सरगुजा: कलयुग में गंगा को मोक्षदायिनी नदी माना गया है. धरती पर गंगा के अवतरण की मान्यता भी इंसानों के मोक्ष से जुड़ा हुआ है. इसी क्रम में जिले में मां गंगा अवतरण दिवस को धूमधाम से मनाया गया. इस दौरान लोगों ने विधि विधान से पूजा अर्चना की. गंगा दशहरा के अवसर पर श्री शंकरघाट सेवा समिति ने इस बार गंगा आरती के कार्यक्रम का आयोजन किया था.
विलुप्त हो रही थी परंपरा: सरगुजा में गंगा दशहरा वर्षों से मनाया जाता रहा है. लेकिन धीरे धीरे शहरों में लोग इस परंपरा से दूर हो गए थे. गांव में ही कही कहीं नदियों के किनारे मेले का आयोजन हो रहा था. इस बार शहर में एक भव्य आयोजन कर लोगों को गंगा दशहरे के महत्त्व के प्रति जागरूक करने का काम किया गया. आज गंगा आरती में शामिल होने के लिए दोपहर से ही लोग शंकरघाट स्थित बांक नदी के तट पर एकत्रित होने शुरू हो गए थे.
51 सौ दीपों से जगमगाया घाट: गंगा दशहरा के अवसर पर शाम को शंकरघाट पर भजन संध्या आयोजित की गई और सूर्य अस्त होने के बाद शाम 6 बजे 51 सौ दीप प्रज्वलन किया गया. दीप प्रज्वलन के बाद शंकर घाट के बांक नदी का तट जगमगा उठा. हजारों की संख्या में लोगों ने एक साथ दीप प्रज्वलित किया जबकि शाम 7 बजे से बनारस के पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ गंगा आरती की गई.
अम्बिकापुर आज हो गया काशीमय: भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी यानी की बनारस में होने वाली गंगा आरती ने पूरा माहौल भक्तिमय कर दिया. ऐसा लग रहा था कि ये अम्बिकापुर का घाट नहीं, बल्की बनारस का ही घाट है. बनारस जैसा ही शंखनाद, महाआरती और शाम के वक्त नदी के तट पर सैकड़ों श्रद्धलुओं की भीड़ का नजारा अद्भुत था.
बनारस से आये विशेष पुजारियों ने महाआरती के क्रम के पहले मां गंगा आरती और फिर भगवान विश्वनाथ की आरती की. आरती शुरू होते ही उपस्थित जन समूह भक्ति रस में डुबने लगे. आरती के बाद हर हर गंगे, नमामि गंगे, हर हर शंभू के जयघोष शंकर घाट में गूंजते रहे.