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SBM Phase 2: अंबिकापुर के गांव गांव में शुरू होगा कचरे से कमाई का फार्मूला

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Published : Dec 10, 2022, 3:35 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

SBM Phase 2 के तहत अंबिकापुर शहर का स्वच्छता मॉडल (Cleanliness model of Ambikapur city) अब ग्रामीण क्षेत्र में भी शुरू होगा. कचरे से कमाई का यह फार्मूला गांव में भी लागू किया जाएगा. इसकी स्वीकृति मिलने के बाद प्रशासन ने ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन पर काम शुरू कर दिया है. इसमें ग्रामीणों की सहभागिता जरुरी है.

Cleanliness model of Ambikapur city
अंबिकापुर शहर का स्वच्छता मॉडल
अंबिकापुर के गांवों में कचरे से कमाई का फार्मूला शुरू होगा

सरगुजा: अंबिकापुर शहर का स्वच्छता मॉडल (Cleanliness model of Ambikapur city) अब ग्रामीण क्षेत्र में भी शुरू होगा. जिस तरह अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) ने कचरे से कमाई कर एक उदाहरण पेश किया है. अब कमाई का यह फार्मूला गांव में भी लागू किया जायेगा. ग्रामीण क्षेत्र में कचरे के प्रबंधन के लिए एसएलआरएम सेंटर स्थापित किए जायेंगे. ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन करने के साथ ही फिकल स्लज के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाने है. इस बड़े अभियान की सफलता के लिए ग्रामीण नागरिकों की जागरूकता महत्वपूर्ण है. ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है. एसबीएम 2 के तहत स्वीकृति मिलने के बाद प्रशासन ने ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन पर काम शुरू कर दिया है.

अंम्बिकापुर मॉडल ही होगा लागू: अंबिकापुर का एसएलआरएम मॉडल (SLRM model of Ambikapur) देशभर में फेमस हुआ और इसे निकायों में लागू किया गया. शहरी क्षेत्र में स्वच्छता प्रबंधन का कार्य बेहतर तरीके से चल रहा है और अब इस कार्य को ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर किए जाने की तैयारी है. स्वच्छता प्रबंधन के तहत अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर शौचालयों के निर्माण कराए जा चुके है. लेकिन इन शौचालयों का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हो रहा है. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर कुछ स्थानों पर एसएलआरएम सेंटर भी संचालित है.

ग्रामीण सहभागिता जरूरी: वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के घरों से गीला कचरा ना के बराबर निकलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में घरों से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग ग्रामीण अपने स्तर पर कर लेते है लेकिन ठोस कचरा, प्लास्टिक ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब परेशानी का सबब बन रहा है. स्वच्छ भारत मिशन 2 के तहत शासन और प्रशासन इन्हीं समस्याओं के निदान पर कार्य करने जा रहा है. जिस तरह शहरी क्षेत्र में स्वच्छता प्रबंधन में नागरिकों की सहभागिता सबसे महत्वपूर्ण रही उसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वच्छता प्रबंधन तभी कार्य कर पाएगा जब गांव के लोगों का पूरा सहयोग मिलेगा.

यह भी पढ़ें: 2023 में छत्तीसगढ़ में जी 20 समूह की बैठक

दिया गया प्रशिक्षण: राष्ट्रीय स्तर के मास्टर ट्रेनर, विशेषज्ञ लक्ष्मीकांत शिंदे और आकाश गायकवाड़ ने ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन को लेकर सरगुजा के ग्रामीण इकाई के कर्मचारियों और जन प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दी है. बायोटेक वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा व स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी ने उन्हें सोर्स सेग्रीगेशन, एफएसटीपी, प्लास्टिक दाना सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी है.

यहां लगेगा प्लांट: स्वच्छ भारत मिशन फेस 2 के तहत अब ग्रामीण क्षेत्र में भी फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जायेगा. एफएसटीपी की स्थापना के लिए केशवपुर का चयन कर भूमि परीक्षण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. एफएसटीपी को संचालित करने के लिए यह जरुरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी शौचालयों का सही ढंग से उपयोग किया जाए.

ग्रामीण क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक शौचालय: सरगुजा जिले में लगभग 1 लाख 92 हजार शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है. ये आंकड़े सिर्फ स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये गए शौचालय के हैं. जबकि बहुत से लोगों के पास खुद के बनाये गये शौचालय भी हैं. ग्रामीण शौचालयों की संख्या 2 लाख से भी कहीं अधिक सम्भव है. ग्रामीण क्षेत्र भी ओडीएफ की श्रेणी में है और इन शौचालयों से फिकल स्लज को प्लांट में लाया जाएगा. सरगुजा जिले में 439 ग्राम पंचायतों में कुल 570 गांव है और वर्तमान में उदयपुर लुंड्रा के बटवाही, सीतापुर के सोनतरई, बतौली के सरमना में एसएलआरएम सेंटर संचालित है. जबकि बाकी स्थानों पर भी एसएलआरएम सेंटर बनाने का कार्य चल रहा है.

