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राम वनगमन पथ का अहम केंद्र बनेगा 'रामगढ़', फैसले से लोगों में खुशी की लहर

सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन-जिन स्थानों पर राम गमन क्षेत्र के प्रमाण मिलते हैं, उन्हें विकसित किया जाएगा और इसी कड़ी में सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है.

'रामगढ़' बनेगा राम वनगमन पथ का अहम केंद्र
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Published : Nov 24, 2019, 8:17 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजाः सरगुजा का रामगढ़ वनगमन पथ केंद्र का सबसे अहम हिस्सा बनने जा रहा है. इसे ऐतिहासिक स्थल के तौर विकसित करने की तैयारी है. ऐसी मान्यताएं है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल के दौरान लंबा समय यहां गुजारा था. माना जाता है कि भगवान राम सरगुजा के जंगलों और रामगढ़ की पहाड़ी से होकर दक्षिण की ओर गुजरे थे. रामगढ़ को रामगिरी पर्वत के तौर पर जाना जाता है. यहां ऐसे शिलालेख की बड़ी श्रृंखला है, जिसमें रामायण काल के कई प्रमाण मिलते हैं, जिनमें राम के वनवास काल से जुड़ी अहम जानकारियां हैं.

'रामगढ़' बनेगा राम वनगमन पथ का अहम केंद्र

रामगढ़ पर्वत को लेकर मान्यता है कि महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना में रामगढ़ पर्वत का वर्णन किया है, जिससे वनवास काल में भगवान राम के यहां रुकने के प्रमाण मिलते हैं. मेघदूतम में वर्णित प्रसंगों के मुताबिक वनवास काल में भगवान राम ने यहां विश्राम किया था.

विश्व पटल पर शामिल करने का प्रयास
वर्षों से रामगढ़ को राम के प्रतीक स्वरूप विश्व पटल पर शामिल करने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन अब तक रामगढ़ को पहचान नहीं मिल सकी थी. अब छत्तीसगढ़ सरकार राम गमन क्षेत्र के रूप में उन्हीं मार्गों को आस्था के केंद्र के तौर पर विकसित करने का बीड़ा उठाया है. जिस मार्ग से भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से होकर गुजरे थे, उनमे सरगुजा के रामगढ़ के साथ-साथ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल भी शामिल है. इसके अलावा सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा का भी जिक्र है, जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चरण पड़े थे. चित्रकोट, बारसूर, गीदम, सुकमा और भद्राचलम में भी भगवान राम से जुड़ी निशानियां मिली हैं. इन सारे जगहों को मिलाकर राम वनगमन पथ का विकास किया जाएगा.

राम वनगमन पथ में रामगढ़ का अहम स्थान
सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन-जिन स्थानों पर राम गमन क्षेत्र के प्रमाण मिलते हैं, उन्हें विकसित किया जाएगा और इसी कड़ी में सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है, लिहाजा सरकार के इस फैसले से साहित्यकार, इतिहासकार और बुद्धिजीवी वर्गों में खुशी की लहर है.

कालिदास ने यहां लिखी थी मेघदूतम !
महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम की रचना स्थली के रूप में भी रामगढ़ को जाना जाता है. अब राम गमन क्षेत्र में आने की वजह से रामगढ़ को न सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि, सरकार के दस्तावेजों में भी राम का अस्तित्व को अहमियत मिलेगी.

प्राचीन नाट्यशाला होने का दावा
इस जगह पर राम की मौजूदगी के कई प्रमाण मिलते हैं. यहां सीता बेंगरा गुफा के साथ ही विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला होने का दावा भी कई इतिहासकारों ने किया है. यह भी माना जाता है कि भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में जिस नाटयशाला का वर्णन मिलता है उस नाट्यशाला का स्वरूप रामगढ़ की इस नाट्यशाला से हूबहू मिलता है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
राम गमन क्षेत्र में जुड़ने के बाद रामगढ़ को ना सिर्फ छत्तीसगढ़ के सभी पर्यटक स्थलों से जुड़ने का अवसर मिलेगा बल्कि, विश्व भर से आने वाले पर्यटक भी आसानी से अब रामगढ़ पहुंच सकेंगे. फिलहाल सरकार के इस फैसले से लोग खुश हैं.

