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छत्तीसगढ़ गठन के बाद से यहां बीजेपी को कोई हरा नहीं पाया, ऐसा रहा राजनीतिक सफर - rajnandgao seat election

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर बीजेपी का ही दबदबा रहा है. इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी कांग्रेस में कांटे की टक्कर होगी.

राजनांदगांव.
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Published : Apr 15, 2019, 11:12 PM IST

Updated : Apr 17, 2019, 9:56 PM IST

राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ के हाई-प्रोफाइल सीट राजनांदगांव लोकसभा का ऐतिहासिक महत्व है. इस सीट पर 1962 से ही लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. आजादी के बाद अब तक हुए 14 लोकसभा चुनावों में 7 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी का कब्जा रहा. यह सीट जब तक मध्यप्रदेश में रही यहां कांग्रेस के हाथ बुलंद रहे, लेकिन छत्तीसगढ़ बनते ही इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. हालात ये रहे कि कभी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मोती लाल वोरा को भी यहां हार का मुंह देखना पड़ा. 1999 में रमन सिंह ने मोतीलाल के हरा कर यहां जीत का परचम लहराया जो आज तक चल रहा है. फिलहाल, रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह यहां से सांसद हैं, लेकिन पार्टी ने इस बार उनका भी टिकट काट दिया है.

स्पेशल स्टोरी.

खैरागढ़ राजपरिवार का रहा है दबदबा
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में जब पहली बार 1962 में चुनाव हुए तो वीरेंद्र बहादुर सिंह यहां से कांग्रेस के सांसद चुने गए. इसके बाद कांग्रेस से ही पद्मावती देवी और रामसहाय यहां से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में राजनांदगांव सीट लोकदल के खाते में चली गई और मदन तिवारी यहां से सांसद चुने गए. इस सीट पर लंबे समय तक खैरागढ़ राजपरिवार का दबदबा कायम रहा और राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह के बाद उनकी पत्नी पद्मावती देवी इसके बाद 1980, 1984 और 1991 में उनके बेटे शिवेंद्र बहादुर सिंह यहां से सांसद चुने जाते रहे. कांग्रेस 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी राजपरिवार पर भरोसा जताई और शिवेंद्र बहादुर सिंह के बेटे देवव्रत सिंह को टिकट दिया, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया.

बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने खुज्जी से दो बार विधायक रहे भोलाराम साहू को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने संतोष पांडेय पर भरोसा जताया है. संतोष पांडेय 2003 में कवर्धा विधानसभा से वर्तमान में भूपेश कैबिनेट में मंत्री मोहम्मद अकबर से चुनाव हार चुके हैं. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें है, वर्तमान में इनमें से 6 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं एक सीट पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट जोगी कांग्रेस के हिस्से में गई है. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में साहू वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है. इसके अलावा क्षेत्र में आदिवासी गोड़ और हल्बा समाज के मतदाताओं की संख्या भी निर्णायक भूमिका निभाती है.

17 लाख 10 हजार 682 मतदाता
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 10 हजार 682 मतदाता हैं. इसमें 8 लाख 54 हजार 934 महिला मतदाताओं की संख्या है वहीं 8 लाख 55 हजार 739 पुरुष मतदाता हैं. क्षेत्र में 9 थर्ड जेंडर के भी मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 15 लाख 88 हजार 95 मतदाता थे. इसमें 11 लाख 78 हजार 296 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ के हाई-प्रोफाइल सीट राजनांदगांव लोकसभा का ऐतिहासिक महत्व है. इस सीट पर 1962 से ही लोकसभा चुनाव हो रहे हैं. आजादी के बाद अब तक हुए 14 लोकसभा चुनावों में 7 बार कांग्रेस और 6 बार बीजेपी का कब्जा रहा. यह सीट जब तक मध्यप्रदेश में रही यहां कांग्रेस के हाथ बुलंद रहे, लेकिन छत्तीसगढ़ बनते ही इस सीट पर बीजेपी ने कब्जा जमा लिया. हालात ये रहे कि कभी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे मोती लाल वोरा को भी यहां हार का मुंह देखना पड़ा. 1999 में रमन सिंह ने मोतीलाल के हरा कर यहां जीत का परचम लहराया जो आज तक चल रहा है. फिलहाल, रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह यहां से सांसद हैं, लेकिन पार्टी ने इस बार उनका भी टिकट काट दिया है.

स्पेशल स्टोरी.

खैरागढ़ राजपरिवार का रहा है दबदबा
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में जब पहली बार 1962 में चुनाव हुए तो वीरेंद्र बहादुर सिंह यहां से कांग्रेस के सांसद चुने गए. इसके बाद कांग्रेस से ही पद्मावती देवी और रामसहाय यहां से सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में राजनांदगांव सीट लोकदल के खाते में चली गई और मदन तिवारी यहां से सांसद चुने गए. इस सीट पर लंबे समय तक खैरागढ़ राजपरिवार का दबदबा कायम रहा और राजा वीरेंद्र बहादुर सिंह के बाद उनकी पत्नी पद्मावती देवी इसके बाद 1980, 1984 और 1991 में उनके बेटे शिवेंद्र बहादुर सिंह यहां से सांसद चुने जाते रहे. कांग्रेस 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में भी राजपरिवार पर भरोसा जताई और शिवेंद्र बहादुर सिंह के बेटे देवव्रत सिंह को टिकट दिया, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया.

बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
2019 लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने खुज्जी से दो बार विधायक रहे भोलाराम साहू को मैदान में उतारा है. वहीं बीजेपी ने संतोष पांडेय पर भरोसा जताया है. संतोष पांडेय 2003 में कवर्धा विधानसभा से वर्तमान में भूपेश कैबिनेट में मंत्री मोहम्मद अकबर से चुनाव हार चुके हैं. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 8 विधानसभा सीटें है, वर्तमान में इनमें से 6 विधानसभा सीटें कांग्रेस के पास हैं. वहीं एक सीट पर बीजेपी का कब्जा है और एक सीट जोगी कांग्रेस के हिस्से में गई है. राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में साहू वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है. इसके अलावा क्षेत्र में आदिवासी गोड़ और हल्बा समाज के मतदाताओं की संख्या भी निर्णायक भूमिका निभाती है.

17 लाख 10 हजार 682 मतदाता
राजनांदगांव लोकसभा क्षेत्र में 17 लाख 10 हजार 682 मतदाता हैं. इसमें 8 लाख 54 हजार 934 महिला मतदाताओं की संख्या है वहीं 8 लाख 55 हजार 739 पुरुष मतदाता हैं. क्षेत्र में 9 थर्ड जेंडर के भी मतदाता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 15 लाख 88 हजार 95 मतदाता थे. इसमें 11 लाख 78 हजार 296 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

Intro:राजनांदगांव. राजनांदगांव लोकसभा प्रोफाइल के लिए शॉर्ट्स


Body:राजनांदगांव लोकसभा प्रोफाइल के लिए शॉर्ट्स


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Last Updated : Apr 17, 2019, 9:56 PM IST
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