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असहायों के लिए 'संजीवनी' बनी ये महिलाएं, बचत की रकम से कर रहीं लोगों की मदद

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Published : Feb 1, 2020, 1:07 PM IST

जिले के सिंघोला गांव की महिलाएं संगठित होकर गांव के हर गरीब परिवार को मदद करने के लिए काम कर रही हैं. घर-घर जाकर महिलाओं को इस काम के लिए प्रेरित भी कर रही हैं. मिलिए उन महिलाओं से जो अपने हौसलों से दूसरों की जिंदगी को रोशन कर रही हैं.

Women of cooperative society of Rajnandgaon helping the poor people
महिलाओं का सहारा बनी सरोज

राजनांदगांव: जिले की ग्राम पंचायत सिंघोला की सरोज साहू ने महिला शक्ति की मिसाल पेश की है. ये गांव के हर जरूरतमंद परिवारों के लिए 'संजीवनी' का काम कर रही हैं. गांव की महिलाओं को जोड़कर उन्होंने 101 महिलाओं का समूह तैयार किया है. जिसके जरिए वह अब गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक रूप से मदद कर रही हैं. महिला शक्ति की जीती जागती मिसाल है सिंघोला की महिलाएं. जो आपस में एकजुट होकर गरीब परिवार के लिए शक्ति स्वरूपा का रूप बनकर उनके हर सुख-दुख में साथ खड़ी हो रही हैं.

असहायों के लिए संजीवनी बनी महिलाएं

ऐसे करती हैं मदद
2 महीने पहले सरोज साहू ने इस समिति का निर्माण किया है. समूह की हर सदस्य हर महीने 60 रुपये जमा करती है, जिसमें से 50 रुपए सामूहिक तौर पर जमा किए जाते हैं और 10 रुपए गांव के गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों के लिए जमा किए जाते हैं. इस राशि से वह जरूरतमंद लोगों को आर्थिक रूप से मदद करती हैं. अब तक गांव के 4 गरीब परिवारों की इन महिलाओं ने आर्थिक रूप से मदद की है.

करती है श्रमदान भी1
गांव में जब भी किसी जरुरतमंद के घर में बिटिया की शादी होती है, तो समिति की ये महिलाएं अपने महीने की बचत का एक हिस्सा शादी में लगाती हैं. साथ ही अपने घर से एक 1 किलो चावल और कुछ राशन निकाल कर शादी में मदद करती हैं. इसके अलावा शादी के दौरान समारोह में वे खुद पहुंचती है और सारा काम अपने श्रमदान से करती हैं.

महिलाओं को बनाना चाहती हैं सक्षम
समिति की अध्यक्षा सरोज साहू का कहना है कि 'वह गांव की हर महिलाओं को सक्षम बनाना चाहती हैं. इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं. महिलाओं को जोड़कर वह गांव में ही कुछ रोजगार के अवसर तलाश रही है. ताकि महिलाओं और गरीब तबके के लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ सके. उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना सकें'.

राजनांदगांव: जिले की ग्राम पंचायत सिंघोला की सरोज साहू ने महिला शक्ति की मिसाल पेश की है. ये गांव के हर जरूरतमंद परिवारों के लिए 'संजीवनी' का काम कर रही हैं. गांव की महिलाओं को जोड़कर उन्होंने 101 महिलाओं का समूह तैयार किया है. जिसके जरिए वह अब गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक रूप से मदद कर रही हैं. महिला शक्ति की जीती जागती मिसाल है सिंघोला की महिलाएं. जो आपस में एकजुट होकर गरीब परिवार के लिए शक्ति स्वरूपा का रूप बनकर उनके हर सुख-दुख में साथ खड़ी हो रही हैं.

असहायों के लिए संजीवनी बनी महिलाएं

ऐसे करती हैं मदद
2 महीने पहले सरोज साहू ने इस समिति का निर्माण किया है. समूह की हर सदस्य हर महीने 60 रुपये जमा करती है, जिसमें से 50 रुपए सामूहिक तौर पर जमा किए जाते हैं और 10 रुपए गांव के गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों के लिए जमा किए जाते हैं. इस राशि से वह जरूरतमंद लोगों को आर्थिक रूप से मदद करती हैं. अब तक गांव के 4 गरीब परिवारों की इन महिलाओं ने आर्थिक रूप से मदद की है.

करती है श्रमदान भी1
गांव में जब भी किसी जरुरतमंद के घर में बिटिया की शादी होती है, तो समिति की ये महिलाएं अपने महीने की बचत का एक हिस्सा शादी में लगाती हैं. साथ ही अपने घर से एक 1 किलो चावल और कुछ राशन निकाल कर शादी में मदद करती हैं. इसके अलावा शादी के दौरान समारोह में वे खुद पहुंचती है और सारा काम अपने श्रमदान से करती हैं.

