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छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को व्रतियों ने अर्पित किया अर्घ्य, कोरोना संकट के बीच मनाया महापर्व

अंबिकापुर में छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. इस दौरान ETV BHARAT की टीम ने छठ घाट पर श्रद्धालुओं से बातचीत की.

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व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
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Published : Nov 20, 2020, 8:42 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: कोरोना वायरस के प्रकोप ने समाज से समाजिकता को लगभग समाप्त कर दिया है. लोग एक जगह एकत्र होने मेल जोल करने से भी बच रहे हैं. मार्च 2020 में होली के पर्व के बाद कोई भी पर्व या उत्सव सामूहिक रूप से नहीं मनाया जा सका, लेकिन छठ पर्व की आस्था कोरोना पर भारी पड़ गई. लोग छठ करने छठ घाट पर पहुंचे, हालांकि भीड़ कम थी. हर वर्ष छठ घाटों में जितनी भीड़ होती थी. उसकी तुलना में इस वर्ष 10 प्रतिशत ही भीड़ देखी गई.

छठ का तीसरा दिन
ETV भारत ने छठ घाट पर श्रद्धालुओं से बातचीत की. व्रती महिलाओं ने कहा कि छठ पर्व की ऐसी मान्यता है कि कोरोना महामारी जैसे कारणों से वो इसे नहीं छोड़ सकते, पीढी दर पीढ़ी लोग छठ व्रत कर रहे हैं. यही वजह है कि कोरोना की चिंता त्याग लोग छठ घाट पहुंच गए. हालांकि बहुत से लोगों ने अपने घरों में ही छठ किया, लेकिन जिनके घर मे व्यवस्था नहीं थी, वो छठ घाटों पर पहुंचे.
Chhath Mahaparva was observed to beat corona virus
कोरोना संकट के बीच मनाया गया छठ महापर्व

SPECIAL: भगवान भास्कर की उपासना का महापर्व छठ, जानें दुनिया के सबसे कठिन व्रत के नियम

अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य

बता दें कि छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. खरना के अगले दिन परवैतिन निर्जला उपवास करती हैं. दिनभर पूजा की तैयारी के बाद शाम को नदी या जलाशय के पास डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. हालांकि अब घर पर भी लोग अर्घ्य देने लगे हैं.

crowd of devotees in Chhat Ghats decreased due to Corona pandmic in sarguja
व्रतियों ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य

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सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया: व्रती

अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की पूजा कर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि जिस सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया, उसके निस्तेज होने पर भी हम उनका नमन करते हैं. छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है. इससे सफाई की प्रेरणा मिलती है. साथ ही शाम के पहले अर्घ्य के बाद सभी लोग गीत गाते हुए घर लौट आते हैं. रात में घर की महिलाएं छठी माई की महिमा को गीतों के जरिए सुनाती हैं और सुबह का इंतजार करती हैं.

सरगुजा: कोरोना वायरस के प्रकोप ने समाज से समाजिकता को लगभग समाप्त कर दिया है. लोग एक जगह एकत्र होने मेल जोल करने से भी बच रहे हैं. मार्च 2020 में होली के पर्व के बाद कोई भी पर्व या उत्सव सामूहिक रूप से नहीं मनाया जा सका, लेकिन छठ पर्व की आस्था कोरोना पर भारी पड़ गई. लोग छठ करने छठ घाट पर पहुंचे, हालांकि भीड़ कम थी. हर वर्ष छठ घाटों में जितनी भीड़ होती थी. उसकी तुलना में इस वर्ष 10 प्रतिशत ही भीड़ देखी गई.

छठ का तीसरा दिन
ETV भारत ने छठ घाट पर श्रद्धालुओं से बातचीत की. व्रती महिलाओं ने कहा कि छठ पर्व की ऐसी मान्यता है कि कोरोना महामारी जैसे कारणों से वो इसे नहीं छोड़ सकते, पीढी दर पीढ़ी लोग छठ व्रत कर रहे हैं. यही वजह है कि कोरोना की चिंता त्याग लोग छठ घाट पहुंच गए. हालांकि बहुत से लोगों ने अपने घरों में ही छठ किया, लेकिन जिनके घर मे व्यवस्था नहीं थी, वो छठ घाटों पर पहुंचे.
Chhath Mahaparva was observed to beat corona virus
कोरोना संकट के बीच मनाया गया छठ महापर्व

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अस्ताचलगामी सूर्य को दिया गया अर्घ्य

बता दें कि छठ के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया गया. खरना के अगले दिन परवैतिन निर्जला उपवास करती हैं. दिनभर पूजा की तैयारी के बाद शाम को नदी या जलाशय के पास डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. हालांकि अब घर पर भी लोग अर्घ्य देने लगे हैं.

crowd of devotees in Chhat Ghats decreased due to Corona pandmic in sarguja
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सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया: व्रती

अस्ताचलगामी भगवान सूर्य की पूजा कर यह दिखाने की कोशिश की जाती है कि जिस सूर्य ने दिन भर हमारी जिंदगी को रोशन किया, उसके निस्तेज होने पर भी हम उनका नमन करते हैं. छठ पूजा के मौके पर नदियां, तालाब, जलाशयों के किनारे पूजा की जाती है. इससे सफाई की प्रेरणा मिलती है. साथ ही शाम के पहले अर्घ्य के बाद सभी लोग गीत गाते हुए घर लौट आते हैं. रात में घर की महिलाएं छठी माई की महिमा को गीतों के जरिए सुनाती हैं और सुबह का इंतजार करती हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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