राजनांदगांव: कोरोना माहामारी की वजह से खैरागढ़ ब्लाक के पॉडादाह गांव में हर साल लगने वाले मेले पर रोक लगा दी गई है. यहां रथ यात्रा देखने और मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए हर साल हजारों की संख्या में भक्त आते थे. कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने इस बार मन्दिर ट्रस्ट को मेले के आयोजन की अनुमति नहीं दी है.
सोशल डिस्टेंसिंग का किया जाएगा पालन
सेवा समिति और मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण इस साल केवल 10 लोगों के उपस्थिति में 23 जून को पुरोहित की ओर से मंदिर परिसर के अंदर ही हवन पूजा परिक्रमा संपन्न कराई जाएगी. भगवान जगन्नाथ, बलदाऊ और सुभद्रा समेत सभी देवी-देवताओं को मंदिर में विराजमान किया जाएगा. इस दौरान मंदिर में मौजूद सभी लोगों का मास्क लगाना जरूरी है. साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पूजा करने की अनुमति दी गई है.
दुकान नहीं लगाने की अपील
पूजा के पहले मंदिर सेवासमिति की ओर से पूरे परिसर को सैनिटाइज किया जाएगा. मंदिर सेवासमिति ने लोगों से कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए रथयात्रा का पर्व इस बार पूरी सादगी से और गाइडलाइन का पालन करते हुए मनाने की अपील की है. मंदिर में कहीं भी भीड़ इकट्ठा नहीं हो इसका पूरा ध्यान रखा जाए. सेवासमिति ने रथयात्रा मेला में लगने वाले दुकानदारों से इस साल दुकान नहीं लगाने की अपील की है .
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बस्तर की रथ यात्रा
बता दें कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उत्सव को बस्तर में गोंचा कहते हैं. ये पर्व यहांं 611 साल से मनाया जा रहा है. इसमें बस्तर राजपरिवार के सदस्यों से लेकर ग्रामीण अंचलों में रहने वाले आदिवासी और आरण्यक ब्राह्मण समाज के 360 लोग शामिल होते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पुरी रथ यात्रा पर रोक लगाई
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली रथ यात्रा पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा कि पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा के उत्सव और अन्य सभी संबंधित गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है. अदालत ने कहा कि लोगों की जिंदगी को दांव पर नहीं लगाया जा सकता. शीर्ष अदालत ने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों की सुरक्षा के हित में, इस वर्ष रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती. अपने आदेश में अदालत ने राज्य सरकार के उस आदेश का भी हवाला दिया जो 30 जून तक सार्वजनिक सभा को प्रतिबंधित करता है.