सरगुजा: महज कुछ दिन बाद दीपावली का त्योहार आने वाला है, जिसे लोग बड़े ही हर्सोल्लास के साथ मनाते हैं, लेकिन त्योहार के उत्सव की खुशियां कई बार मातम में भी बदल जाती है. बीते साल शहर के बीच घनी आबादी के बीच संचालित लकड़ी मील में देर रात भीषण आग लग गई थी, जिसे बुझाने में पूरी रात बीत गई थी.
घटना के बाद प्रशासन सख्त हुआ और घनी आबादी के बीच संचालित लकड़ी मीलों को शहर से बाहर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद आज भी वहीं स्थिति है और सभी लकड़ी मील अपनी जगह पर ही संचालित है.
इसकी जानकारी लेने के लिए ETV भारत ने नगर निगम के कमिश्नर हरेश मंडावी से बात की है. कमिश्नर ने बताया कि वो ऐसे लकड़ी मीलों का सर्वे करा रहे हैं. इसके साथ ही वन विभाग और नगर निगम से मिलने वाली अनापत्ति प्रमाण पत्र की भी जांच होगी. दस्तावेज होने के बाद भी अगर रिहायशी इलाके में मील संचालित है, तो उसे शहर से बाहर किया जाएगा और उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
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पटाखे की चिंगारी से हादसे की आशंका
दीपवाली के समय करीब महीने भर तक लोग आतिशबाजी करते रहते हैं और पटाखों से निकलने वाली एक छोटी सी चिंगारी कहीं भी शोले का रूप ले लेती है. खासकर अत्यंत ज्वलनशील होने वाली लकड़ी के बाड़े भंडारण में अगर एक बार आग लग जाए तो फिर उसे बुझा पाना बड़ा मुश्किल होता है. शायद इन्हीं वजहों से रिहायशी इलाकों में लकड़ी मील न खोलने का नियम बनाया गया है, लेकिन सरकारी नियमों को ठेंगा दिखाकर अंबिकापुर में घनी बसाहट के बीच लकड़ी मील चल रहे हैं और दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं. फिलहाल निगम कमिश्नर ने इस दिशा में सख्त कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया है. देखना होगा कि निगम की कार्रवाई का असर इन बड़ी व्यवसायियों पर कितना होगा.