महिलाओं को बनाना चाहती हैं सक्षम
समिति की अध्यक्षा सरोज साहू का कहना है कि 'वह गांव की हर महिलाओं को सक्षम बनाना चाहती हैं. इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं. महिलाओं को जोड़कर वह गांव में ही कुछ रोजगार के अवसर तलाश रही है. ताकि महिलाओं और गरीब तबके के लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ सके. उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना सकें'.

Intro:राजनांदगांव गांव के गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंदों के लिए सिंघोला की महिलाएं संजीवनी बनकर काम कर रही है चाहे बिटिया की शादी हो या फिर अंतिम संस्कार का कार्यक्रम गांव की महिलाएं अपने महीने के छोटी-छोटी बचत से एक हिस्सा निकाल कर इनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं महज 2 महीने पहले गांव की सरोज साहू ने एक एक महिलाओं को जोड़ कर यह सब कुछ संभव कर दिखाया है.


Body:जिला मुख्यालय से तकरीबन 8 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत सिंघोला की सरोज साहू ने महिला शक्ति की ऐसी मिसाल पेश की है जो आज गांव के हर जरूरतमंद परिवारों के लिए संजीवनी का काम कर रही है गांव की एक-एक महिलाओं को जोड़कर उन्होंने तकरीबन 100 से अधिक महिलाओं का समूह तैयार किया है जिसके जरिए वह अब गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों की आर्थिक और शारीरिक रूप से भी मदद कर रही हैं महिला शक्ति की जीती जागती मिसाल है सिंघोला की महिलाएं जो आपस में एकजुट होकर गरीब परिवार के लिए शक्ति स्वरूपा का रूप बनकर उनके हर सुख दुख में सामने आकर खड़ी हो रही है.
ऐसे करती है मदद
गांव की महिला सरोज साहू ने गांव की ही तकरीबन 100 से अधिक महिलाओं को जोड़कर एक समूह तैयार किया है तकरीबन 2 महीने पहले उन्होंने इस समूह को तैयार किया है जिसके जरिए ₹60 की राशि महीने भर में जमा करती हैं इनमें ₹50 सामूहिक तौर पर जमा किए जाते हैं और ₹10 की राशि गांव के गरीब तबके के लोगों और जरूरतमंद लोगों के लिए जमा किए जाते हैं इस राशि से वह जरूरतमंद लोगों को आर्थिक रूप से मदद करती है चाहे बिटिया की शादी हो या फिर गांव के गरीब तबके के लोगों के घर में अंतिम संस्कार हर परिस्थिति में महिलाएं मदद के लिए तैयार रहती हैं अब तक गांव के 4 गरीब परिवारों की इन महिलाओं ने आर्थिक रूप से मदद की है.
करती है श्रमदान भी
मां भानेश्वरी बहुउद्देशीय महिला सहकारी समिति की महिलाएं गांव में जब भी गरीब तबके के लोगों के घर में बिटिया की शादी होती है तो अपनी महीने की बचत का एक हिस्सा आर्थिक रूप से और फिर अपने घर से एक 1 किलो चावल निकाल कर शादी में मदद करती हैं इसके अलावा शादी के दौरान समारोह में वे खुद पहुंचती है और सारा काम अपने श्रमदान से करती हैं। महिलाएं शादी और अंतिम संस्कार दोनों के कार्यक्रम में खुद बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं और कार्यक्रम में भोजन व्यवस्था का पूरा काम देखती है।
गांव की हर महिला को बनाना चाहती है सक्षम
समूह की अध्यक्ष सरोज साहू का कहना है कि वह गांव की हर महिलाओं को सक्षम बनाना चाहती है इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रही हैं महिलाओं को जोड़कर वह गांव में ही कुछ रोजगार के अवसर तलाश रही है ताकि महिलाओं और गरीब तबके के लोगों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ सके और उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बना सके।


Conclusion:बहरहाल महिलाएं लगातार संगठित होकर गांव के हर गरीब परिवार को मदद करने के लिए प्लानिंग के तहत काम कर रही हैं और घर-घर जाकर महिलाओं को इस काम के लिए प्रेरित भी कर रही है।

बाईट 1 सरोज साहू अध्यक्ष महिला समूह

बाईट 2 स्थानीय ग्रामीण जिन्हें पति के अंतिम संस्कार के लिए महिलाओं ने मदद की
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