाता है. इसके अलावा उनके पास गायों को बांधने के लिए पर्याप्त जगह है. इस वजह से लोग अपने गायों और दूसरे मवेशियों को गौठान भेजना नहीं चाहते. क्योंकि इससे अधिक सरल उन्हें गाय को घर में रखना लगता है. यही वो बड़ी वजह है की सरगुजा में गौठान उतने सफल नहीं हो पा रहे है जितना की प्रदेश के मैदानी हिस्सों में हैं.

gothan deserted without cattle
बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी

बता दें कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता में आते ही यहां के गांवों को विकसित करने नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी नाम की योजना की शुरूआत की. सरकार का मानना है कि इस योजना के माध्यम से भूजल रीचार्ज, सिंचाई, ऑर्गेनिक खेती में मदद, किसानों को लाभ मिलने के साथ पशुधन की भी उचित देखभाल हो सकेगी. इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी और पोषण स्तर में भी सुधार आएगा.

plantation being done in gothan
गौठान में किया जा रहा वृक्षारोपण

नरवा- इसके तहत नालों और नहरों में चेक डेम का निर्माण किया जा रहा है. ताकि बारिश के पानी का संरक्षण हो सके और वाटर रीचार्ज से गिरते भू-जलस्तर पर रोक लग सके. जिससे किसानों को खेती के लिए कभी पानी की कमी नहीं होगी.

गरुवा- इसके तहत गांवों में जो भी पशु धन हैं, उन्हें गौठान या एक ऐसा डे-केयर सेंटर उपलब्ध करवाना है, जिसमें वे आसानी से रह सकें. इन गौठानों में उन्हें चारा, पानी उपलब्ध कराने के साथ गायों और दूसरे मवेशियों की उचित देखभाल भी किया जाना है. इससे ना सिर्फ पशुओं को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है.

घुरवा- ये वो गड्ढा होता है जहां मवेशियों का गोबर और या उनके दूसरे वेस्ट प्रोडक्ट का संग्रहण कर गोबर गैस या खाद बनाई जाती है.

बाड़ी- छत्तीसगढ़ में बाड़ी का काफी महत्व है. यहां गांव में लगभग हर घर के साथ बाड़ी लगी रहती है जिसमें साग-सब्जी और फल-फूल के पेड़-पौधे लगाए जाते हैं. इस बाड़ी से लोगों को घर की ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिलती हैं.

सरगुजा: जिले के कई गौठान बिना मवेशियों के सूने पड़े हैं. जिस उद्देश्य से गौठानों का निर्माण किया गया था, उस उद्देश्य की पूर्ति सरगुजा में नहीं हो पा रही है. क्योंकि यहां के ज्यादातर गौठानों में गाय या दूसरे मवेशी ही नहीं हैं. ऐसा ही कुछ सरगवां गौठान में भी देखने को मिल रहा है.

बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

साल भर पहले सीएम भूपेश बघेल ने किया सरगवां गौठान का उद्घाटन

3 जून 2019 को प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने प्रदेश की सबसे महत्वाकांक्षी योजना के रूप में नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना के तहत बनाए गए आदर्श गौठान का शुभारंभ अंबिकापुर के सरगंवा में किया था. गौ वंश को संरक्षित और गौ धन की उपयोगिता का लाभ लेने की दृष्टि से वाकई ये बहुत बड़ी योजना है. जिसे एक उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है. लेकिन लगभग पूरे सरगुजा में गौठान मवेशी विहीन हैं. यहां गौठान तो बने हैं, लेकिन वहां गाय या अन्य मवेशी नहीं दिखते.

fertilizer being made in gothan
गौठान में बनाई जा रही खाद

ETV भारत ने की सरगवां गौठान की पड़ताल

गौठान के शुभारंभ के सालभर बाद ETV भारत ने सरगवां गौठान की पड़ताल की. पड़ताल में इस बात का खुलासा हुआ कि ग्राम पंचायत और स्व सहायता समूह के माध्यम से गौठान में नित नए प्रयोग कर रुपये तो खर्च किए जा रहे हैं लेकिन, सबसे अहम गाय ही गौठान से गायब है. खुद स्वयं सहायता समूह के अध्यक्ष सोमनाथ मरावी कहते हैं की गाय यहां नहीं है, लेकिन वो पौधा रोपण का काम करवा रहे हैं.

