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आखिर कहां हुई चूक, अब भी कर्ज में डूबे हैं 65 हजार किसान

65000 किसानों को अब तक राज्य सरकार की कर्जमाफी स्कीम का फायदा नहीं मिल पाया है. अब भी वे बैंक लोन के भार से दबे हुए हैं. इसके चलते इस साल खेती-किसानी के लिए लोन और खाद बीज उन्हें नहीं मिल पाएगा.

खरीफ फसल
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Published : May 31, 2019, 2:33 PM IST

Updated : May 31, 2019, 2:44 PM IST

राजनांदगांव: किसानों की कर्जमाफी के वादे को लेकर ही कांग्रेस सूबे की सत्ता में आई. सरकार बनने के दो दिनों के अंदर ही कर्जमाफी का ऐलान कर दिया गया. किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, सबके चेहरे खिल उठे. लेकिन आज वहीं चेहरे उदास हैं, सरकारी वादे के न पूरा होने से निराश हैं और कर्ज तले दबा हुआ महसूस कर रहे हैं.

sixty five thousand farmers debt

राजनांदगांव के 65000 किसानों को अब तक राज्य सरकार की कर्जमाफी स्कीम का फायदा नहीं मिल पाया है. अब भी वे बैंक लोन के भार से दबे हुए हैं. इसके चलते इस साल खेती-किसानी के लिए लोन और खाद बीज उन्हें नहीं मिल पाएगा.

आरोप है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अफसरों की लापरवाही के चलते इस बार 65000 किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाया है. 2017-18 में फसल बीमा की 243 करोड़ रुपए की राशि किसानों को बांटी गई थी. ये राशि किसानों के सेविंग अकाउंट में डाल दी गई. ऐसी स्थिति में किसानों ने जो लोन बैंक से खेती के लिए लिया था वह अब भी बना हुआ है. ये किसान डिफॉल्टर की श्रेणी में आ गए हैं. लिहाजा बैंक अब इन लोगों को लोन देने से इंकार कर रहा है.

इस साल खरीफ के लिए नहीं मिल पाएगा लोन
पहले का कर्ज बकाया होने के कारण इस बार खरीफ फसल के लिए किसानों को लोन नहीं मिल पा रहा है. इसके पीछे बैंक के अफसरों का कहना है कि पुराना लोन न चुकाए जाने के कारण किसानों को नया लोन नहीं दिया जा सकता है. उनका कहना है कि सरकार यदि कोई रास्ता निकालती है तो ही ऐसा संभव होगा.

ऐेसे में इन किसानों पर मुसीबत आन पड़ी है. मानसून सिर पर है और उन्हें खाद-बीज नहीं मिल रहा है, इस स्थिति में किसान इस बार खेती से वंचित हो सकते हैं.

उच्च अधिकारियों से की जा रही है चर्चा
इस मामले में कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य का कहना है कि 2017-18 में फसल बीमा की राशि किसानों के लोन खाते में न डालकर बैंक ने उनके सेविंग अकाउंट में डाल दी थी. इसके चलते बैंक से लिया गया लोन किसानों के खाते में अभी बकाया है. इस वजह से वे बैंक में डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं.

कलेक्टर ने कहा है कि इस मामले में उन्होंने बैंक के सीईओ सुनील वर्मा को निर्देश दिए हैं कि ऐसे किसानों को नोटिस जारी कर, उनके लोन अकाउंट में राशि डलवाया जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों के बातचीत करने के बाद ही फैसला लिया जाएगा.

तीन चरण में कर्जमाफी
इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ सुनील वर्मा कहते हैं कि कर्जमाफी का काम तीन चरणों में किया गया है. पहले चरण में आने वाले किसानों का कर्ज माफ हो चुका है. वहीं दूसरे चरण के ऑडिट का काम बाकी है. तीसरे चरण में ऐसे किसान जो 10 से 15 साल से डिफॉल्टर हैं उन्हें भी कर्ज माफी का लाभ दिया जाएगा. इसके लिए तैयारी की जा रही है.

