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आदिवासियों ने बताया कि उल्टी दिशा में क्यों चलती है उनकी घड़ी

आदिवासी दिवस पर सीतापुर में आदिवासी युवक-युवतियों ने लोगों को संस्कृति के बारे में जानकारी दी.

आदिवासियों की उल्टी घड़ी
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Published : Aug 10, 2019, 8:56 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: सीतापुर के लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम ग्राउंड में शुक्रवार को आदिवासियों ने हजारों की संख्या में अपने समाज के साथ मिलकर विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से मनाया. समाज को ऊंचाई तक ले जाने का संकल्प भी लिया.

आदिवासियों दिवस

यहां आदिवासियों ने अपनी प्रदर्शनी में एन्टी क्लॉक वाइज घड़ी का राज भी बताया. कहा कि आखिर उनकी यह घड़ी उल्टी दिशा की ओर घूमते हुए क्यों चलती है. इसके पीछे क्या नियम और शर्ते हैं. कहा कि उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे आदिवासी-मूलवासी लोगों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करें.

क्यों बनाई ऐसी घड़ी

आदिवासियों का कहना है कि पृथ्वी एंटी क्लॉक वाइज घूमती है. इसी के सिद्दांत पर ये घड़ी चल रही है. उनका कहना है कि आदिवासी एंटी क्लॉक वाइज खेत की जुताई करते हैं. कोई भी लता पहाड़ पर एंटी क्लॉक वाइज घूमती है इसलिए इस तरह की घड़ी बनाई गई है.

पढ़ें- धमतरी : विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में शामिल हुई राज्यपाल अनुसुइया उइके

आदिवासियों ने बताया कि हमें इस गीत को भी नहीं भूलना चाहिए, जो अंग्रेजों के खिलाफ 9 जनवरी 1900 को डोम्बारी पहाड़ पर गाया गया था. बिरसा मुंडा के संघर्ष को मुंडा लोकगीत से याद करते हैं.

सरगुजा: सीतापुर के लालबहादुर शास्त्री स्टेडियम ग्राउंड में शुक्रवार को आदिवासियों ने हजारों की संख्या में अपने समाज के साथ मिलकर विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से मनाया. समाज को ऊंचाई तक ले जाने का संकल्प भी लिया.

आदिवासियों दिवस

यहां आदिवासियों ने अपनी प्रदर्शनी में एन्टी क्लॉक वाइज घड़ी का राज भी बताया. कहा कि आखिर उनकी यह घड़ी उल्टी दिशा की ओर घूमते हुए क्यों चलती है. इसके पीछे क्या नियम और शर्ते हैं. कहा कि उनकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वे आदिवासी-मूलवासी लोगों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करें.

क्यों बनाई ऐसी घड़ी

आदिवासियों का कहना है कि पृथ्वी एंटी क्लॉक वाइज घूमती है. इसी के सिद्दांत पर ये घड़ी चल रही है. उनका कहना है कि आदिवासी एंटी क्लॉक वाइज खेत की जुताई करते हैं. कोई भी लता पहाड़ पर एंटी क्लॉक वाइज घूमती है इसलिए इस तरह की घड़ी बनाई गई है.

पढ़ें- धमतरी : विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम में शामिल हुई राज्यपाल अनुसुइया उइके

आदिवासियों ने बताया कि हमें इस गीत को भी नहीं भूलना चाहिए, जो अंग्रेजों के खिलाफ 9 जनवरी 1900 को डोम्बारी पहाड़ पर गाया गया था. बिरसा मुंडा के संघर्ष को मुंडा लोकगीत से याद करते हैं.