gothan deserted without cattle
बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

गौठान में मवेशी नहीं लेकिन बनाया जा रहा खाद

इस गौठान में गोबर से खाद बनाने का काम भी जारी है, लेकिन सवाल ये है की जब गाय ही नहीं हैं तो खाद बनाने के लिये गोबर कहां से मिल रहा है.

plantation being done in gothan
गौठान में किया जा रहा वृक्षारोपण
मशरूम उत्पादन भी हुआ बंद
इतना ही नहीं जिला पंचायत ने यहां मशरूम का उत्पादन भी शुरू कराया है. लेकिन अब वो भी ठंडे बस्ते में है. इसके पीछे स्व सहायता समूह के अध्यक्ष का कहना है कि गर्मी की वजह से मशरूम उत्पादन बंद किया गया है. अगस्त के मौसम में मशरूम उत्पादन दोबारा शुरू किया जाएगा.
fertilizer being made in gothan
गौठान में बनाई जा रही खाद

जंगल में ना चारा की कमी और ना ही जगह की

दरअसल सरगुजा के किसानों और पशुपालकों को जंगलों में आसानी से चारा मिल जाता है. इसके अलावा उनके पास गायों को बांधने के लिए पर्याप्त जगह है. इस वजह से लोग अपने गायों और दूसरे मवेशियों को गौठान भेजना नहीं चाहते. क्योंकि इससे अधिक सरल उन्हें गाय को घर में रखना लगता है. यही वो बड़ी वजह है की सरगुजा में गौठान उतने सफल नहीं हो पा रहे है जितना की प्रदेश के मैदानी हिस्सों में हैं.

gothan deserted without cattle
बिना मवेशियों के सुनसान पड़ा गौठान

नरवा, गरुवा, घुरवा बाड़ी

बता दें कि छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने सत्ता में आते ही यहां के गांवों को विकसित करने नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी नाम की योजना की शुरूआत की. सरकार का मानना है कि इस योजना के माध्यम से भूजल रीचार्ज, सिंचाई, ऑर्गेनिक खेती में मदद, किसानों को लाभ मिलने के साथ पशुधन की भी उचित देखभाल हो सकेगी. इस योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी और पोषण स्तर में भी सुधार आएगा.

plantation being done in gothan
गौठान में किया जा रहा वृक्षारोपण

नरवा- इसके तहत नालों और नहरों में चेक डेम का निर्माण किया जा रहा है. ताकि बारिश के पानी का संरक्षण हो सके और वाटर रीचार्ज से गिरते भू-जलस्तर पर रोक लग सके. जिससे किसानों को खेती के लिए कभी पानी की कमी नहीं होगी.

गरुवा- इसके तहत गांवों में जो भी पशु धन हैं, उन्हें गौठान या एक ऐसा डे-केयर सेंटर उपलब्ध करवाना है, जिसमें वे आसानी से रह सकें. इन गौठानों में उन्हें चारा, पानी उपलब्ध कराने के साथ गायों और दूसरे मवेशियों की उचित देखभाल भी किया जाना है. इससे ना सिर्फ पशुओं को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि ग्रामीणों को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिल रहा है.

घुरवा- ये वो गड्ढा होता है जहां मवेशियों का गोबर और या उनके दूसरे वेस्ट प्रोडक्ट का संग्रहण कर गोबर गैस या खाद बनाई जाती है.

बाड़ी- छत्तीसगढ़ में बाड़ी का काफी महत्व है. यहां गांव में लगभग हर घर के साथ बाड़ी लगी रहती है जिसमें साग-सब्जी और फल-फूल के पेड़-पौधे लगाए जाते हैं. इस बाड़ी से लोगों को घर की ताजी और ऑर्गेनिक सब्जियां मिलती हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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