राजनांदगांव: किसानों की कर्जमाफी के वादे को लेकर ही कांग्रेस सूबे की सत्ता में आई. सरकार बनने के दो दिनों के अंदर ही कर्जमाफी का ऐलान कर दिया गया. किसानों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, सबके चेहरे खिल उठे. लेकिन आज वहीं चेहरे उदास हैं, सरकारी वादे के न पूरा होने से निराश हैं और कर्ज तले दबा हुआ महसूस कर रहे हैं.

sixty five thousand farmers debt

राजनांदगांव के 65000 किसानों को अब तक राज्य सरकार की कर्जमाफी स्कीम का फायदा नहीं मिल पाया है. अब भी वे बैंक लोन के भार से दबे हुए हैं. इसके चलते इस साल खेती-किसानी के लिए लोन और खाद बीज उन्हें नहीं मिल पाएगा.

आरोप है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अफसरों की लापरवाही के चलते इस बार 65000 किसानों को कर्जमाफी का लाभ नहीं मिल पाया है. 2017-18 में फसल बीमा की 243 करोड़ रुपए की राशि किसानों को बांटी गई थी. ये राशि किसानों के सेविंग अकाउंट में डाल दी गई. ऐसी स्थिति में किसानों ने जो लोन बैंक से खेती के लिए लिया था वह अब भी बना हुआ है. ये किसान डिफॉल्टर की श्रेणी में आ गए हैं. लिहाजा बैंक अब इन लोगों को लोन देने से इंकार कर रहा है.

इस साल खरीफ के लिए नहीं मिल पाएगा लोन
पहले का कर्ज बकाया होने के कारण इस बार खरीफ फसल के लिए किसानों को लोन नहीं मिल पा रहा है. इसके पीछे बैंक के अफसरों का कहना है कि पुराना लोन न चुकाए जाने के कारण किसानों को नया लोन नहीं दिया जा सकता है. उनका कहना है कि सरकार यदि कोई रास्ता निकालती है तो ही ऐसा संभव होगा.

ऐेसे में इन किसानों पर मुसीबत आन पड़ी है. मानसून सिर पर है और उन्हें खाद-बीज नहीं मिल रहा है, इस स्थिति में किसान इस बार खेती से वंचित हो सकते हैं.

उच्च अधिकारियों से की जा रही है चर्चा
इस मामले में कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य का कहना है कि 2017-18 में फसल बीमा की राशि किसानों के लोन खाते में न डालकर बैंक ने उनके सेविंग अकाउंट में डाल दी थी. इसके चलते बैंक से लिया गया लोन किसानों के खाते में अभी बकाया है. इस वजह से वे बैंक में डिफॉल्टर घोषित हो चुके हैं.

कलेक्टर ने कहा है कि इस मामले में उन्होंने बैंक के सीईओ सुनील वर्मा को निर्देश दिए हैं कि ऐसे किसानों को नोटिस जारी कर, उनके लोन अकाउंट में राशि डलवाया जाए. उन्होंने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चाधिकारियों के बातचीत करने के बाद ही फैसला लिया जाएगा.

तीन चरण में कर्जमाफी
इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ सुनील वर्मा कहते हैं कि कर्जमाफी का काम तीन चरणों में किया गया है. पहले चरण में आने वाले किसानों का कर्ज माफ हो चुका है. वहीं दूसरे चरण के ऑडिट का काम बाकी है. तीसरे चरण में ऐसे किसान जो 10 से 15 साल से डिफॉल्टर हैं उन्हें भी कर्ज माफी का लाभ दिया जाएगा. इसके लिए तैयारी की जा रही है.

Intro:राजनांदगांव जिले के 65000 किसानों को इस बार राज्य शासन की कर्जा माफी स्कीम का फायदा नहीं मिल पाया क्योंकि किसानों ने जो लोन बैंक के माध्यम से उठाया था वह अब भी उनके खाते में बकाया दिखा रहा है इसके चलते किसानों को इस साल भी खेती किसानी के लिए लोन और खाद बीज भी नहीं मिल पाएगा. जिले में जिला सहकारी बैंक के अधिकारी कर्मचारियों की गड़बड़ी से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि इस बार किसान खेतीकिसानी नहीं कर पाएंगे.


