राजनांदगांव: राजनांदगांव को हॉकी की नर्सरी के नाम से पूरे देश में जाना जाता (Rajnandgaon Hockey Nursery) है. लेकिन अब यह परिभाषा धीरे-धीरे बदलने लगी है. राजनांदगांव बास्केटबाॉल की पहचान अब पूरे देश में धीरे-धीरे होने लगी है. राजनांदगांव के खिलाड़ियों का दबदबा भी पूरे देश में देखने को मिल रहा है. राजनांदगांव के साई (भारतीय खेल प्राधिकरण) में 2001 से आए प्रबंधक के.राजेश्वर राव, जिन्होंने यहां बास्केटबॉल की शुरुआत (Rajnandgaon players made their mark in basketball ) की.
अब तक यहां से 15 सौ खिलाड़ी बास्केटबॉल खेल चुके हैं, जिसमें से लगभग 12 सौ से अधिक खिलाड़ियों ने गोल्ड, सिल्वर ब्राउन मेडल जीता है. लगभग ढाई सौ से अधिक खिलाड़ी देश के अलग-अलग हिस्सों में केंद्र और राज्य में नौकरी कर रहे हैं. 150 से अधिक इंटरनेशनल बास्केटबॉल खिलाड़ी राजनांदगांव साई ने दिए हैं
सलेक्शन के बाद इंडिया टीम में खेलेगी डिंपल: इंटरनेशनल जूनियर बास्केटबॉल खिलाड़ी डिंपल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि वह लगभग 5 से 6 सालों से राजनांदगांव साई में है. अंडर 14 में उन्होंने दो गोल्ड मेडल जीता है. अंडर-17 में एक सिल्वर मेडल जीता है. डिंपल धोबी पेरिस और रूस में इंटरनेशनल जूनियर बास्केटबॉल में अपना परचम लहरा चुकी हैं. अभी डिंपल जूनियर इंडिया कैंप में है. जहां वह सलेक्शन के बाद इंडिया टीम में खेलेंगी.
4-5 नेशनल मैच खेल चुकी है मोना: वहीं, मोना गोस्वामी का कहना है कि वह 4 साल की उम्र से बास्केटबॉल खेल रही है. उसका साई में सलेक्शन होने के बाद उनके खेल में निखार आया है और वह अब तक लगभग 4 से 5 नेशनल मैच खेल चुकी हैं. साथ ही 2 इंटरनेशनल मैच का भी अनुभव है, जिसमें उन्हें रूस में ब्रॉन्ज मेडल मिला था और वह ऑस्ट्रेलिया में भी अपने खेल का जौहर दिखा चुकी है.
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1200 खिलाड़ियों ने जीता मेडल: इस विषय में इंटरनेशनल बास्केटबॉल कोच और साई राजनांदगांव के प्रबंधक के राजेश्वर राव का कहना है कि साई राजनांदगांव की पहचान बास्केटबॉल में पूरे देश में है. यहां से 1500 से अधिक खिलाड़ी साई से ट्रेनिंग लेकर खेल चुके हैं. साथ ही 12 सौ खिलाड़ियों ने मेडल जीता है. 150 इंटरनेशनल खिलाड़ी साई राजनांदगांव ने देश को दिया है. साथ ही 250 से अधिक बास्केटबॉल के खिलाड़ी सरकारी नौकरी कर रहे हैं. जो केंद्र और राज्य सरकार का हिस्सा है. साई की अपनी एक अलग पहचान है. यह बास्केटबॉल की नर्सरी भी अब धीरे-धीरे होते जा रही है. साई की अपनी एक अलग पहचान है. राजनांदगांव अब धीरे-धीरे बास्केटबॉल की नर्सरी बनते जा रहा है. अब देखना होगा कि आने वाले समय में साई से खेले हुए खिलाड़ी अपने खेल का जौहर कहां-कहां दिखाते हैं.