सरगुजाः सरगुजा का रामगढ़ वनगमन पथ केंद्र का सबसे अहम हिस्सा बनने जा रहा है. इसे ऐतिहासिक स्थल के तौर विकसित करने की तैयारी है. ऐसी मान्यताएं है कि भगवान राम ने सीता और लक्ष्मण के साथ वनवास काल के दौरान लंबा समय यहां गुजारा था. माना जाता है कि भगवान राम सरगुजा के जंगलों और रामगढ़ की पहाड़ी से होकर दक्षिण की ओर गुजरे थे. रामगढ़ को रामगिरी पर्वत के तौर पर जाना जाता है. यहां ऐसे शिलालेख की बड़ी श्रृंखला है, जिसमें रामायण काल के कई प्रमाण मिलते हैं, जिनमें राम के वनवास काल से जुड़ी अहम जानकारियां हैं.

'रामगढ़' बनेगा राम वनगमन पथ का अहम केंद्र

रामगढ़ पर्वत को लेकर मान्यता है कि महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना में रामगढ़ पर्वत का वर्णन किया है, जिससे वनवास काल में भगवान राम के यहां रुकने के प्रमाण मिलते हैं. मेघदूतम में वर्णित प्रसंगों के मुताबिक वनवास काल में भगवान राम ने यहां विश्राम किया था.

विश्व पटल पर शामिल करने का प्रयास
वर्षों से रामगढ़ को राम के प्रतीक स्वरूप विश्व पटल पर शामिल करने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं, लेकिन अब तक रामगढ़ को पहचान नहीं मिल सकी थी. अब छत्तीसगढ़ सरकार राम गमन क्षेत्र के रूप में उन्हीं मार्गों को आस्था के केंद्र के तौर पर विकसित करने का बीड़ा उठाया है. जिस मार्ग से भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ से होकर गुजरे थे, उनमे सरगुजा के रामगढ़ के साथ-साथ विश्रामपुर, मैनपाट, धरमजयगढ़, लक्ष्मण पादुका, चंद्रहासिनी चंद्रपुर, शिवरीनारायण, कसडोल भी शामिल है. इसके अलावा सिरपुर, फिंगेश्वर, राजिम, पंचकोशी, मधुबन, रुद्री होते हुए सिहावा का भी जिक्र है, जहां भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चरण पड़े थे. चित्रकोट, बारसूर, गीदम, सुकमा और भद्राचलम में भी भगवान राम से जुड़ी निशानियां मिली हैं. इन सारे जगहों को मिलाकर राम वनगमन पथ का विकास किया जाएगा.

राम वनगमन पथ में रामगढ़ का अहम स्थान
सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन-जिन स्थानों पर राम गमन क्षेत्र के प्रमाण मिलते हैं, उन्हें विकसित किया जाएगा और इसी कड़ी में सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है, लिहाजा सरकार के इस फैसले से साहित्यकार, इतिहासकार और बुद्धिजीवी वर्गों में खुशी की लहर है.

कालिदास ने यहां लिखी थी मेघदूतम !
महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम की रचना स्थली के रूप में भी रामगढ़ को जाना जाता है. अब राम गमन क्षेत्र में आने की वजह से रामगढ़ को न सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि, सरकार के दस्तावेजों में भी राम का अस्तित्व को अहमियत मिलेगी.

प्राचीन नाट्यशाला होने का दावा
इस जगह पर राम की मौजूदगी के कई प्रमाण मिलते हैं. यहां सीता बेंगरा गुफा के साथ ही विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला होने का दावा भी कई इतिहासकारों ने किया है. यह भी माना जाता है कि भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में जिस नाटयशाला का वर्णन मिलता है उस नाट्यशाला का स्वरूप रामगढ़ की इस नाट्यशाला से हूबहू मिलता है.

पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
राम गमन क्षेत्र में जुड़ने के बाद रामगढ़ को ना सिर्फ छत्तीसगढ़ के सभी पर्यटक स्थलों से जुड़ने का अवसर मिलेगा बल्कि, विश्व भर से आने वाले पर्यटक भी आसानी से अब रामगढ़ पहुंच सकेंगे. फिलहाल सरकार के इस फैसले से लोग खुश हैं.

