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सरगुजा में इंटीग्रेटेड फार्मिंगः कम लागत, कम जमीन में होगी सालाना लाखों की कमाई

Integrated farming in Surguja: सरगुजा में कम जमीन वाले किसान कम लागत में सालाना 3 लाख से ज्यादा कमाई कर सकते हैं. इंटीग्रेटेड फार्मिंग के माध्यम से कम लागत में अधिक कमाई होगी. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

Integrated farming in Surguja
सरगुजा में इंटीग्रेटेड फार्मिंग
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Published : Jan 21, 2022, 5:31 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: कई बार ऐसा सुनने को मिलता है कि कृषि लाभ का कारोबार है. लेकिन कृषि के लिए उपजाऊ जमीन का होना बेहद जरूरी है. कई किसान ऐसे होते हैं, जिनके पास छोटी सी ही जमीन है. जैसे एक एकड़ या उससे भी कम. ऐसे किसानों के लिये परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा कमा पाना आसान नहीं है. लेकिन सरगुजा में ये संभव है. जमीन के एक छोटे टुकड़े में आप सालाना 3 लाख या उससे भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

सरगुजा में कम जमीन में होगी सालाना लाखों की कमाई

सरगुजा के गौठानों में मल्टी एक्टिविटी सेंटर बनाने के बाद अब किसानों की जमीन पर उन्हें निजी तौर पर ऐसी योजना का मालिक बनाया जा रहा है, जिसमें किसान अपनी एक एकड़ या उससे कम जमीन पर मल्टी एक्टिविटी कर मुनाफा कमा सकते हैं. इस योजना को जिला प्रशासन ने इंट्रीग्रेटेड फार्मिंग का नाम दिया है. जिले में 30 किसानों को इस मॉडल से जोड़ा गया है. उम्मीद की जा रही है कि साल में हर किसान 3 लाख से अधिक मुनाफा कमा लेगा.

क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग

इंटीग्रेटेड फार्मिंग का हिंदी अनुवाद है 'एकीकृत कृषि' मतलब कई तरह की अलग-अलग खेती को एक साथ एक जगह पर किया जाना. ऐसा ही इस योजना के तहत किसान कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम कुछ किसानों के यहां पहुंची. वहां एक छोटी सी जमीन पर देशी नस्ल की मुर्गी पालन, बतख पालन, बकरी पालन, कड़कनाथ पालन, मछली पालन, किचन गार्डन, रहर दाल और मक्के की खेती, खेत की मेड़ में केले की खेती की जा रही है. एक छोटी आटा चक्की भी लगाई गई है.

सरगुजा में अंजोला का उत्पादन भी किसान कर रहे हैं. इन सब फसलों का आपस में बड़ा कनेक्शन है. अंजोला मुर्गियों और बत्तख के खाने में काम आता है. मक्का भी मुर्गी और बकरी के दाने बनाने में काम आता है. इसका दलिया बनाने के लिए यहां छोटी मील लगी हुई है. डबरी में मछली पालन हो रहा है और बत्तख के लिए चारा इसी मछली पालन से मिल रहा है. बत्तख ऑक्सीजन जेनरेशन का काम करती है और डबरी का पानी साफ होता है. मतलब कई वैज्ञानिक पहलुओं को आपस में जोड़ते हुये यह साइकल बनाया गया है, जिससे खर्च कम और मुनाफा अधिक कमाया जा सके.

यह भी पढ़ें- महासमुंद में बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

किसानों को कैसे मिलती है मदद

इस योजना के लिये नेशनल लाइवलीहुड मिशन के माध्यम से किसान को ऋण दिया जाता है, जिससे वो अपने इस मॉडल को विकसित करते हैं. इसके साथ ही पशु विभाग, कृषि विभाग, उद्धानिकी विभाग सहित तमाम शासकीय विभागों का सहयोग किसानों को मिलता है. जिससे ये अपने इस मॉडल को बेहतर बना रहे हैं.

किसान ले रहे प्रशिक्षण

खास बात यह है कि एक महिला किसान शीला भट्ट ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग में कामयाबी हासिल की है. जिले भर के किसान अब उनके पास आकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. शीला भट्ट को एक बार ट्रेनिंग देने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से 400 रुपए भी मिलते हैं. शीला भट्ट के इंटीग्रेटेड फार्मिंग के मॉडल को आसपास के लोग देखने आते हैं. दूसरे जिलों से भी लोग आना चाह रहे हैं. लेकिन अभी कोविड संक्रमण की वजह से एक्सपोजर विजिट और प्रशिक्षण रोका गया है. बहरहाल कम जगह, कम लागत में अधिक मुनाफे का एक बढ़िया फार्मूला तैयार किया गया है. जिससे अब छोटे किसान भी अपनी जमीन का सदुपयोग कर सकेंगे और एक बेहतर मॉडल बनाकर मुनाफा कमा सकेंगे.

