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International Family Day: जीवन का सुख-दुख बांटते एकजुटता की मिसाल पेश करते ये संयुक्त परिवार

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Published : May 15, 2020, 5:07 PM IST

15 मई अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में मनाया जाता है. डोंगरगांव क्षेत्र में ऐसे कई परिवार हैं जो संयुक्त परिवार की आधारशिला को स्थापित किए हुए हैं और एकजुटता का संदेश दे रहे हैं.

International Family Day
विश्व परिवार दिवस विशेष

राजनांदगांव/डोंगरगांव : आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस है. सनातन संस्कृति में जिस परिवार को सर्वोपरि और श्रेष्ठ माना गया है, वह संयुक्त परिवार ही है. आधुनिकीकरण के दौर में अधिकतर परिवारों में बिखराव की स्थिति हैं. इन परिवारों को असमय दुख, तकलीफ और अन्य समस्याओं में अकेले ही जूझते देखा गया है. वहीं संयुक्त परिवार बरगद के उस विशाल वृक्ष की तरह है, जो परिवार के सदस्यों को मजबूती से खड़े रहने में मदद देता है. संयुक्त परिवार में पूरे परिवार के सुख-दुख को लोग मिलजुलकर बांटते हैं. ऐसे परिवार आंधी, तूफान और अन्य आपदाओं में भी डटकर खड़े रहते हैं.

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष

राजनांदगांव के डोंगरगांव में भी कुछ ऐसे ही संयुक्त परिवार हैं, जो न सिर्फ सभी के लिए मिसाल हैं बल्कि संयुक्त जिम्मेदारियों और कर्तव्यों का निर्वहन करना भी नई पीढ़ी को सिखा रहे हैं.

डोंगरगांव के ग्राम सांकरीपार में 80 वर्षीय नंदूराम पटेल का परिवार है, जो अपनी चौथी पीढ़ी के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं. हालांकि पचास परिवारों का यह गांव जिसमें 90 प्रतिशत आबादी पटेल परिवार की ही है. वैसे तो पूरा गांव ही एक ही परिवार की भांति है, लेकिन नन्दूराम का परिवार एक मिसाल है. लगभग 35 एकड़ की किसानी करने वाले इस पटेल परिवार में सभी की जिम्मेदारी और भूमिका तय है.

सभी मिलजुलकर तय करते हैं काम

परिवार के सभी लोग मिलजुलकर कृषि, बागवानी और घर के सभी काम को काफी सरलता से निपटा लेते हैं. पटेल परिवार में कुल 19 सदस्य एक साथ रहते हैं. इनमें 12 पुरुष और 9 महिलाएं हैं. परिवार के कुछ सदस्य शासकीय सेवक भी हैं, जबकि ज्यादातर कृषि को परिवार के मुख्य आय का स्रोत मानते हैं. इस परिवार में भोजन एक साथ करने की प्रथा शुरू से चली आ रही है.

पढ़ें-जानें, क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस और क्या है महत्व

एकता से मिलता है बल

यही कारण है कि आज तक पटेल परिवार में बिखराव की स्थिति नहीं आई है. चौथी पीढ़ी देख रहे परिवार के मुखिया नंदूराम पटेल का मानना है कि 'एकता में बल की बात संयुक्त परिवार पर ही लागू होती है. परिवार में टूट के बजाए संयुक्तता को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे जिम्मेदारियां सुख-दुख आपस में बांट सकें. इस परिवार के तीसरी पीढ़ी की बहू हेमिन पटेल ने बताया कि परिवार बड़ा है, लेकिन संयुक्त परिवार में रहकर एक अलग अनुभव मिलता है और काफी कुछ सीखने मिलता है.

