सरगुजा: ग्रामीण परिवेश में पशुपालन बेहद फायदेमंद व्यवसाय माना जाता है. ये ग्रामीणों के आजीविका का एक बेहतर साधन है. अब इस व्यवसाय में होने वाले रिस्क का भी समाधान सामने आ गया है. कृत्रिम गर्भधारण से ना सिर्फ पशुओं की निश्चित संख्या बढ़ती है बल्कि बेहतर नस्ल के वजनदार पशु भी मिलते हैं.
बकरी पालन सरल व्यवसाय
हम बात कर रहे हैं बकरी पालन की, जो बेहद सरल और मुनाफे का व्यवसाय है. लेकिन युवा वर्ग इससे कोसो दूर हैं. यहां तक कि ग्रामीण क्षेत्रों के पशुपालक भी बकरी पालन छोड़ चुके थे. इसके पीछे कारण था बकरी पालन में आने वाली दिक्कतें. नेचुरल पद्धति से गर्भधारण में कई बार बकरे की बीमारी की वजह से ना सिर्फ प्रसव रुकता था बल्कि सारी बकरियां बकरे की उस बीमारी से संक्रमित हो जाती थी. पशुपालक को लाभ तो छोड़िये उसकी पूरी पूंजी भी डूब जाती थी. लेकिन अब जिला प्रशासन ने इस समस्या का स्थायी हल निकाल लिया (Goat artificial insemination will profit in Surguja) है. अब बकरी को गर्भधारण कराने के लिए बकरे की जरूरत नही है बल्कि कृत्रिम गर्भधारण के जरिये बकरी को गर्भवती किया जा सकता है.
बकरियों का कृत्रिम गर्भधारण है सुरक्षित
इस विषय में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ.चंद्र कुमार मिश्रा बताते हैं कि AI से सुरक्षित गर्भधारण होता है. बीमारी होने का कोई खतरा नहीं होता. इससे बेहतर नस्ल के बच्चे जन्म लेते हैं, जिनका वजन अधिक होता है और पशु पालकों को अच्छा मुनाफा होता है. सरगुजा छत्तीसगढ़ का पहला जिला है, जिसने बकरियों के कृत्रिम गर्भधारण का काम शुरू किया है. लागभग डेढ़ वर्ष पहले इसे सरगुजा में शुरू किया गया. अब तक 700 AI पशु विभाग की टीम कर चुकी है. AI के लिये पशु चिकित्सालय के कंपाउंडर और गौ सेवक को भी प्रशिक्षित कर दिया गया हैं और आज सरगुजा के हर ग्राम पंचायत में कृत्रिम गर्भधारण पशुपालक आसानी से करा सकते हैं.
सबसे जरूरी संसाधनों में सीमेन और लिक्विड नाइट्रोजन होता है
डॉ. मिश्रा ने आगे बताया कि AI करने के लिए सबसे जरूरी संसाधनों में सीमेन और लिक्विड नाइट्रोजन होता है. सीमेन अलग से मंगवा लिया जाता है लेकिन लिक्विड नाइट्रोजन भिलाई से लाना पड़ता था. ये ट्रांसपोर्टिंग के दौरान काफी हद तक उड़ जाता था, जिससे समस्या हो रही थी. इस समस्या के समाधान के लिए संचालक और कलेक्टर के सहयोग से एक टैंकर सरगुजा संभाग को मिल गया है. जिसमें लिक्विड नाइट्रोजन अधिक मात्रा में लाकर रखने की व्यवस्था बन गई है.
यह भी पढ़ें: लैपटॉप ऑन कर चुटकियों में पैसे ट्रांसफर कर देती हैं 10वीं पास सुधा, 4 साल में 96 करोड़ का ट्रांजैक्शन
पशु पालकों को होना हो गा जागरूक
डॉ मिश्रा कहते हैं कि हर गावं में आज कृत्रिम गर्भधारण की व्यवस्था है. हम लगातार प्रयास कर रहे हैं. लेकिन जब तक पशु पालक जागरूक नहीं होंगे, तब तक बदलाव नहीं आयेगा. बकरी पालन के व्यवसाय में कृत्रिम गर्भधारण एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है. लोग अधिक मुनाफा कमा कर एक बेहतर व्यवस्था खड़ा कर सकते हैं.