सरगुजा: कई बार ऐसा सुनने को मिलता है कि कृषि लाभ का कारोबार है. लेकिन कृषि के लिए उपजाऊ जमीन का होना बेहद जरूरी है. कई किसान ऐसे होते हैं, जिनके पास छोटी सी ही जमीन है. जैसे एक एकड़ या उससे भी कम. ऐसे किसानों के लिये परंपरागत खेती से ज्यादा मुनाफा कमा पाना आसान नहीं है. लेकिन सरगुजा में ये संभव है. जमीन के एक छोटे टुकड़े में आप सालाना 3 लाख या उससे भी ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

सरगुजा में कम जमीन में होगी सालाना लाखों की कमाई

सरगुजा के गौठानों में मल्टी एक्टिविटी सेंटर बनाने के बाद अब किसानों की जमीन पर उन्हें निजी तौर पर ऐसी योजना का मालिक बनाया जा रहा है, जिसमें किसान अपनी एक एकड़ या उससे कम जमीन पर मल्टी एक्टिविटी कर मुनाफा कमा सकते हैं. इस योजना को जिला प्रशासन ने इंट्रीग्रेटेड फार्मिंग का नाम दिया है. जिले में 30 किसानों को इस मॉडल से जोड़ा गया है. उम्मीद की जा रही है कि साल में हर किसान 3 लाख से अधिक मुनाफा कमा लेगा.

क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग

इंटीग्रेटेड फार्मिंग का हिंदी अनुवाद है 'एकीकृत कृषि' मतलब कई तरह की अलग-अलग खेती को एक साथ एक जगह पर किया जाना. ऐसा ही इस योजना के तहत किसान कर रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम कुछ किसानों के यहां पहुंची. वहां एक छोटी सी जमीन पर देशी नस्ल की मुर्गी पालन, बतख पालन, बकरी पालन, कड़कनाथ पालन, मछली पालन, किचन गार्डन, रहर दाल और मक्के की खेती, खेत की मेड़ में केले की खेती की जा रही है. एक छोटी आटा चक्की भी लगाई गई है.

सरगुजा में अंजोला का उत्पादन भी किसान कर रहे हैं. इन सब फसलों का आपस में बड़ा कनेक्शन है. अंजोला मुर्गियों और बत्तख के खाने में काम आता है. मक्का भी मुर्गी और बकरी के दाने बनाने में काम आता है. इसका दलिया बनाने के लिए यहां छोटी मील लगी हुई है. डबरी में मछली पालन हो रहा है और बत्तख के लिए चारा इसी मछली पालन से मिल रहा है. बत्तख ऑक्सीजन जेनरेशन का काम करती है और डबरी का पानी साफ होता है. मतलब कई वैज्ञानिक पहलुओं को आपस में जोड़ते हुये यह साइकल बनाया गया है, जिससे खर्च कम और मुनाफा अधिक कमाया जा सके.

यह भी पढ़ें- महासमुंद में बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद, किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

किसानों को कैसे मिलती है मदद

इस योजना के लिये नेशनल लाइवलीहुड मिशन के माध्यम से किसान को ऋण दिया जाता है, जिससे वो अपने इस मॉडल को विकसित करते हैं. इसके साथ ही पशु विभाग, कृषि विभाग, उद्धानिकी विभाग सहित तमाम शासकीय विभागों का सहयोग किसानों को मिलता है. जिससे ये अपने इस मॉडल को बेहतर बना रहे हैं.

किसान ले रहे प्रशिक्षण

खास बात यह है कि एक महिला किसान शीला भट्ट ने इंटीग्रेटेड फार्मिंग में कामयाबी हासिल की है. जिले भर के किसान अब उनके पास आकर प्रशिक्षण ले रहे हैं. शीला भट्ट को एक बार ट्रेनिंग देने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से 400 रुपए भी मिलते हैं. शीला भट्ट के इंटीग्रेटेड फार्मिंग के मॉडल को आसपास के लोग देखने आते हैं. दूसरे जिलों से भी लोग आना चाह रहे हैं. लेकिन अभी कोविड संक्रमण की वजह से एक्सपोजर विजिट और प्रशिक्षण रोका गया है. बहरहाल कम जगह, कम लागत में अधिक मुनाफे का एक बढ़िया फार्मूला तैयार किया गया है. जिससे अब छोटे किसान भी अपनी जमीन का सदुपयोग कर सकेंगे और एक बेहतर मॉडल बनाकर मुनाफा कमा सकेंगे.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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