डोंगरगांव में है 40 सदस्यों का एक और परिवार

नगर के हृदय स्थल पर प्रतिष्ठित देवांगन परिवार से लगभग सभी परिचित हैं. पूर्व नपं अध्यक्ष स्व. गणेशराम देवांगन का यह 40 सदस्यीय परिवार अब भी एक छत के नीचे, एक रसोई के साथ संयुक्त परिवार के रूप में निवासरत है. इस परिवार में सभी की अपनी-अपनी जिम्मेदारियां तय हैं. महिलाएं किचन से लेकर घर की जरूरत और अन्य देखभाल का जिम्मा संभाले हुए हैं, जबकि पुरुष साइकिल, होटल, किराना, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल्स का व्यवयाय कर परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं.

ये भी पढ़ें-15 मई : मैक्डोनाल्ड्स की शुरुआत का दिन

'साथ रहना परिवार की सबसे बड़ी ताकत'

हालांकि अब स्थान और समय के अभाव के चलते परिवार के सदस्य अन्य मकान में रहने चले गए हैं ,लेकिन पूरी पारिवारिक जिम्मेदारी और एकजुटता आज भी कायम है. गणेशराम देवांगन के स्वर्गवास के बाद मुखिया की जिम्मेदारी संभाल रहे संपत देवांगन ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों का एक साथ रहना हमारे परिवार की सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी समस्या के दौरान पारिवारिक एकजुटता के चलते दुख-तकलीफों का एहसास ही नहीं होता.

संयुक्त परिवार दे रहे एकजुटता का संदेश

डोंगरगांव में ऐसे कई संयुक्त परिवार हैं, जो वर्तमान में एक साथ रहकर पारिवारिक एकजुटता का संदेश दे रहे हैं. इसलिए उन्होंने अपना एक अलग स्थान और पहचान समाज में स्थापित किया है.

इन परिवारों में वरिष्ठ समाजसेवी नारायणदास गांधी जिनके बेटे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दिनेश गांधी हैं, वे भी शामिल हैं. 26 सदस्यीय इस परिवार में राजनीति से लेकर कृषि, अनाज और पेट्रोल पंप तक के सफल व्यवसायी हैं. इसी तरह पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष गुलशन हिरवानी का परिवार है, जहां 21 सदस्य के लिए एकमात्र रसोई है. आपसी मेलजोल और सामंजस्य के चलते इस परिवार ने अनेकों मुकाम हासिल किए हैं. ऐसे अनेक परिवार हैं जो संयुक्त परिवार की आधारशिला पर स्थापित हैं और समाज को एकजुटता का संदेश देते हैं.

राजनांदगांव/डोंगरगांव : आज अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस है. सनातन संस्कृति में जिस परिवार को सर्वोपरि और श्रेष्ठ माना गया है, वह संयुक्त परिवार ही है. आधुनिकीकरण के दौर में अधिकतर परिवारों में बिखराव की स्थिति हैं. इन परिवारों को असमय दुख, तकलीफ और अन्य समस्याओं में अकेले ही जूझते देखा गया है. वहीं संयुक्त परिवार बरगद के उस विशाल वृक्ष की तरह है, जो परिवार के सदस्यों को मजबूती से खड़े रहने में मदद देता है. संयुक्त परिवार में पूरे परिवार के सुख-दुख को लोग मिलजुलकर बांटते हैं. ऐसे परिवार आंधी, तूफान और अन्य आपदाओं में भी डटकर खड़े रहते हैं.

अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस पर विशेष

राजनांदगांव के डोंगरगांव में भी कुछ ऐसे ही संयुक्त परिवार हैं, जो न सिर्फ सभी के लिए मिसाल हैं बल्कि संयुक्त जिम्मेदारियों और कर्तव्यों का निर्वहन करना भी नई पीढ़ी को सिखा रहे हैं.

डोंगरगांव के ग्राम सांकरीपार में 80 वर्षीय नंदूराम पटेल का परिवार है, जो अपनी चौथी पीढ़ी के साथ एक ही छत के नीचे रहते हैं. हालांकि पचास परिवारों का यह गांव जिसमें 90 प्रतिशत आबादी पटेल परिवार की ही है. वैसे तो पूरा गांव ही एक ही परिवार की भांति है, लेकिन नन्दूराम का परिवार एक मिसाल है. लगभग 35 एकड़ की किसानी करने वाले इस पटेल परिवार में सभी की जिम्मेदारी और भूमिका तय है.

