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आषाढ़ माह के पहले दिन और रामगढ़ पर्वत का है गहरा संबंध, जानिए क्या है मान्यता?

सरगुजा में स्थित रामगढ़ पर्वत (Ramgarh Hill ) और आषाढ़ महीने के पहले दिन को लेकर छत्तीसगढ़ में धार्मिक मान्यताएं हैं. (religious beliefs in chhattisgarh) कहते हैं महाकवि कालिदास(Mahakavi Kalidas) ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना रामगढ़ पर्वत पर की थी. (religious beliefs of Ramgarh Hill) मान्यता है कि मेघ उनके विरह के संदेश अलकापुरी पहुंचा रहे थे. वो दिन भी आषाढ़ महीने का पहला दिन था. 41 सालों से हर साल आषाढ़ महीने के पहले दिन (first day of ashadha month ) रामगढ़ महोत्सव (Ramgarh Festival) का आयोजन किया जाता है. लेकिन कोरोना काल के कारण इस साल रामगढ़ महोत्सव नहीं मनाया जा रहा. ETV BHARAT आषाढ़ मास के प्रथम दिन आपको रामगढ़ पर्वत और उसकी विषेष मान्याताओं के बारे में बता रहा है.

Religious belief of Ramgarh mountain located in Surguja
सरगुजा में स्थित रामगढ़ पर्वत की धार्मिक मान्यता
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Published : Jun 25, 2021, 10:11 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: आज आषाढ़ मास का पहला दिन है. अंबिकापुर से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ पर्वत (Ramgarh Hill ) को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि इसी पर्वत पर बैठकर महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना की थी. कहते हैं जब कालिदास पत्नी विरह में मेघ पत्र लिख रहे थे, वो दिन भी आषाढ़ महीने का पहला दिन था. (first day of ashadha month ) रामगढ़ के पर्वत पर महाकवि कालीदास विरह कर मेघ में पत्र लिख रहे थे. मेघ उनके संदेश अलकापुरी पहुंच रहे थे.

सरगुजा में स्थित रामगढ़ पर्वत की धार्मिक मान्यता

सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में स्थित रामगढ़ पर्वत पर हर साल विशाल मेले का आयोजन आषाढ़ के पहले दिन किया जाता है. जिसमें देश भर से संस्कृत और हिंदी के कवि और शोधकर्ता आते हैं. महाकवि कालिदास (Mahakavi Kalidas) और रामगढ़ के प्रमाण स्वरूप उस दिन शोध पत्र का वाचन भी किया जाता है. प्रशासन के द्वारा विभिन्न साहित्यिक आयोजन 2 दिवस तक आयोजित किये जाते हैं. इस कोरोना संक्रमण के हालातों को देखते हुए ऐसे आयोजन नहीं किए गए हैं. ETV BHARAT आषाढ़ मास के प्रथम दिन आपको रामगढ़ पर्वत और उसके विशेष मान्यता के बारे में बता रहा है. (religious beliefs of Ramgarh Hill)

Ramgarh mountain is included in Ram Van Gaman Path
रामवनगमन पथ में शामिल है रामगढ़ पर्वत

41 सालों से हो रहा था मेले का आयोजन

पिछले 41 सालों से हर साल आषाढ़ महीने के पहले दिन रामगढ़ महोत्सव(Ramgarh Festival) का आयोजन किया जाता है. आयोजन में साहित्यिक गतिविधियों को प्रमुखता दी जाती है. रामगढ़ को राम वन गमन के समय राम के रुकने का स्थान माना जाता है, साथ ही यहां बनी नाट्यशाला को एशिया की सबसे बड़ी नाट्यशाला (Asia biggest theater ) माना जाता है. लेकिन इस साल मेले का आयोजन नहीं हो सका है.

Ramgarh mountain is included in Ram Van Gaman Path
रामगढ़ पर्वत की गुफा

बेहद खूबसूरत है सरगुजा, इस VIDEO में देखिए अनछुए पर्यटन स्थल

मेघदूतम की रचना से जुड़े तथ्य

मेघदूतम में एक यक्ष की कथा है, जिसे अलकापुरी से निष्कासित कर दिया गया था. (Meghdoot) तब उन्होंने रामगिरी पर्वत को अपना ठिकाना बनाया था. आषाढ़ महीने के आगाज के साथ जैसे ही बादल छाए उन्हें प्रेमिका की याद सताने लगी. जंगल में अकेले जीवन काट रहे यक्ष को कोई संदेश वाहक नहीं मिला. तब प्रेम पत्र भेजने के लिये मेघों को ही दूत बनाया गया. मेघदूतम की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से रही है. (Facts related to creation of Meghdoot) संस्कृत के कवि हुए हैं जिन्होंने मेघदूतम से प्रेरित होकर कई काव्य लिखे. सरगुजा के स्वर्णिम इतिहास का यह पन्ना अब तक अनसुलझा है. साहित्य शोधकर्ताओं का दावा, यहां मेघदूतम के प्रमाण देता है तो वहीं इसे लेकर कोई पुरातात्विक शोध (archaeological research ) अबतक नहीं हो सका है.