Intro:सरगुजा~आज सीतापुर के लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम ग्राउंड में आदिवासियों ने हजारों की संख्या में अपने समाज के साथ मिलकर विश्व आदिवासी दिवस को धूमधाम से मनाया और अपने आदिवासी समाज को ऊँचाई तक ले जाने का संकल्प भी लिया।

यहाँ आदिवासियों ने अपने प्रदर्शनी में Anti Clock Wise चल रही घड़ी का राज भी बताया कि आखिर उनकी यह घड़ी उल्टी दिशा की ओर घूमते हुए क्यों चल रही है और इसके पीछे नियम और शर्ते है इसके बारें में आदिवासियों ने Etv Bharat को अवगत कराया वहीं अपनी पकवानों से भी रूबरू करवाया।Body:विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासियों ने Etv Bharat को विभिन्न प्रकार के अपने सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अपने हथियारों से भी रूबरू कराया और अपने एक तीर,,,एक कमान को भी दिखाते हुए अपनी शक्ति से अवगत कराया।

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर सीतापुर में आदिवासियों ने बताया कि आज जब हम धूमधाम से विश्व आदिवासी दिवस मना रहे हैं,तब हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि हम आदिवासी-मूलवासी लोगों की दशा और दिशा की ईमानदारी से समीक्षा करें।

आदिवासियों ने बताया कि हमें इस गीत को भी नहीं भूलना चाहिए,जो अंग्रेजों के खिलाफ 9 जनवरी 1900 को डोम्बारी पहाड़ पर बिरसा मुंडा के लोगों के संघर्ष को मुंडा लोकगीत में याद करते हैं~ ‘डोम्बारी बुरू चेतन रे ओकोय दुमंग रूतना को सुसुन तना,डोम्बारी बुरू लतर रे कोकोय बिंगुल सड़ीतना को संगिलकदा/डोम्बरी बुरू चतेतन रे बिरसा मुंडा दुमंग रूतना को सुसुन तना,डोम्बरी बुरू लतर रे सयोब बिंगुल सड़ीतना को संगिलाकदा अर्थात (डोम्बारी पहाड़ पर कौन मंदर बजा रहा है, लोग नाच रहे है,डोम्बारी पहाड़ के नीचे कौन बिगुल फूंक रहा है जो नाच रहे हैं,डोम्बारी पहाड़ पर बिरसा मुंडा मांदर बजा रहा है- लोग नाच रहे हैं। डोम्बारी पहाड़ के नीचे अंग्रेज कप्तान बिगुल फूंक रहा है-लोग पहाड़ की चोटी की ओर ताक रहे हैं।)

Conclusion:आदिवासियों ने यह भी बताया कि समाज के अंदर हो रही घटनाओं पर हमें चिंतन करने की जरूरत है चाहे अंधविश्वास के कारण हो रही हत्याएं या उग्रवादी-माओवादी हिंसा के नाम हर साल सैकड़ों लोगों की हत्याएं,अपहरण,बलात्कार, मानव तस्करी जैसे अमानवीय घटनाएं हों इनसे आदिवासी-मूलवासी समाज को ही नुकसान हो रहा है।

वहीं आदिवासी दिवस के मौके पर सीतापुर में आदिवासी युवक~युवतियों ने अपने संस्कृति को सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से दिखलाकर लोगों को जागरूक किया।

बाईट 01~संतोष बेक
(आदिवासियों के द्वारा बनाई गई उनकी नियम के प्रकृति पर Anti Clock Wise काम करती घड़ी के बारें में जानकारी देते हुए।)

बाईट 02~बिगन राम,,,,कार्यक्रम को संबोधित कर हुए बताते हुए कि हम सभी आदिवासी एक घोसलें के खोते है।

विजुअल 01~आदिवासियों के कार्यक्रम स्थल का दृश्य।

विजुअल 02~आदिवासियों के व्यंजनों का दृश्य।

विजुअल 03~आदिवासियों के द्वारा बनाई हुई उनके नियम पर काम करती हुई Anti Clock Wise घड़ी का दृश्य।

विजुअल 04~आदिवासी संस्कृति पर प्रोग्राम देते हुए युवतियों का दृश्य।

Report~Roshan Soni
Surguja_Sitapur_C.G...!!!
CGC10056
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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