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मिलिए 'पैड टीम' से, जो हर महीने 15 हजार फ्री सेनिटरी नैपकिन बांटती है - सेनिटरी पैड

सरगुजा साइंस ग्रुप के डायरेक्टर अंचल ओझा 2014 से आदिवासी महिलाओं को जागरूक करने का काम अपनी टीम के साथ कर रहे हैं. उनकी टीम हर महीने 15 हजार फ्री सेनिटरी नैपकिन बांटती है.

Surguja Science Group
सरगुजा साइंस ग्रुप
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Published : May 28, 2020, 10:15 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर हम आपको मिलवा रहे हैं छत्तीसगढ़ की पैड टीम से. सरगुजा साइंस ग्रुप के डायरेक्टर अंचल ओझा 2014 से ऐसी जागरूकता फैला रहे हैं कि उन्हें लोग पैड मैन कहकर बुलाने लगे हैं. उनकी टीम माहवारी के प्रति जागरूकता फैला रही है. खासतौर पर गांव की महिलाओं को अवेयर किया जाता है. अंचल कहते हैं कि महिलाएं और लड़कियां घर में भी इसकी बात नहीं करती, जिसे बदलना होगा.

सरगुजा साइंस ग्रुप बांटती है फ्री सेनिटरी नैपकिन

ग्रुप की सदस्य सरगुजा संभाग के गांव-गांव में जाकर आदिवासी महिलाओं को जागरूक करती हैं. उन्हें माहवारी के समय की जाने वाली विशेष सुरक्षा की जानकारी देती हैं और मुफ्त में सेनिटरी नैपकिन भी देती हैं. अंचल कहते हैं कि इस काम में जो सबसे बड़ी चुनौती है, वो है ग्रामीण महिलाओं को माहवारी पर बात करने और सेनिटरी पैड के उपयोग के लिए तैयार करना. ग्रुप के सदस्य न सिर्फ सेनिटरी नैपकिन देकर उसका उपयोग सिखाते हैं, बल्कि हर महीने इस बात का फॉलोअप भी लेते हैं कि महिलाएं सेनिटरी पैड का उपयोग कर रही हैं या नहीं.

70 से अधिक सरकारी स्कूल जुड़े

सरगुजा साइंस ग्रुप के साथ 70 से अधिक सरकारी स्कूल जुड़े हुए हैं, जिनमे 15 हजार बच्चियों को हर महीने निःशुल्क सेनिटरी पैड बांटा जाता है. 2014 से अब तक लगभग 9 से 10 लाख पैड वितरीत किए जा चुके हैं. इसके अलावा अंबिकापुर के पीजी कॉलेज, साइंस कॉलेज और गर्ल्स स्कूल में सेनिटरी पैड की वेंडिंग मशीन इस ग्रुप ने निःशुल्क लगवा दी है. जिसमें मात्र एक रुपए का सिक्का डालने पर मशीन एक सेनिटरी पैड देती है.

माहवारी स्वच्छता दिवस सही मायने में ऐसी ही संस्थाओं की बदौलत मनाया जा सकता है, जो ग्राउंड पर एक ऐसे कठिन विषय पर काम कर रही हैं, जिस पर कोई बात भी नहीं करना चाहता.

पढ़ें - केरल से अंबिकापुर पहुंची पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन, 513 मजदूर पहुंचे अपने गांव

सरगुजा: विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस पर हम आपको मिलवा रहे हैं छत्तीसगढ़ की पैड टीम से. सरगुजा साइंस ग्रुप के डायरेक्टर अंचल ओझा 2014 से ऐसी जागरूकता फैला रहे हैं कि उन्हें लोग पैड मैन कहकर बुलाने लगे हैं. उनकी टीम माहवारी के प्रति जागरूकता फैला रही है. खासतौर पर गांव की महिलाओं को अवेयर किया जाता है. अंचल कहते हैं कि महिलाएं और लड़कियां घर में भी इसकी बात नहीं करती, जिसे बदलना होगा.

सरगुजा साइंस ग्रुप बांटती है फ्री सेनिटरी नैपकिन

ग्रुप की सदस्य सरगुजा संभाग के गांव-गांव में जाकर आदिवासी महिलाओं को जागरूक करती हैं. उन्हें माहवारी के समय की जाने वाली विशेष सुरक्षा की जानकारी देती हैं और मुफ्त में सेनिटरी नैपकिन भी देती हैं. अंचल कहते हैं कि इस काम में जो सबसे बड़ी चुनौती है, वो है ग्रामीण महिलाओं को माहवारी पर बात करने और सेनिटरी पैड के उपयोग के लिए तैयार करना. ग्रुप के सदस्य न सिर्फ सेनिटरी नैपकिन देकर उसका उपयोग सिखाते हैं, बल्कि हर महीने इस बात का फॉलोअप भी लेते हैं कि महिलाएं सेनिटरी पैड का उपयोग कर रही हैं या नहीं.

70 से अधिक सरकारी स्कूल जुड़े

सरगुजा साइंस ग्रुप के साथ 70 से अधिक सरकारी स्कूल जुड़े हुए हैं, जिनमे 15 हजार बच्चियों को हर महीने निःशुल्क सेनिटरी पैड बांटा जाता है. 2014 से अब तक लगभग 9 से 10 लाख पैड वितरीत किए जा चुके हैं. इसके अलावा अंबिकापुर के पीजी कॉलेज, साइंस कॉलेज और गर्ल्स स्कूल में सेनिटरी पैड की वेंडिंग मशीन इस ग्रुप ने निःशुल्क लगवा दी है. जिसमें मात्र एक रुपए का सिक्का डालने पर मशीन एक सेनिटरी पैड देती है.

माहवारी स्वच्छता दिवस सही मायने में ऐसी ही संस्थाओं की बदौलत मनाया जा सकता है, जो ग्राउंड पर एक ऐसे कठिन विषय पर काम कर रही हैं, जिस पर कोई बात भी नहीं करना चाहता.

पढ़ें - केरल से अंबिकापुर पहुंची पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन, 513 मजदूर पहुंचे अपने गांव

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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