Intro:सरगुजा : उत्तरी छत्तीसगढ़ यानी कि सरगुजा जो अपने आप में कई धार्मिक मान्यताओं को समेटे हुए हैं यहां पर मिलने वाले प्राचीन स्थल पर्वत, पहाड़ और मूर्तियां ही सरगुजा के वास्तविक सौंदर्य का वर्णन करती हैं सरगुजा किसी प्राकृतिक स्वरूप के पीछे भगवान राम की कथा भी जुड़ी हुई है माना जाता है कि भगवान श्री राम वानप्रस्थ काल में सरगुजा के जंगलों से होकर दक्षिण की ओर निकले थे और जिन जिन स्थानों पर राम लक्ष्मण और सीता ने अपना ठिकाना बनाया था उन जगहों पर ऐसे शिलालेख मिलते हैं जो इस बात का प्रमाण देते हैं कि रामायण काल में राम यहां आए थे ऐसी ही एक जगह रामगढ़ के नाम से विख्यात है रामगढ़ पर्वत को लेकर मान्यता है कि महाकवि कालिदास ने महाकाव्य मेघदूतम की रचना मैं रामगढ़ पर्वत का वर्णन मिलता है जिससे यह माना जाता है कि मेघदूतम मैं वर्णित रामगढ़ असल में सरगुजा का ही रामगढ़ है पर्वत का आकार और यहां मिलने वाले शिलालेख इस ओर इंगित करते हैं किराम ने इस जगह पर विश्राम किया था वर्षों से रामगढ़ को राम के प्रतीक स्वरूप विश्व पटल पर शामिल करने के लिए प्रयास किए जाते रहे हैं लेकिन अब तक रामगढ़ को पहचान नहीं मिल सकी थी. लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार राम गमन क्षेत्र के रूप में उन्हीं रास्तों को संजीवनी का काम करने जा रही है जिस मार्ग से वनवास के लिए भगवान राम छत्तीसगढ़ में निकले थे सरकार ने यह फैसला लिया है कि जिन जिन स्थानों पर राम गमन क्षेत्र के प्रमाण मिलते हैं उन्हें विकसित किया जाएगा और इसी कड़ी में सरगुजा का रामगढ़ भी शामिल है लिहाजा सरकार के इस फैसले से साहित्यकार, इतिहासकार व बुद्धिजीवी वर्ग भी प्रसन्न है.


Body:महाकवि कालिदास द्वारा रचित मेघदूतम की रचना स्थली के रूप में ख्याति प्राप्त रामगढ़ असल में खुद के साथ राम के अस्तित्व की बाट जोह रहा था लेकिन अब राम गमन क्षेत्र में आने की वजह से रामगढ़ को ना सिर्फ पहचान मिलेगी बल्कि सरकार के दस्तावेज में भी राम का अस्तित्व रामगढ़ में मिलेगा इस जगह पर राम की मौजूदगी के कई प्रमाण मिलते हैं जिससे या धार्मिक आस्था से जुड़ जाता है यहां सीता बेंगरा गुफा के साथ ही विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाला होने का दावा भी कई इतिहासकारों ने किया है यह भी माना जाता है कि भरतमुनि का नाट्यशास्त्र में जिस नाटशाला का वर्णन मिलता है उस नाट्यशाला का स्वरूप रामगढ़ की इस नाट्यशाला से हूबहू मिलता है जिसे लेकर इतिहासकार दो ही बातें मानते हैं या तो भरतमुनि ने इस नाटशाला से प्रभावित होकर नाट्यशास्त्र में इसका वर्णन किया या तो भरतमुनि का नाट्यशास्त्र से प्रेरित होकर यह नाट्यशाला बनाई गई.

बहरहाल राम गमन क्षेत्र में जुड़ने के बाद रामगढ़ को ना सिर्फ छत्तीसगढ़ के सभी पर्यटक स्थलों से जुड़ने का अवसर मिलेगा बल्कि विश्व भर से आने वाले पर्यटक भी आसानी से अब रामगढ़ पहुंच सकेंगे उदयपुर विकासखंड में स्थित रामगढ़ पर्वत को लेकर कई किदवन्तियाँ व मान्यताएं जुड़ी हुई लेकिन फिलहाल सरकार के इस फैसले से लोग खुश हैं लोगों का मानना है किया धार्मिक आस्था के साथ साथ प्राकृतिक धरोहर के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से काफी अहम साबित होगा.

बाईट01_योगेश नारायण मिश्र (ज्योतिषाचार्य व शोधकर्ता रामगढ़)


बाईट02_सचिन मंदिलवार (इतिहासकार)

बाईट03_सुधीर पांडेय (वरिष्ठ पत्रकार)

देश दीपक सरगुज़ा

नोट- रामगढ़ के विजुअल रिपोर्टर एप्स से भेज रहा हूँ।


Conclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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