अंबिकापुर के गांवों में कचरे से कमाई का फार्मूला शुरू होगा

सरगुजा: अंबिकापुर शहर का स्वच्छता मॉडल (Cleanliness model of Ambikapur city) अब ग्रामीण क्षेत्र में भी शुरू होगा. जिस तरह अंबिकापुर नगर निगम (Ambikapur Municipal Corporation) ने कचरे से कमाई कर एक उदाहरण पेश किया है. अब कमाई का यह फार्मूला गांव में भी लागू किया जायेगा. ग्रामीण क्षेत्र में कचरे के प्रबंधन के लिए एसएलआरएम सेंटर स्थापित किए जायेंगे. ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन करने के साथ ही फिकल स्लज के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए जाने है. इस बड़े अभियान की सफलता के लिए ग्रामीण नागरिकों की जागरूकता महत्वपूर्ण है. ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है. एसबीएम 2 के तहत स्वीकृति मिलने के बाद प्रशासन ने ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन पर काम शुरू कर दिया है.

अंम्बिकापुर मॉडल ही होगा लागू: अंबिकापुर का एसएलआरएम मॉडल (SLRM model of Ambikapur) देशभर में फेमस हुआ और इसे निकायों में लागू किया गया. शहरी क्षेत्र में स्वच्छता प्रबंधन का कार्य बेहतर तरीके से चल रहा है और अब इस कार्य को ग्रामीण क्षेत्र में भी बड़े स्तर पर किए जाने की तैयारी है. स्वच्छता प्रबंधन के तहत अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर शौचालयों के निर्माण कराए जा चुके है. लेकिन इन शौचालयों का पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हो रहा है. इसके साथ ही ग्रामीण स्तर पर कुछ स्थानों पर एसएलआरएम सेंटर भी संचालित है.

ग्रामीण सहभागिता जरूरी: वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के घरों से गीला कचरा ना के बराबर निकलता है. ग्रामीण क्षेत्रों में घरों से निकलने वाले गीले कचरे का उपयोग ग्रामीण अपने स्तर पर कर लेते है लेकिन ठोस कचरा, प्लास्टिक ग्रामीण क्षेत्रों में भी अब परेशानी का सबब बन रहा है. स्वच्छ भारत मिशन 2 के तहत शासन और प्रशासन इन्हीं समस्याओं के निदान पर कार्य करने जा रहा है. जिस तरह शहरी क्षेत्र में स्वच्छता प्रबंधन में नागरिकों की सहभागिता सबसे महत्वपूर्ण रही उसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में भी स्वच्छता प्रबंधन तभी कार्य कर पाएगा जब गांव के लोगों का पूरा सहयोग मिलेगा.

यह भी पढ़ें: 2023 में छत्तीसगढ़ में जी 20 समूह की बैठक

दिया गया प्रशिक्षण: राष्ट्रीय स्तर के मास्टर ट्रेनर, विशेषज्ञ लक्ष्मीकांत शिंदे और आकाश गायकवाड़ ने ग्रामीण स्वच्छता प्रबंधन को लेकर सरगुजा के ग्रामीण इकाई के कर्मचारियों और जन प्रतिनिधियों को ट्रेनिंग दी है. बायोटेक वैज्ञानिक डॉ. प्रशांत शर्मा व स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी रितेश सैनी ने उन्हें सोर्स सेग्रीगेशन, एफएसटीपी, प्लास्टिक दाना सहित अन्य महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी है.

यहां लगेगा प्लांट: स्वच्छ भारत मिशन फेस 2 के तहत अब ग्रामीण क्षेत्र में भी फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जायेगा. एफएसटीपी की स्थापना के लिए केशवपुर का चयन कर भूमि परीक्षण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है. एफएसटीपी को संचालित करने के लिए यह जरुरी है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी शौचालयों का सही ढंग से उपयोग किया जाए.

ग्रामीण क्षेत्रों में 2 लाख से अधिक शौचालय: सरगुजा जिले में लगभग 1 लाख 92 हजार शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है. ये आंकड़े सिर्फ स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाये गए शौचालय के हैं. जबकि बहुत से लोगों के पास खुद के बनाये गये शौचालय भी हैं. ग्रामीण शौचालयों की संख्या 2 लाख से भी कहीं अधिक सम्भव है. ग्रामीण क्षेत्र भी ओडीएफ की श्रेणी में है और इन शौचालयों से फिकल स्लज को प्लांट में लाया जाएगा. सरगुजा जिले में 439 ग्राम पंचायतों में कुल 570 गांव है और वर्तमान में उदयपुर लुंड्रा के बटवाही, सीतापुर के सोनतरई, बतौली के सरमना में एसएलआरएम सेंटर संचालित है. जबकि बाकी स्थानों पर भी एसएलआरएम सेंटर बनाने का कार्य चल रहा है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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