Body:जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अफसरों की बड़ी लापरवाही के चलते इस बार 65000 किसानों को कर्ज माफी का लाभ नहीं मिल पा रहा है बैंक ने फसल बीमा के 243 करोड़ रुपए की राशि 2017 18 में किसानों को बांटी थी इसमें लापरवाही करते हुए यह रकम किसानों के बचत बैंक अकाउंट में डाल दी गई अब ऐसी स्थिति में किसानों ने जो लोन बैंक से कृषि के लिए लिया था वह आप भी स्टैंड है इस कारण अब वे डिफाल्टर की श्रेणी में आकर खड़े हो गए हैं यही कारण है कि अब बैंक इन किसानों को लोन देने से इनकार कर रहा है.
इस साल खरीफ के लिए नहीं मिल पाएगा लोन
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की इस बड़ी लापरवाही के चलते जिले के 65000 किसानों को इस बार खरीफ फसल में खेती के लिए लोन नहीं मिल पाएगा इसके पीछे बैंक के अफसरों का कहना है कि पुराना लोन नहीं चुकाया जाने की स्थिति में किसानों को नया लोन देना संभव नहीं है हालांकि अफसर इस बात को मान रहे हैं कि अगर राज्य स्तर पर कोई फैसला होता है तो किसानों को लोन दिया जा सकेगा लेकिन इस बीच किसानों के साथ बड़ी दोहरी स्थिति पैदा हो गई है मानसून सिर पर है और ऐसे में खेती के लिए कर्ज नहीं मिलने से जिले के 65000 किसान खेती किसानी से वंचित हो जाएंगे.
जनदर्शन में गुहार लगा रहे हैं किसान
वर्तमान खरीफ फसल के लिए किसान जब सोसायटी कर्ज लेने के लिए पहुंच रहे हैं और खाद बीज की डिमांड कर रहे हैं तो उन्हें साफ मना कर दिया जा रहा है इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि उनके खाते में लोन की रकम जमा नहीं हुई है ऐसे में उन्हें नया कर्ज देने का कोई प्रावधान नहीं है यह बोलकर किसानों को लौटाया जा रहा है इस बात को लेकर किसानों में काफी आक्रोश है जिले के अलग-अलग स्थानों से लगातार किसान जनदर्शन में पहुंचकर कलेक्टर के समक्ष लगातार गुहार लगा रहे हैं.
उच्च अधिकारियों से चर्चा की जा रही
इस मामले में कलेक्टर जय प्रकाश मौर्य का कहना है कि यह 2017 18 का मामला है जब फसल बीमा की राशि किसानों के लोन खाते में ना डालकर बैंक ने उनके सेविंग अकाउंट में डाल दी थी इसके चलते बैंक से लिया गया लोन किसानों के खाते में अभी बकाया है इस वजह से वे बैंक में डिफाल्टर घोषित हो चुके हैं कलेक्टर ने कहा है कि इस मामले में उन्होंने बैंक के सीईओ सुनील वर्मा को निर्देश दिए हैं कि ऐसे किसानों को नोटिस जारी कर उनके लोन अकाउंट में राशि डलवाने के लिए प्रयास किए जाएं हाला की स्थिति गंभीर है और उच्च अधिकारियों से चर्चा करने के बाद ही इस मामले में कोई फैसला लिया जाएगा.
तीन चरण में किया गया
इस मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के सीईओ सुनील वर्मा का कहना है कि कर्ज माफी का काम तीन चरणों में किया गया है पहले चरण मे आने वाले किसानों को कर्ज माफी हो चुकी है वहीं द्वितीय चरण के अंकेक्षण का कार्य बाकी है और जो किसान कालातीत समय से डिफाल्टर हैं तकरीबन 10 से 15 साल से डिफाल्टर हैं उन्हें भी कर्ज माफी का लाभ दिया जाना है इसके लिए तैयारी की जा रही है.



Conclusion:बाइट कलेक्टर जयप्रकाश मौर्य नीले शर्ट में
बाइट सीईओ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सुनील वर्मा मैरून शर्ट में
Last Updated : May 31, 2019, 2:44 PM IST
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