सभी मिलजुलकर तय करते हैं काम

परिवार के सभी लोग मिलजुलकर कृषि, बागवानी और घर के सभी काम को काफी सरलता से निपटा लेते हैं. पटेल परिवार में कुल 19 सदस्य एक साथ रहते हैं. इनमें 12 पुरुष और 9 महिलाएं हैं. परिवार के कुछ सदस्य शासकीय सेवक भी हैं, जबकि ज्यादातर कृषि को परिवार के मुख्य आय का स्रोत मानते हैं. इस परिवार में भोजन एक साथ करने की प्रथा शुरू से चली आ रही है.

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एकता से मिलता है बल

यही कारण है कि आज तक पटेल परिवार में बिखराव की स्थिति नहीं आई है. चौथी पीढ़ी देख रहे परिवार के मुखिया नंदूराम पटेल का मानना है कि 'एकता में बल की बात संयुक्त परिवार पर ही लागू होती है. परिवार में टूट के बजाए संयुक्तता को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे जिम्मेदारियां सुख-दुख आपस में बांट सकें. इस परिवार के तीसरी पीढ़ी की बहू हेमिन पटेल ने बताया कि परिवार बड़ा है, लेकिन संयुक्त परिवार में रहकर एक अलग अनुभव मिलता है और काफी कुछ सीखने मिलता है.

डोंगरगांव में है 40 सदस्यों का एक और परिवार

नगर के हृदय स्थल पर प्रतिष्ठित देवांगन परिवार से लगभग सभी परिचित हैं. पूर्व नपं अध्यक्ष स्व. गणेशराम देवांगन का यह 40 सदस्यीय परिवार अब भी एक छत के नीचे, एक रसोई के साथ संयुक्त परिवार के रूप में निवासरत है. इस परिवार में सभी की अपनी-अपनी जिम्मेदारियां तय हैं. महिलाएं किचन से लेकर घर की जरूरत और अन्य देखभाल का जिम्मा संभाले हुए हैं, जबकि पुरुष साइकिल, होटल, किराना, इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल्स का व्यवयाय कर परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं.

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'साथ रहना परिवार की सबसे बड़ी ताकत'

हालांकि अब स्थान और समय के अभाव के चलते परिवार के सदस्य अन्य मकान में रहने चले गए हैं ,लेकिन पूरी पारिवारिक जिम्मेदारी और एकजुटता आज भी कायम है. गणेशराम देवांगन के स्वर्गवास के बाद मुखिया की जिम्मेदारी संभाल रहे संपत देवांगन ने बताया कि परिवार के सभी सदस्यों का एक साथ रहना हमारे परिवार की सबसे बड़ी ताकत है और किसी भी समस्या के दौरान पारिवारिक एकजुटता के चलते दुख-तकलीफों का एहसास ही नहीं होता.

संयुक्त परिवार दे रहे एकजुटता का संदेश

डोंगरगांव में ऐसे कई संयुक्त परिवार हैं, जो वर्तमान में एक साथ रहकर पारिवारिक एकजुटता का संदेश दे रहे हैं. इसलिए उन्होंने अपना एक अलग स्थान और पहचान समाज में स्थापित किया है.

इन परिवारों में वरिष्ठ समाजसेवी नारायणदास गांधी जिनके बेटे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दिनेश गांधी हैं, वे भी शामिल हैं. 26 सदस्यीय इस परिवार में राजनीति से लेकर कृषि, अनाज और पेट्रोल पंप तक के सफल व्यवसायी हैं. इसी तरह पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष गुलशन हिरवानी का परिवार है, जहां 21 सदस्य के लिए एकमात्र रसोई है. आपसी मेलजोल और सामंजस्य के चलते इस परिवार ने अनेकों मुकाम हासिल किए हैं. ऐसे अनेक परिवार हैं जो संयुक्त परिवार की आधारशिला पर स्थापित हैं और समाज को एकजुटता का संदेश देते हैं.

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