Mahakavi Kalidas
महाकवि कालिदास की प्रतिमा
Facts of creation of Meghdoot
मेघदूतम की रचना से जुड़े तथ्य

राम वन गमन पथ में शामिल है रामगढ़ पर्वत

मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम यहां आए थे. उन्होंने अपनी सेना के साथ यहां विश्राम किया था. राम-लक्ष्मण और सीता ने इन गुफाओं में निवास भी किया था. भगवान राम और छत्तीसगढ़ के बीच के संबंध की छाप देखने को मिलती है. रामगढ़ में भगवान के वन गमन के पड़ाव की निशानियां दिखती हैं. यही वजह है कि सरकार ने इसे राम वन गमन पथ में शामिल किया है. पर्वत पर कई अलग-अलग गुफाएं है. माना जाता है कि राम-लक्ष्मण और सीता इन गुफाओं में निवास करते थे.

गुफाओं को आपस में जोड़ते हैं छिद्र

मान्यता है कि एक गुफा से दूसरी गुफा में संवाद स्थापित करने के लिए गुफाओं में लंबे छेद कर गुफाओं को आपस में जोड़ा गया था. यह आज के मोबाइल फोन जैसा काम करता था. इसलिए यहां स्थित गुफाओं को सीताबेंगरा, लक्ष्मण बेंगरा कहा जाता है. सरगुजा में गुफाओं को बेंगरा कहा जाता है.

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रामगिरि के नाम से भी जानते हैं लोग

रामगढ़ को रामगिरि भी कहा जाता है. (Ramgiri Parvat) रामगढ़ पर्वत टोपी की आकृति का है. इन गुफाओं में मिलने वाले छिद्र भगवान राम से संबंधित होने के दावे की पुष्टि करते हैं. सीताबेंगरा एक छोटे आकार की गुफा है. यहां सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है. इसका भू-विन्यास आयताकार है. गुफा 14 मीटर लंबी, 5 मीटर चौड़ी है. गुफा के सामने अर्धचंद्राकार बेंच बनी है. जोगीमारा गुफा की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1.8 मीटर है.

प्राचीन नाट्यशाला और नाट्य शास्त्र से जुड़े तथ्य

माना जाता है कि भरत मुनि ने इसी नाट्यशाला से प्रभावित होकर नाट्य शास्त्र की रचना की थी. एक मंच, उसके सामने दर्शक दीर्घा, मंच के दोनों ओर ग्रीन हाउस (कलाकरों का मेकअप रूम), नेचुरल लाइट और साउंड की व्यवस्था. ये सब कुछ आधुनिक संसाधनों के बिना रामगढ़ पर्वत पर मौजूद है. एक प्राचीन नाट्यशाला रामगढ़ पर्वत की गुफा में स्थित है. इसका निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया था. इसमें मंच, दर्शक दीर्घा और मेकअप रूम मौजूद है. नाट्यशाला में काफी लंबे-लंबे छिद्र हैं. शोधकर्ताओं का मानना है इन छिद्रों की मदद से टेली कम्युनिकेशन किया जाता था. मंच पर प्रस्तुति दे रहे कलाकारों को निर्देशक इन्हीं छिद्रों से निर्देश देते थे. खूबियों से भरे इस मंच में नेचुरल साउंड सिस्टम का भी खास इंतजाम किया गया था.

