इसकी नींव रखने में सबसे बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाली स्व सहायता समूह की महिलाओं की हालत दयनीय है या कहें, तो उनके स्वास्थ्य और जिंदगी को बड़ा खतरा है.
जिले में तत्कालीन कलेक्टर ऋतु सेन ने एक अनूठा प्रयास शुरू किया था, जिसके तहत पहले समूह बनाकर डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन करने का काम शुरू किया गया और फिर उस कचरे से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नाम की योजना बनाई गई.
बिना दस्ताने के अलग करती हैं कचरा
इसमें सूखा और गीला कचरा अलग कर उसे भी उपयोगी बनाया जाता है. इस काम को पूरे देश ने सराहा और कई राष्ट्रीय अवॉर्ड भी नगर निगम को मिले, लेकिन इस काम को अंजाम देने वाली स्वच्छता दीदीयों की स्थिति दयनीय है. ये खुले हाथों से कचरा छांटती हैं. पूरे शहर की दुर्गंध से भरे कचरे को ये अपने हाथ से बीनती हैं और न तो हाथ में दस्ताने होते हैं और न ही मुह पर मास्क.
जल्द फट जाते हैं दस्तानें
जिले में संक्रमण से गंभीर बीमारियों को दावत देने का काम किया जा रहा है. मामले में स्वच्छता दीदी का कहना है कि दस्तानें, तो मिलते हैं पर जल्द ही फट जाते हैं.
जल्द होगी समीक्षा : महापौर
इस सबंध में नगर के महापौर से बात की गई, तो उन्होंने कहा की साफ निर्देश हैं कि बिना दस्ताने और मास्क के काम न करें. अगर फिर भी ऐसा किया जा रहा है, तो इसकी समीक्षा की जाएगी. दस्ताने की क्वालिटी की भी समीक्षा की जाएगी.