राजनांदगांव/डोंगरगढ़: छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने रोका-छेका अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत मवेशियों को एक जगह रोकने के लिए गौठान और कांजी हाउस के निर्माण के साथ ही पशुपालकों को हिदायत देना भी शामिल है. लेकिन डोंगरगढ़ नगर पालिका के अधिकारियों की सुस्ती के कारण धरातल पर इस योजना के तहत कोई काम नहीं किया जा रहा है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि मवेशी अब भी सड़क, चौक-चौराहों और शहर के मुख्य मार्ग, फ्लाई ओवरब्रिज जैसे व्यस्त जगहों पर नजर आ रहे हैं. जिसके कारण आए दिन दुर्घटना हो रही है.
मामले में जब मुख्य नगर पालिका अधिकारी से चर्चा की गई, तो उन्होंने गौठान बनाए जाने की बात कही. छत्तीसगढ़ सरकार ने रोका-छेका योजना की शुरुआत कर सड़कों पर घूमने वाले मवेशियों को चयनित जगह जैसे गौठान या कांजी हाउस में उन्हें सुरछित रखने की कवायद शुरू की है. योजना के मुताबिक, मुनादी कराकर मवेशियों के मालिक को हिदायत और इसके बाद भी सुधार नहीं होने पर पशुपालकों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.
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मवेशियों के लिए नहीं है कोई व्यवस्था
स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी हेमशंकर देशलहरा छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं. स्थानीय लोगों ने बताया कि आवारा मवेशियों को सड़क से उठाकर रखने के लिए नगर पालिका के पास एक कांजी हाउस का निर्माण किया गया था, जो पिछले 20 सालों से बंद पड़ा है. कांजी हाउस की मरम्मत के लिए नगर पालिका की ओर से राशि स्वीकृत की जाती है, लेकिन इसके बाद भी मवेशियों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि मवेशी सड़कों पर घूमते नजर आते हैं. लोगों की मानें तो मवेशियों का इस तरह सड़कों के बीच बैठना दुर्घटना का कारण भी बन जाता है.