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राजनांदगांव के साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में तस्कर सक्रिय, पेड़ों की अवैध कटाई जारी - राजनांदगांव न्यूज

साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में लगातार अवैध कटाई की जा रही है. यहां के जंगल में मौजूद बेशकीमती पेड़ों की लगातार कटाई हो रही है.

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राजनांदगांव के साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में तस्कर सक्रिय
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Published : May 16, 2021, 9:48 PM IST

राजनांदगांव: खैरागढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाले साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में लगातार अवैध कटाई की जा रही है. यहां के जंगल में मौजूद बेशकीमती लकड़ियों को बेखौफ होकर तस्कर काट रहे हैं. बावजूद इसके इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. जंगलोंं मे तस्कर सरेआम पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. लोहारा और खारा, रेंगाखार, साल्हेवारा के जंगलों में इमारती लकड़ियोंं के लिए धड़ल्ले से न सिर्फ पेड़ों को काटा जा रहा है, बल्कि उन्हें जंगलों में जला दिया जा रहा है. इन इलाकों के जंगल से बड़ी संख्या में बेशकीमती लकड़ी काटी गई हैं. तस्कर बड़ी मात्रा में यहां से लकड़ियां काट कर ले जा रहे हैं.

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राजनांदगांव के साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में तस्कर सक्रिय

कहां–कहां काटे गए पेड़?

वनमंडल के बोड़ला, खारा, रेंगाखार, पंडरिया और सहसपुर लोहारा विकासखंड के वन परिक्षेत्र में इन दिनों बड़ी संख्या मैं पेड़ काटे गए हैं. मौके पर पेड़ों के ठूंठ साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं. वहीं कई पेड़ों पर कुल्हाड़ी से काटे जाने के निशान हैं. लेकिन वन विभाग यहां पर झांकना तो दूर कोई जांच तक नहीं कर पा रहा है.

ईट-भट्ठा में खप रही हैं लकड़ियां

जानकारी के मुताबिक इन इलाकों के जंगल से काटी जाने वाली लकड़ियों को आसपास के ईट भट्ठा में बेचा जा रहा है. यहां पेड़ों को काटकर लाने के बाद लकड़ियों को ईट भट्ठा में जला दिया जा रहा है. इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि एक तरफ हर साल पेड़ लगाओ का नारा लगया जाता है वहीं वन विभाग के नाक के नीचे पेड़ों को काटकर बेचा जा रहा है.

आंधी-बारिश से कई पेड़ धराशायी, कोरबा के कई इलाकों में 2 दिन बाद भी बिजली नहीं

तीन रेंज के जगलों में कटे पेड़ों को आसानी से देखा जा सकता है. पेड़ों में ठूंठ और जमीन पर बिना पत्तों की डंगाल नजर आती है. बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इसे रोकने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहे हैं. जंगलों में वनस्पतियां तेजी से नष्ट हो रही है. बीते कुछ सालों से बोड़ला, खारा, रेंगाखार, लोहारा, पंडरिया, कोदवागोडान , घानीखुटा , बन्दौरा ,जहरा नवगांव, घोठला, बोककरखार , तरेगॉव ,देवसरा अंचलों में बारिश और तेज हवा के चलते वनों और वनस्पतियों को काफी नुकसान हो रहा है.

क्या कहते हैं डीएफओ?

दिलराज प्रभाकर ने कहा कि वह सपरिवार क्वारंटीन हैं. वे समय-समय पर अपने मातहतों से इसकी सूचनाएं लेते रहते हैं. जहां कहीं भी पेड़ काटने या किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई शिकायत मिलती है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाती है.

राजनांदगांव: खैरागढ़ वन मंडल अंतर्गत आने वाले साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में लगातार अवैध कटाई की जा रही है. यहां के जंगल में मौजूद बेशकीमती लकड़ियों को बेखौफ होकर तस्कर काट रहे हैं. बावजूद इसके इस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. जंगलोंं मे तस्कर सरेआम पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला रहे हैं. लोहारा और खारा, रेंगाखार, साल्हेवारा के जंगलों में इमारती लकड़ियोंं के लिए धड़ल्ले से न सिर्फ पेड़ों को काटा जा रहा है, बल्कि उन्हें जंगलों में जला दिया जा रहा है. इन इलाकों के जंगल से बड़ी संख्या में बेशकीमती लकड़ी काटी गई हैं. तस्कर बड़ी मात्रा में यहां से लकड़ियां काट कर ले जा रहे हैं.

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राजनांदगांव के साल्हेवारा क्षेत्र के जंगल में तस्कर सक्रिय

कहां–कहां काटे गए पेड़?

वनमंडल के बोड़ला, खारा, रेंगाखार, पंडरिया और सहसपुर लोहारा विकासखंड के वन परिक्षेत्र में इन दिनों बड़ी संख्या मैं पेड़ काटे गए हैं. मौके पर पेड़ों के ठूंठ साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं. वहीं कई पेड़ों पर कुल्हाड़ी से काटे जाने के निशान हैं. लेकिन वन विभाग यहां पर झांकना तो दूर कोई जांच तक नहीं कर पा रहा है.

ईट-भट्ठा में खप रही हैं लकड़ियां

जानकारी के मुताबिक इन इलाकों के जंगल से काटी जाने वाली लकड़ियों को आसपास के ईट भट्ठा में बेचा जा रहा है. यहां पेड़ों को काटकर लाने के बाद लकड़ियों को ईट भट्ठा में जला दिया जा रहा है. इलाके के ग्रामीणों का कहना है कि एक तरफ हर साल पेड़ लगाओ का नारा लगया जाता है वहीं वन विभाग के नाक के नीचे पेड़ों को काटकर बेचा जा रहा है.

आंधी-बारिश से कई पेड़ धराशायी, कोरबा के कई इलाकों में 2 दिन बाद भी बिजली नहीं

तीन रेंज के जगलों में कटे पेड़ों को आसानी से देखा जा सकता है. पेड़ों में ठूंठ और जमीन पर बिना पत्तों की डंगाल नजर आती है. बावजूद इसके वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इसे रोकने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहे हैं. जंगलों में वनस्पतियां तेजी से नष्ट हो रही है. बीते कुछ सालों से बोड़ला, खारा, रेंगाखार, लोहारा, पंडरिया, कोदवागोडान , घानीखुटा , बन्दौरा ,जहरा नवगांव, घोठला, बोककरखार , तरेगॉव ,देवसरा अंचलों में बारिश और तेज हवा के चलते वनों और वनस्पतियों को काफी नुकसान हो रहा है.

क्या कहते हैं डीएफओ?

दिलराज प्रभाकर ने कहा कि वह सपरिवार क्वारंटीन हैं. वे समय-समय पर अपने मातहतों से इसकी सूचनाएं लेते रहते हैं. जहां कहीं भी पेड़ काटने या किसी भी तरह की गड़बड़ी की कोई शिकायत मिलती है तो उस पर तत्काल कार्रवाई की जाती है.

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