सरगुजा: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की टीम छत्तीसगढ़ का दौरा कर रही है. आदिवासियों के उत्थान और समस्याओं के संबंध में लगातार यह टीम कुछ दिनों तक प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में रहेगी. इस दौरान आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने प्रेसवार्ता आयोजित कर अपनी बातें रखीं. नंदकुमार साय ने CAA के संबंध में कहा कि, 'इस कानून से आदिवासियों का अहित नहीं होगा, यह तो सिर्फ दूसरे देशों में पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता देने का कानून है, इसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.'
वहीं जनजातीय समाज के लोगों के द्वारा ईसाई धर्म अपनाने और आरक्षण का लाभ भी लेने के सवाल पर उन्होंने कहा कि, 'जनजातीय सभ्यता हिन्दू धर्म से मेल खाती है, ऋग्वेद में वर्णित संस्कृति जनजातीय संस्कृति है और अगर वो अपनी मूल सभ्यता और संस्कृति छोड़ते हैं तो वो जनजातीय हो ही नहीं सकते. जैसे अनुसूचित जाति के लोगों के लिए यह कानून बना दिया गया था कि अगर वो अपने मूल काम पूजा-पाठ और संस्कृति को छोड़ते हैं तो अनुसूचित जाति के श्रेणी में नहीं आएंगे, लेकिन अनुसूचित जन जाति के लिए ऐसा कोई कानून नहीं बना है. इसके साथ ही यही व्यवस्था चल रही है.'
'आदिवासी महिषासुर के वंशज हो ही नहीं सकते'
महिषासुर और रावण को आदिवासियों के खुद को उनका वंशज बताए जाने के सवाल पर नंद कुमार साय ने साफ इंकार करते हुए कहा कि, 'आदिवासी महिषासुर के वंशज हो ही नहीं सकते, रावण तो ब्राम्हण था, फिर ये उसके वंशज कैसे हो सकते हैं. नंद कुमार साय इसके बाद मजाकिया अंदाज में यह भी बोल गए कि हां रावण शराब पीता था, हो सकता है इस हिसाब से उसके वंशज हों.'