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विश्व पटल पर शामिल करने का प्रयास

वर्षों से रामगढ़ को राम के प्रतीक स्वरूप विश्व पटल पर शामिल करने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन अब तक रामगढ़ को पहचान नहीं मिल सकी थी. अब छत्तीसगढ़ सरकार राम गमन क्षेत्र के रूप में उन्हीं मार्गों को आस्था के केंद्र के तौर पर विकसित करने का बीड़ा उठाया है. जिस मार्ग से भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से होकर गुजरे थे, उनमे सरगुजा के रामगढ़ के साथ-साथ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल भी शामिल है. इसके अलावा सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा का भी जिक्र है, जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चरण पड़े थे. चित्रकोट, बारसूर, गीदम, सुकमा और भद्राचलम में भी भगवान राम से जुड़ी निशानियां मिली हैं. इन सारे जगहों को मिलाकर राम वनगमन पथ का विकास किया जाएगा. (Development of Ram Vanagaman Path )

सरगुजा: आज आषाढ़ मास का पहला दिन है. अंबिकापुर से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित रामगढ़ पर्वत (Ramgarh Hill ) को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं हैं. मान्यता है कि इसी पर्वत पर बैठकर महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना की थी. कहते हैं जब कालिदास पत्नी विरह में मेघ पत्र लिख रहे थे, वो दिन भी आषाढ़ महीने का पहला दिन था. (first day of ashadha month ) रामगढ़ के पर्वत पर महाकवि कालीदास विरह कर मेघ में पत्र लिख रहे थे. मेघ उनके संदेश अलकापुरी पहुंच रहे थे.

सरगुजा में स्थित रामगढ़ पर्वत की धार्मिक मान्यता

सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड में स्थित रामगढ़ पर्वत पर हर साल विशाल मेले का आयोजन आषाढ़ के पहले दिन किया जाता है. जिसमें देश भर से संस्कृत और हिंदी के कवि और शोधकर्ता आते हैं. महाकवि कालिदास (Mahakavi Kalidas) और रामगढ़ के प्रमाण स्वरूप उस दिन शोध पत्र का वाचन भी किया जाता है. प्रशासन के द्वारा विभिन्न साहित्यिक आयोजन 2 दिवस तक आयोजित किये जाते हैं. इस कोरोना संक्रमण के हालातों को देखते हुए ऐसे आयोजन नहीं किए गए हैं. ETV BHARAT आषाढ़ मास के प्रथम दिन आपको रामगढ़ पर्वत और उसके विशेष मान्यता के बारे में बता रहा है. (religious beliefs of Ramgarh Hill)

Ramgarh mountain is included in Ram Van Gaman Path
रामवनगमन पथ में शामिल है रामगढ़ पर्वत

41 सालों से हो रहा था मेले का आयोजन

पिछले 41 सालों से हर साल आषाढ़ महीने के पहले दिन रामगढ़ महोत्सव(Ramgarh Festival) का आयोजन किया जाता है. आयोजन में साहित्यिक गतिविधियों को प्रमुखता दी जाती है. रामगढ़ को राम वन गमन के समय राम के रुकने का स्थान माना जाता है, साथ ही यहां बनी नाट्यशाला को एशिया की सबसे बड़ी नाट्यशाला (Asia biggest theater ) माना जाता है. लेकिन इस साल मेले का आयोजन नहीं हो सका है.

Ramgarh mountain is included in Ram Van Gaman Path
रामगढ़ पर्वत की गुफा

बेहद खूबसूरत है सरगुजा, इस VIDEO में देखिए अनछुए पर्यटन स्थल

मेघदूतम की रचना से जुड़े तथ्य

मेघदूतम में एक यक्ष की कथा है, जिसे अलकापुरी से निष्कासित कर दिया गया था. (Meghdoot) तब उन्होंने रामगिरी पर्वत को अपना ठिकाना बनाया था. आषाढ़ महीने के आगाज के साथ जैसे ही बादल छाए उन्हें प्रेमिका की याद सताने लगी. जंगल में अकेले जीवन काट रहे यक्ष को कोई संदेश वाहक नहीं मिला. तब प्रेम पत्र भेजने के लिये मेघों को ही दूत बनाया गया. मेघदूतम की लोकप्रियता भारतीय साहित्य में प्राचीन काल से रही है. (Facts related to creation of Meghdoot) संस्कृत के कवि हुए हैं जिन्होंने मेघदूतम से प्रेरित होकर कई काव्य लिखे. सरगुजा के स्वर्णिम इतिहास का यह पन्ना अब तक अनसुलझा है. साहित्य शोधकर्ताओं का दावा, यहां मेघदूतम के प्रमाण देता है तो वहीं इसे लेकर कोई पुरातात्विक शोध (archaeological research ) अबतक नहीं हो सका है.

Mahakavi Kalidas
महाकवि कालिदास की प्रतिमा
Facts of creation of Meghdoot
मेघदूतम की रचना से जुड़े तथ्य

राम वन गमन पथ में शामिल है रामगढ़ पर्वत

मान्यता है कि 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम यहां आए थे. उन्होंने अपनी सेना के साथ यहां विश्राम किया था. राम-लक्ष्मण और सीता ने इन गुफाओं में निवास भी किया था. भगवान राम और छत्तीसगढ़ के बीच के संबंध की छाप देखने को मिलती है. रामगढ़ में भगवान के वन गमन के पड़ाव की निशानियां दिखती हैं. यही वजह है कि सरकार ने इसे राम वन गमन पथ में शामिल किया है. पर्वत पर कई अलग-अलग गुफाएं है. माना जाता है कि राम-लक्ष्मण और सीता इन गुफाओं में निवास करते थे.

गुफाओं को आपस में जोड़ते हैं छिद्र

मान्यता है कि एक गुफा से दूसरी गुफा में संवाद स्थापित करने के लिए गुफाओं में लंबे छेद कर गुफाओं को आपस में जोड़ा गया था. यह आज के मोबाइल फोन जैसा काम करता था. इसलिए यहां स्थित गुफाओं को सीताबेंगरा, लक्ष्मण बेंगरा कहा जाता है. सरगुजा में गुफाओं को बेंगरा कहा जाता है.

WORLD TOURISM DAY: जाने छत्तीसगढ़ का 'शिमला' कहे जाने वाले मैनपाट की खासियत, ऐसे पहुंचे इन हसीन वादियों में

रामगिरि के नाम से भी जानते हैं लोग

रामगढ़ को रामगिरि भी कहा जाता है. (Ramgiri Parvat) रामगढ़ पर्वत टोपी की आकृति का है. इन गुफाओं में मिलने वाले छिद्र भगवान राम से संबंधित होने के दावे की पुष्टि करते हैं. सीताबेंगरा एक छोटे आकार की गुफा है. यहां सीढ़ियों से पहुंचा जा सकता है. इसका भू-विन्यास आयताकार है. गुफा 14 मीटर लंबी, 5 मीटर चौड़ी है. गुफा के सामने अर्धचंद्राकार बेंच बनी है. जोगीमारा गुफा की लंबाई 3 मीटर, चौड़ाई 1.8 मीटर है.

प्राचीन नाट्यशाला और नाट्य शास्त्र से जुड़े तथ्य

माना जाता है कि भरत मुनि ने इसी नाट्यशाला से प्रभावित होकर नाट्य शास्त्र की रचना की थी. एक मंच, उसके सामने दर्शक दीर्घा, मंच के दोनों ओर ग्रीन हाउस (कलाकरों का मेकअप रूम), नेचुरल लाइट और साउंड की व्यवस्था. ये सब कुछ आधुनिक संसाधनों के बिना रामगढ़ पर्वत पर मौजूद है. एक प्राचीन नाट्यशाला रामगढ़ पर्वत की गुफा में स्थित है. इसका निर्माण पत्थरों को तराशकर किया गया था. इसमें मंच, दर्शक दीर्घा और मेकअप रूम मौजूद है. नाट्यशाला में काफी लंबे-लंबे छिद्र हैं. शोधकर्ताओं का मानना है इन छिद्रों की मदद से टेली कम्युनिकेशन किया जाता था. मंच पर प्रस्तुति दे रहे कलाकारों को निर्देशक इन्हीं छिद्रों से निर्देश देते थे. खूबियों से भरे इस मंच में नेचुरल साउंड सिस्टम का भी खास इंतजाम किया गया था.

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विश्व पटल पर शामिल करने का प्रयास

वर्षों से रामगढ़ को राम के प्रतीक स्वरूप विश्व पटल पर शामिल करने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन अब तक रामगढ़ को पहचान नहीं मिल सकी थी. अब छत्तीसगढ़ सरकार राम गमन क्षेत्र के रूप में उन्हीं मार्गों को आस्था के केंद्र के तौर पर विकसित करने का बीड़ा उठाया है. जिस मार्ग से भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से होकर गुजरे थे, उनमे सरगुजा के रामगढ़ के साथ-साथ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल भी शामिल है. इसके अलावा सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा का भी जिक्र है, जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चरण पड़े थे. चित्रकोट, बारसूर, गीदम, सुकमा और भद्राचलम में भी भगवान राम से जुड़ी निशानियां मिली हैं. इन सारे जगहों को मिलाकर राम वनगमन पथ का विकास किया जाएगा. (Development of Ram Vanagaman Path )

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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